योग एक प्रक्रिया है, जो हमारे शरीर, सांस और दिमाग को एक साथ जोड़ती है। योग शारीरिक स्वास्थ्य के लिए कितना लाभदायक है ये बात आप वर्षों से सुन रहे होंगे। योग को अंग्रेजी भाषा में योगा कहा जाता है, जिसे हिंदी में भी योग के पर्यायवाची के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा है, लेकिन, योग और योगासन अलग-अलग हैं। योगासन योग का एक हिस्सा है, जो कि शारीरिक और मानसिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है और आपको कई स्वास्थ्यवर्धक फायदे भी पहुंचाता है, लेकिन क्या आपको पता है कि योग के भी प्रकार होते हैं? अगर नहीं तो यहाँ आप जानें योग के प्रकार और उनके आप पर होने वाले सकारात्मक प्रभाव के बारे में।
जैसा कि हमने आपको ऊपर बताया कि योगासन योग का एक हिस्सा है, जो कि योग और आसन दो शब्दों से मिलकर बना है। इसका मतलब है कि योग के दौरान अपनाई जाने वाली मुद्राएं, लेकिन इन योगासन का प्रभाव स्वतंत्र रूप से भी महत्वपूर्ण है और दुनिया में योग के अन्य आयामों के मुकाबले सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। क्योंकि, योग एक बहुत व्यापक प्रक्रिया है, जिसमें अपने शरीर और दिमाग से संबंध बिठाया जाता है, लेकिन सिर्फ शारीरिक और मानसिक समस्याओं से निजात के लिए योगासन का अभ्यास किया जाता है। तो, आइए जानते हैं योग के प्रकार और योग के दृष्टिकोण से योग के तरीके के बारे में।
जानते हैं कि योगा से हमें शारीरिक या मानसिक स्तर पर कौन-कौन से फायदे होते हैं।
-सामान्य ब्लड प्रेशर और हृदय गति
-स्ट्रेस दूर करने में मदद मिलती है।
-पाचन क्रिया सुधरती है।
-शारीरिक दर्द से राहत।
-शरीर में लचीलापन आता है।
-नींद बेहतर होती है।
-आत्म-विश्वास और ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है।
-शरीर में रक्त प्रवाह सुधरता है।
-भावनात्मक रूप से मजबूत बनते हैं।
-मधुमेह, अस्थमा रोग, माइग्रेन जैसी कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों को ठीक करने में मदद मिलती है।
हठ योग सभी योगों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक सामान्य शब्द है। जिसमें सांस और शारीरिक मुद्राओं की गति के बीच संतुलन बनाना होता है। हालाँकि, इसके अलावा, पारंपरिक प्रकारों में क्रियायोग, राजयोग और कर्मयोग आदि शामिल हैं, लेकिन यह भौतिक मुद्राओं से अलग आयामों की व्याख्या करता है। हठ योग सबसे आम और सबसे पुराना प्रकार का योग है, जिसमें बहुत सारे आसान योगासन शामिल हैं, जो योग की शुरुआत करने वालों के लिए बहुत बेहतर होंगे।
अष्टांग योग में आपको कई योगासनों के निरंतर क्रम का अभ्यास करना होता है। इस अभ्यास के दौरान, आपको अपनी सांस को एक विशेष तकनीक के तहत पकड़ना होगा, जो आपके दिमाग और शरीर में सांस के प्रवाह को केंद्रित रखने में मदद करता है।
अयंगर योग में, योगासनों का अभ्यास ठीक और धीमी गति से किया जाता है। जो योग शुरू करने वाले लोगों के लिए काफी उपयोगी है। इस योग प्रकार में, आप अपनी योग मुद्राओं को सही रखने के लिए बेल्ट, ब्लॉक और तकिए का उपयोग कर सकते हैं। इस योग का विकास बी. के. एस. अयंगर ने किया। जो आपके शरीर के सीधेपन के माध्यम से शरीर में लचीलापन और शक्ति को संतुलित करता है।
पॉवर योग एक काफी चुनौतीपूर्ण प्रकार का योग है। इसमें आपको बहुत अधिक शारीरिक शक्ति, गति और सहनशक्ति की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के योग में, अष्टांग योग के योग अभ्यास किए जाते हैं, जो ऊपरी शरीर की शक्ति, संतुलन और लचीलेपन को बढ़ाते हैं। यदि आप पहली बार योग का अभ्यास कर रहे हैं, तो शुरुआत में इसे धीरे-धीरे शुरू करें।
कुंडलिनी योग अध्यात्म से अधिक जुड़ा हुआ है। इसमें योगासनों, श्वास तकनीक, ध्यान और उच्चारण की मदद से शरीर में घूमने वाली कुंडलिनी ऊर्जा को सक्रिय करना शामिल है, जो आपकी रीढ़ के आधार में स्थित हैं।
विक्रम योग को कभी-कभी हॉट योग भी कहा जाता है, जिसे विक्रम चौधरी द्वारा विकसित किया गया था। इस प्रकार के योग में, 26 चुनौतीपूर्ण योगासनों को एक हद तक गर्म करके एक कमरे में अभ्यास किया जाता है। इस योग अभ्यास के साथ, आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों को हटा दिया जाता है, जो पसीने के माध्यम से निकलता है।
इस प्रकार के योग में योग किसी के लिए भी काफी चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। इस प्रकार में, आपको अपने शरीर को एक विशेष मुद्रा में बनाए रखना होगा। यह 1980 के दशक के दौरान अष्टांग योग से प्राप्त हुआ था। ऐसा करने के लिए, आपको बहुत अधिक शारीरिक संतुलन और शक्ति की आवश्यकता होती है।
-छोटे बच्चों को ज्यादा मुश्किल योगासन न करवाएं।
-योग के अभ्यास के साथ धूम्रपान और शराब का सेवन नहीं करना चाहिए।
-योगासन के साथ पर्याप्त नींद लें, जिससे शरीर को आराम मिल सके।
-पीरियड्स में ज्यादा भारी आसन न करें। इससे आपके शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
-गर्भावस्था के दौरान किसी विशेषज्ञ की देखरेख में ही योगासन करें।
-योगासनों के बीच कुछ सेकेंड का आराम करें और योग मुद्राओं को आराम से करें।
-बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए योग में विश्वास रखें, वरना नकारात्मकता हावी रहेगी।
-योग करने के दौरान क्लीन मैट पर योग करें।
-कॉटन या अन्य आरामदायक कपड़े पहने, जिससे योग के दौरान परेशानी महसूस न हो और साथ में एक टॉवल जरूर रखें ताकि पसीना पोछने पर आसानी हो।
-अगर आपके बाल लंबे हैं, तो उन्हें बांधना न भूलें।
-आप जहां योग कर रहें हैं, वो स्थान साफ हो।
-पीने का पानी अपने साथ रखें।
-हमेशा ध्यान रखें की योग के दौरान सांस लेने की सही कला क्या है।
-अपनी शारीरिक क्षमता को देखते हुए ही योगाभ्यास करें।
-योग के साथ-साथ हेल्दी डायट फॉलो करें।
-बॉडी को स्ट्रेट रखकर योग करें।
ताड़ासन बहुत ही साधारण आसन हैं। यह योगासन का प्रभाव शरीर की सारी मांसपेशियों पर पड़ता है और इसे सही तरीके से किया जाए तो आपका शरीर लचीला बनता है। इसके साथ ही आपके शारीरिक दर्द को भी दूर किया जा सकता है। यह आसन आपकी तंत्रिका तंत्र, पाचन तंत्र और श्वास नली पर काम करता है, जिससे वह नियमित रहे। इस योगासन की मदद से आपका इम्यूनिटी सिस्टम मजबूत होता है।
यह योगासन रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में मदद करता है, जिससे शारीरिक संतुलन में सुधार होता है। वृक्षासन का रोजाना अभ्यास करने से शारीरिक संतुलन के साथ शरीर में लचीलापन और इम्यूनिटी बढ़ाई जा सकती है।
उत्कटासन को चेयर पोज भी कहा जाता है। यह योगासन काफी शक्तिशाली होता है, क्योंकि इसमें शरीर के सारे अंग इस्तेमाल होते हैं। काल्पनिक कुर्सी बनने के लिए शरीर को स्टेमिना और स्ट्रेंथ की जरुरत होती है। इसे रोजाना करने से आपका शरीर शक्तिशाली बनता है और और इसका सबसे ज्यादा प्रभाव शरीर के निचले हिस्से पर पड़ता है।
यह योगासन कमर और पेट को मजबूत बनाता है। मत्स्यान से रीढ़ की हड्डी का लचीलापन बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके अलावा आपकी इम्यूनिटी में भी सुधार आता है। इस योगासन को रोजाना करने से शरीर कई शारीरिक समस्याओं से दूर रहा जा सकता है।
योग से लाभान्वित होने के लिए निम्नलिखित का पालन करें जो इस प्रकार हैं :-
– ज्यादातर योग गुरुओं के अनुसार दिन में अलग-अलग समय होते हैं जैसे कि ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय, दोपहर और सूर्यास्त। यदि आप ब्रह्म मुहूर्त या सूर्योदय के दौरान नियमित रूप से योगासन करते हैं, तो इसका विशेष लाभ मिलता है।
-ब्रह्म मुहूर्त के दौरान योग को बेहद फायदेमंद माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:30 बजे से सुबह लगभग 5.15 बजे तक रहता है। इस दौरान वातावरण में ताजी हवा चलती है, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद मानी जाती है। अक्सर योग गुरु ब्रह्म मुहूर्त में योग का अभ्यास करते हैं।
-सूर्योदय या सूर्यास्त के समय योग करना फायदेमंद होता है। यदि किसी कारण से आप ब्रह्म मुहूर्त के दौरान योग का अभ्यास नहीं कर पा रहे हैं, तो सूर्योदय या सूर्यास्त का समय आपके लिए लाभदायक हो सकता है। नियमित समय पर योग करने से शरीर ऊर्जावान बना रहता है।
-योगासन हमेशा खाली पेट या भोजन से दो घंटे पहले करना चाहिए। यदि आप इसे शाम को या सूरज डूबने के बाद कर रहे हैं, तो रात के खाने से तीन से चार घंटे पहले योग करें।
-इस प्रकार, आप योग आसन का अभ्यास करके इससे कई लाभ प्राप्त कर सकते हैं। हमें उम्मीद है कि आपको हमारा लेख पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए आप किसी योग विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं।
अन्य जानकारी