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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114शास्त्रों में एकादशी के दिन को बहुत पवित्र बताया गया है। मोक्षदा एकादशी को मोह का नाश करने वाला उत्सव माना जाता है। जिस प्रकार अन्य एकादशियों के दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता है, उसी प्रकार मोक्षदा एकादशी भी श्री हरि को समर्पित होती है। ग्रंथों में लिखा गया है कि द्वापर युग में महाभारत के समय श्री कृष्ण ने अर्जुन को जब गीता का ज्ञान दिया था तब मोक्षदा एकादशी का ही समय चल रहा था। इसलिए इसे गीता जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
माना जाता है इस दिन रखे गए व्रत से मनुष्य समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। मोक्ष को प्राप्त करने के लिए इस व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। इस व्रत को करने से अनंत गुना फल मिलता है। इसलिए इसे पूरे विधि विधान से करना चाहिए और पूरे अनुष्ठानों का पालन करना चाहिए। भारत के कुछ राज्यों में इस एकादशी से संबंधित परंपराएं कुछ अलग होती हैं। इस दिन भगवान श्री विष्णु के साथ साथ उनके आठवें अवतार श्री कृष्ण जी की अलग से पूजा की जाती है। इसके साथ साथ गीता के ग्यारह अध्यायों का पाठ किया जाता है, यदि संभव हो तो संपूर्ण गीता का पाठ करना चाहिए।
मार्गशीर्ष मास में मनाई जाने वाली इस एकादशी को शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि के दिन मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह साल की अंतिम एकादशी है। पारण मुहूर्त में व्रत को खोलना चाहिए, व्रत खोलने के लिए यह सबसे शुभ समय माना जाता है।
इस साल 2023 में मोक्षदा एकादशी 23 दिसम्बर 2023 को यानि शनिवार को है।
इस एकादशी तिथि की शुभ शुरुआत 22 दिसम्बर को 8 : 15 बजे होगी। और समाप्ति अगले दिन 23 दिसम्बर को 7 : 10 बजे होगी।
भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं युधिष्ठिर को इस व्रत कथा के बारे में बताया था। बताई गई कथा के अनुसार प्राचीन काल में वैखानक नाम का एक राजा गोकुल नाम के नगर पर राज करता था। यह राजा अपनी प्रजा का पुत्र की भी भांति ध्यान रखता था। राजा के राज्य में रहने वाले कई ब्राह्मणों को चारों वेदों का ज्ञान था। राजा को रात्रि में ऐसा स्वप्न आया जिससे कि वह चित्त भयभीत हो उठा। उसने अपने उस स्वप्न में अपने पूर्वजों को नरक में दुख भोगते हुए पाया। कष्टों को सहन करते समय राजा के पूर्वज उसे नरक से मुक्त कराने की विनती कर रहे थे। ऐसा दृश्य देखकर राजा बहुत दुखी हुए।
राजा ने एक प्रसिद्ध विद्वान के पास जाकर अपना स्वप्न विस्तार से बताया और इसके उपाय के बारे में पूछा। राजा ने कहा वह अपने पितरों की शांति के लिए कोई भी तप, दान, पूजा और व्रत आदि कर सकते हैं। कृपा करके इसका जो भी उपाय हो उसे मुझे बताएं। तब ब्राह्मणों ने राजा को पर्वत ऋषि के आश्रम में जाने का सुझाव देते हुए कहा कि वह भूत और भविष्य के ज्ञाता है वह अवश्य की आपकी समस्या का समाधान कर देंगे।
ऐसा सुनकर राजा शीघ्र की उस आश्रम के लिए निकल गया। तब उस मुनि ने राजा को बताया कि तुम्हारे भूतकाल में किए गए पाप के कारण तुम्हारे पूर्वज नरक में दुख भोग रहे हैं। यदि तुम अपने परिवार सहित मार्गशीर्ष में आने वाले एकादशी के व्रत को करोगे तो उससे प्राप्त पुण्य से तुम्हारे पितर नरक से मुक्त हो जाएंगे। राजा ने ऋषि को दंडवत प्रणाम किया और उनके द्वारा बताए गए मोक्षदा एकादशी के व्रत को किया। वायपेय यज्ञ के समान फल देने वाले इस व्रत को करने से राजा के पूर्वजों को स्वर्ग प्राप्त हुआ।
इस व्रत को करने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए इस व्रत को सबसे उत्तम माना गया है।
भारत में इस पर्व को अधिकतर स्थानों पर गीता जयंती का उत्सव मानकर श्री कृष्ण, महर्षि व्यास और पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता गीता का पूजन किया जाता है। वहीं दूसरी ओर इस एकादशी में भगवान श्री विष्णु को पूजा जाता है, इसलिए हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है। यह दिन पितरों के पूजन के लिए भी उत्तम माना जाता है। कहा जाता है इस दिन विधि विधान से किए कर्मकांड से पूर्वजों को मोक्ष प्राप्त होता है और उनका आर्शीवाद मिलता है।
इसी दिन जब अर्जुन अपने कर्तव्य पथ से विचलित हो रहे थे तब विष्णु अवतार श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र में 45 मिनट तक गीता का उपदेश अर्जुन को दिया था। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता को पढ़ा जाता है और उसमें दिए गए उपदेशों को जीवन में धारण किया जाता है। हिंदू अपने इस धर्म ग्रंथ को लाल वस्त्र में लपेटकर पूजास्थल में रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह वर्ष की अंतिम एकादशी होती है और गीता जयंती भी इसी दिन आने के कारण यह दिन बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।