परशुराम जी को ब्राह्मण कुल के कुलगुरु माना गया है। परशुराम जयंती वैशाख माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वर्ष 2023 में परशुराम जयन्ती मंगलवार, मई 3 को में मनाई जाएगी है। इसे जयंती को परशुराम द्वादशी भी कहा जाता है। ये दिन पुण्य के रूम में माना जाता है और कहा जाता है की इस दिन किया गया पुण्य कर्म फल देने वाला होता है। परशुराम त्रेता युग (रामायण काल) में एक ब्राह्मण ऋषि के यहां जन्म लिया था। उन्होंने एकादश छन्दयुक्त “शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” लिखा और इसका वर्णन भी किया।
ब्राह्मण देवता भगवान परशुराम की जयंती सम्पूर्ण देशभर में धूमधाम से मनाई जाती है। हिन्दू धर्म ग्रंथो के अनुसार भगवान परशुराम जी ऋषि ऋचीक के पौत्र और जमदग्नि के सुपुत्र थे। परशुराम जी की माता का नाम देवी रेणुका था। कहा जाता है की ये भोले भंडारी के बहुत बड़े भक्त थे। भगवान शिव ने ही परशुराम जी को अमोघ अस्त्र प्रदान किया था। परशुराम जी का उल्लेख रामायण, महाभारत, भागवत पुराण और कल्कि पुराण इत्यादि अनेक ग्रन्थों में किया गया है। परशुराम जी के गुरु भगवन शिव थे और उनका आशीर्वाद ही इन्हे आज इतना महान बनाते है।
जैसा की हम सब जानते है की इनका वास्तविक नाम राम था इनके परशु को सदैव धारण किया इस कारणवशइनका नाम परशुराम पड़ा । परशुराम जी ना ही केवल शिव भक्त थे बल्कि पिता भक्त भी थे। एक घटना के अनुसार पिता के आदेश पर इन्होने अपनी जन्म देने वाली माता का मस्तिस्क काट दिया था लकिन उनकी मृत्यु नहीं हुई क्यों की पिता के आशीर्वाद से माता का मस्तिष्क यथावत हो गया।
अक्षय तृतीया शनिवार, अप्रैल 22, 2023 कोतृतीया तिथि प्रारम्भ – अप्रैल 22, 2023 को 07:49 सुबह बजेतृतीया तिथि समाप्त – अप्रैल 23, 2023 को 07:47 सुबह बजे
शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की॥
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।
कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥1॥
नारायण अवतार सुहावन।
प्रगट भए महि भार उतारन॥
क्रोध कुंज भव भय विराम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥2॥
परशु चाप शर कर में राजे।
ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे॥
मंगलमय शुभ छबि ललाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥3॥
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी।
दुष्ट दलन संतन हितकारी॥
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥4॥
परशुराम वल्लभ यश गावे।
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥
छहहिं चरण रति अष्ट याम की।
आरती कीजे श्री परशुराम की॥5॥
।। इति परशुराम जी की आरती समाप्त ।।
Om Jay Parashudhaaree, Svaamee Jay Parashudhaaree.
Sur Nar Munijan Sevat, Shreepati Avataaree..
Om Jay Parashudhaaree.
Jamadagnee Sut Narasinh, Maan Renuka Jaaya.
Maartand Bhrgu Vanshaj, Tribhuvan Yash Chhaaya..
Om Jay Parashudhaaree.
Kaandhe Sootr Janeoo, Gal Rudraaksh Maala.
Charan Khadaoon Shobhe, Tilak Tripund Bhaala..
Om Jay Parashudhaaree.
Taamr Shyaam Ghan Kesha, Sheesh Jata Baandhee.
Sujan Hetu Rtu Madhumay, Dusht Dalan Aandhee..
Om Jay Parashudhaaree.
Mukh Ravi Tej Viraajat, Rakt Varn Naina.
Deen-heen Go Vipran, Rakshak Din Raina..
Om Jay Parashudhaaree.
Kar Shobhit Bar Parashu, Nigamaagam Gyaata.
Kandh Chaar-shar Vaishnav, Braahman Kul Traata..
Om Jay Parashudhaaree.
Maata Pita Tum Svaamee, Meet Sakha Mere.
Meree Birat Sambhaaro, Dvaar Pada Main Tere..
Om Jay Parashudhaaree.
Ajar-amar Shree Parashuraam Kee, Aaratee Jo Gaave.
Poornendu Shiv Saakhi, Sukh Sampati Paave..
Om Jay Parashudhaaree
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