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काल सर्प दोष क्या है ? जानिए काल सर्प दोष के उपाय | kaal Sarp Dosh Ke Upay Hindi Me
December 30, 2022

काल सर्प दोष क्या है ? जानिए काल सर्प दोष के उपाय | kaal Sarp Dosh Ke Upay Hindi Me

काल सर्प दोष हिंदी में – जानिए क्या होता है काल सर्प दोष और इसके लक्षण -kaal Sarp Dosh Kya Hai

ज्योतिषशास्त्र में मनुष्य जीवन के प्रत्येक दोष और समस्या का समाधान मिलता है। ऐसे में हमें अपनी जन्मकुंडली बनाकर किसी ज्योतिषी व ज्योतिषशास्त्र के विद्वान को दिखा देनी चाहिए ताकि हमें समय पर इन दोषों और आने वाली खराब परिस्थितियों के बारे में पता चल सके।

काल सर्प दोष – मानव जीवन में लगे इन दोषों का निवारण हमें समय पर करना चाहिए। ऐसे ही दोषों की सूची में कालसर्प दोष का वर्णन भी देखने को मिलता है जिसके होने पर जातकों पर बुरे प्रभाव पड़ते हैं। तो आइए देखते है कि क्या होता है कालसर्प दोष और किन उपायों से इससे पड़ने वाले बुरे असर को खत्म किया जा सकता है।

आखिर क्या होता है काल सर्प योग और इसके क्या लक्षण है 

काल सर्प दोष – जातकों के पिछले जन्म में किए बुरे कर्मों के कारण यह कालसर्प दोष मनुष्य की जीवन में शाप बनकर प्रकट होता है। इस दोष के लगने के कारण व्यक्ति परेशान ही रहता है और उसके सामने संतान, स्वास्थ्य, घर व परिवार और आर्थिक समस्याएं एक के बाद एक आती ही रहती हैं। इस दोष के चलते व्यक्ति को बहुत मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है और बुरे सपने आते हैं। अधिकतर सपनों में दोष से पीड़ित व्यक्ति की मृत्यु होती रहती है या सांप दिखाई देते हैं। 

काल सर्प दोष – राहु और केतु द्वारा बने बुरे प्रभाव से ही यह दोष उजागर होता है। जातकों की जन्मकुंडली में अगर राहु और केतु के बीच में ग्रह आ जाते हैं तो इस दोष को ही कालसर्प दोष कहा जाता है। राहु को काल के नाम से चयनित किया जाता है जिसका हिंदी में अर्थ होता है मृत्यूू और सर्प को केतु का अधिदेवता माना जाता है और सर्प का अर्थ सांप होता है। इसी प्रकार ज्योतिषशास्त्र में राहु को सांप मुंह और केतु को सांप की पूंछ माना जाता है।

काल सर्प दोष  – इस दोष में राहु और केतु ग्रहों के अच्छे प्रभावों को खत्म कर देते हैं और ग्रहों के राहु और केतु के बीच में स्थित होने के कारण यह ग्रह सकारात्मक परिणाम देते में विफल रह जाते हैं। शास़्त्रों में राहु का छाया ग्रह के नाम उल्लेख है। इस दोष के समय सारी सुख सुविधाएँ होते हुए भी जातक या जातिका दुखी ही रहती है, उसे दुखी रहने के कारण तक का पता नहीं चल पाता है।

काल सर्प दोष  – ऐसा भी नहीं है कि इस दोष के प्रभाव बुरे ही होते हैं और हमेशा कष्ट ही देते हैं। लेकिन राशियों और लगनों पर ग्रहों के स्थित भावों के आधार पर इसके प्रभावों को सुनिश्चित किया जा सकता है कि यह कालसर्प योग आपको अच्छे परिणाम लेकर आने वाला है या दोष बनकर आपको दुख व परेशानियों की ओर लेकर जाने वाला है।

 

काल सर्प योग के प्रकार – काल सर्प दोष 12 प्रकार के होते है – kaal Sarp Dosh Kya Hai

दोष  प्रकार 
 सर्प काल दोष अनंत सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष कुलिक सर्प काल दोष
व सर्प काल दोष वासुकि सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष शंखपाल सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष पद्द सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष महापद्द सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष तक्षक सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष कर्कोटिक सर्प काल दोष
 चूड सर्प काल दोष शंख चूड सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष घातक सर्प काल दोष
 सर्प काल दोष विषधर सर्प काल दोष
सर्प काल दोष शेषनाग सर्प काल दोष

काल सर्प दोषअनन्त कालसर्प योग के कारण शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है इसी के साथ अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसी तरह से कालसर्प योग के यह बारह प्रकार मानव जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। 

 

कालसर्प दोष के उपाय – ( Kaal  Sarp Dosh Ke Upaye )

काल सर्प दोष  – कालसर्प दोष के बुरे प्रभावों को रोकने ले लिए ज्योतिषशास्त्र में कई उपाए दिए गए हैं। जिसमें से कुछ सरल व जल्दी फल देने वाले उपायों को हम बताने जा रहें हैं।

  1. भगवान विष्णु की प्रतिदिन पूजा से इस दोष से पड़ने वाले बुरे असर को कम किया जा सकता है। 
  2. शनिवार के दिन बहते पानी में कोयले के टुकड़ों को चलते पानी में विसर्जित करने से भी काफी लाभ मिलता है।  मसूर दाल और साबुत नारियल को बहते पानी में प्रवाहित करने से काफी परेशानियों के हल होना शुरू हो जाते हैं। 
  3. भगवान शिव की रोजाना पूजा करनी चाहिए और दिन दो बार सुबह और शाम शिव जी की आरती करनी चाहिए। 
  4. शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा भी इन दोष वाले जातकों के लिए उत्तम मानी जाती है। पीपल के पेड़ की सात बार परिक्रमा भी करनी चाहिए।
  5. यदि आप वैवाहिक जीवन में है और घर में कलह कलेश हो रहा और जोडे़ में कोई कालसर्प दोष से पीड़ित है, तो श्री कृष्ण की मोरपंख मुकुट धारण की हुई प्रतिमा को घर में स्थापित करना चाहिए और प्रतिदिन पूजा करनी चाहिए। 
  6. श्रावण मास में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए और भगवान शिव की प्रतिमा पर प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए। जल चढ़ाते समय पतली धार लगानी चाहिए और थोड़ा कच्चा दूध पानी में मिला लेना चाहिए। 
  7. पलाश के पत्तों को गौमूत्र में डालने के बाद छाया में रखकर चूर्ण तैयार करना चाहिए। पीसे हुए चंदन के साथ इस बनाए हुए चूर्ण को मिला दें और इससे शिवलिंग पर त्रिपुण्ड का आकार बनाए। यह उपाय कालसर्प योग से पीड़ित उन जातकों के लिए है जिनको नौकरी नहीं मिल पा रही है।

 

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