Swami Vivekananda Jayanti – प्रति वर्ष 12 जनवरी को ही स्वामी विवेकानंद जी जन्मदिन (जयंती) मनाया जाता हैअपने विचारों से लोगों की जिंदगी को रोशन करने वाले स्वामी विवेकानंद का जन्म साल 1863 में कोलकाता में हुआ था। उनके जन्म वाले दिन को युवा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। आइए जानते हैं इन्ही के कुछ विचार और सरल जीवन जीने के सूत्र और प्रेरणादायक विचारो के बारे में जो हमारे जीवन में ऊर्जा भर देते है।
Swami Vivekananda Jayanti – पुरे भारत देश में स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस (जयंती) को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद महान दार्शनिक,आध्यात्मिक और सामाजिक नेताओं में से एक थे। उनके जन्म दिवस को पूरा भारत देश युवा दिवस के रुप में भी मनाता है। स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी सन्न 1863 में कोलकाता में हुआ था। वे एक सच्चे राष्ट्रभक्त भी थे।
Swami Vivekananda Jayanti – उनका अपने देश के प्रति प्रेम किसी से छिपा हुआ नहीं है। वह लोगों की मदद करने भी सबसे आगे रहते थे। बल्कि वह तो लोगों की सेवा करने को ईश्वर की पूजा करने के समान मानते थे। स्वामी विवेकानंद जी आज भी करोड़ों युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
आइए जानते हैं उनके कुछ अनमोल विचार और सरल जीवन जीने के सूत्रों और प्रेरणादायक विचारो के बारे में जो हमारे जीवन में ऊर्जा भर देते हैं।
Swami Vivekananda Jayanti – अलवर के राजा श्री मंगल सिंह जी ने विवेकानंद जी को मुलाकात हेतु 1891 में अपनी और से बुलावा भेजा था। तब श्री मंगल सिंह ने स्वामी विवेकानंद जी से कहा कि “स्वामीजी यहाँ सभी लोग ईश्वर की मूर्ति की पूजा करते हैं मैं मूर्ति की पूजा में यकीन नहीं करता। तो मेरा क्या होगा। पहले तो स्वामीजी ने कहा कि “हर किसी को उसका विश्वास मुबारक।” फिर स्वामीजी ने राजा का चित्र या तस्वीर लाने के लिए कहा। जब दीवार से उतारकर राजा का चित्र लाया गया तो स्वामीजी ने दीवान से तस्वीर क्र ऊपर थूकने के लिए कहा। तब दीवान उनकी बात से अजीब निगाहों से स्वामीजी की और देखने लगे। तब स्वामी जी ने कहा कि यह भी तो मात्र एक कागज का छोटा सा टुकड़ा है फिर भी आपको इसमें हिचकिचाहट महसूस हो रही है क्योंकि आप सबको पता है कि ये राजा का प्रतीक है |
Swami Vivekananda Jayanti – स्वामीजी ने राजा से कहा, “आप जानते हैं कि ये केवल कागज के टुकड़े पर बनाहुआ एक चित्र है फिर भी इस पर थूकने से आप अपमानित महसू करेंगे। तो यही बात उन सभी लोगों पर भी लागू होती है जो लकड़ी, मिट्टी और पत्थर आदि से बनी हुए मूर्ति की पूजा-अर्चना करते हैं। वो इन धातुओं की नहीं बल्कि अपने ईश्वर के प्रतीक की ही पूजा करते हैं।
Swami Vivekananda Jayanti – स्वामी विवेकानंद नियम और कायदे के बहुत पक्के थे। जो भी नियम वे बनाते थे। वे सभी के ऊपर लागू हुआ करते थे। स्वामी विवेकानंद के मठ में किसी भी औरत का प्रवेश करना वर्जित था । एक समय स्वामी जी बहित बीमार हो गए थे ऐसे में उनके शिष्यों ने उनकी माता जी को उन्हें मिलने के लिए मठ के अंदर प्रवेश दे दिया था लेकिन फिर स्वामी जी इस बात पर बहुत क्रोधित हुए थे विवेकानंद ने अपने शिष्यों को फटकार लगाते हुए कहा, “की तुम लोगों ने एक महिला को मठ के अंदर क्यों आने दिया मैंने ही नियम ये बनाया था और मेरे लिए ही नियमों को तोड़ा जा रहा हैं।तब स्वामी विवेकानंद जी ने अपने शिष्यों को साफ-साफ कह दिया कि मठ के किसी भी नियम को उनके स्वयं लिए भी कभी नहीं नही तोड़ा जायेगा ।