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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114Skand Shasti 2023 – स्कंध षष्ठी 2023 सम्पूर्ण कैलेंडर – अगर आप स्कंद षष्ठी व्रत को धारण करना चाहते हैं। तो आपको इस आर्टिकल में बताई गई व्रत संबंधी संपूर्ण विधि विधान को ध्यान पूर्वक पढ़ लेना चाहिए। भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को ही स्कंध कहा जाता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष और कार्तिक मास शुक्ल पक्ष के विशिष्ट अतिथि को स्कंध षष्ठी व्रत के नाम से जाना जाता है। भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जो कि भगवान गणेश के बड़े भाई हैं। इनकी आस्था में ही स्कंद षष्ठी व्रत रखा जाता है। अधिकतर इस व्रत को दक्षिण भारत में अधिक महत्व दिया जाता है और बड़े विधि विधान के साथ कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस व्रत को ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को विधि विधान के साथ किया जाता है। खासकर चैत्र, आश्विन और कार्तिक मास की षष्ठी को इस व्रत को आरंभ करने का प्रचलन अधिक है।
Skand shasti – स्कंद षष्ठी इस व्रत को धारण करने से होने वाले लाभ की विशेषता आप इसी लेख में जाने वाले हैं। अतः सभी जातक नीचे दी गई व्रत विधि तथा लाभ को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
Skand shasti – स्कंद षष्ठी व्रत संतान की पीड़ा को दूर करने के लिए रखा जाता है। ऐसी मान्यताएं है। धार्मिक पौराणिक कथाओं के अनुसार स्कंद षष्ठी के अवसर पर शिव-पार्वती की पूजा के साथ ही स्कंद की पूजा की जाती है। स्कंद षष्ठी व्रत को महत्व के तौर पर दक्षिण भारत में अधिक तथा विधि विधान के साथ महत्व दिया जाता है। खासकर तमिलनाडु में इस व्रत को बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। दक्षिण भारत में कार्तिकेय को कुमार, स्कंद और मुरुगन के नाम से भी जाना जाता है।
Skand shasti – दक्षिण भारत में इस व्रत को ‘संतान षष्ठी’ नाम से भी जाना जाता है। वहां की मान्यता है इस व्रत को धारण करने पर संतान के सभी प्रकार के दुखों का अंत हो जाता है। जिन जातकों को घर में परेशानी होती है और संतान सुख प्राप्त नहीं है। तथा संतान को किसी प्रकार की व्याधि है। ऐसे में कोई भी जातक इस व्रत को धारण कर सकता है। इस व्रत को रखना बहुत ही आसान है। तथा एक दिन पूर्व व्रत रख कर षष्ठी को कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
Skand shasti – धार्मिक पौराणिक कथाओं के आधार पर तथा स्कंदपुराण के नारद-नारायण संवाद में इस व्रत की महिमा का वर्णन मिलता है। इस व्रत को धारण करने से पुत्र की पीड़ा दूर होती है। तथा सभी दुखों का अंत होता है।
Skand shasti – इस व्रत का विशेष लाभ के रूप में च्यवन ऋषि को आंखों की ज्योति प्राप्त हुई थी। ऐसा पौराणिक कथा में देखा गया है। स्कंद षष्ठी की कृपा से प्रियव्रत का मृत शिशु जीवित हो गया था।
Skand shasti – हिंदी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर स्कंद षष्ठी व्रत को स्वास्थ्य की दृष्टि से भी देखा जाता है। व्रत धारण करने वाले जातकों को स्वास्थ्य संबंधित जो भी कष्ट होते हैं उसने निश्चित तौर पर छुटकारा मिलता है। स्वास्थ्य संबंधी दुखों के निवारण के लिए ही इस व्रत को धारण किया जाता है।
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Skand shasti – हर वर्ष स्कंद षष्ठी त्यौहार को दक्षिण भारत में बड़े धूमधाम के साथ मनाया जाता है , स्कंद षष्ठी 2023 भी हर्षो उल्लास के साथ मनाया जायेगा इस दिन भगवान कार्तिकेय अर्थात श्री माता पार्वती के जेष्ठ पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती है। ये दक्षिण भारत के मुख्य त्योहारों में से एक है। इस दिन यहां लोग कार्तिकेय को मुरुगन नाम से पूजा करते हैं।
Skand shasti – धार्मिक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस षष्ठी का उपवास रखने वाले जातकों को विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस व्रत को सुख समृद्धि का प्रभाव भी कहा जाता है। तथा इस छह दिवसीय उत्सव में सभी भक्त बड़ी संख्या में भगवान कार्तिकेय के मंदिरों में इकट्ठा होते हैं। तथा भक्ति भाव से कार्तिकेय की पूजा करते हैं और व्रत धारण करते हैं।
Skand shasti – वर्ष स्कंद षष्ठी 2023 बहुत्त ही शुभ घडी में है , षष्ठी के दिन श्रद्धालु व्रत धारण करते हैं। तथा भगवान मुरुगन का पाठ बड़े भक्ति भाव से करते हैं। भगवान मुरुगन के मंदिर में सुबह जाकर उनकी पूजा करने का विधान है। व्रत करने वाले श्रद्धालु इस दिन कुछ नहीं खाते और सिर्फ 1 दिन फलाहार लेते हैं। यह त्यौहार 6 दिन लगातार चलता है और जो जातक 6 दिन लगातार एक वक्त व्रत रखता है। उन्हें अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती है।
Skand shasti – स्कंद षष्ठी व्रत धारण करने वाले श्रद्धालु ‘ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात’ मंत्र का जाप करते हैं। इस मंत्र का जाप बहुत ही शुभ फलों की प्राप्ति करवाता है। इस व्रत को धारण करने वाले श्रद्धालुओं को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इस दिन किसी प्रकार के तामसी भोजन का उपभोग नहीं करना चाहिए। तथा इस दिन किसी से लड़ाई झगड़ा या अन्य प्रकार के तमोगुण को महत्व नहीं देना चाहिए। तथा सात्विक भोजन करते हुए सतोगुण को ही महत्व देना उचित रहता है।
Skand shasti – जो श्रद्धालु आस्था और विश्वास के साथ स्कंद त्यौहार के दिन व्रत रखता है। उसे भगवान शिव और पार्वती के साथ-साथ कार्तिकेय की विशेष कृपा निहित होती है।