शिव जी की आरती – Shiv Ji Ki Aarti
Shiv Ji Ki Aarti – भगवान् शिवजी की पूजा-अर्चना करने के बाद आरती का गायन किया जाता है। भगवान् शिवजी की आरती के बिना पूजा-अर्चना अधूरा माना जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर भगवान शिव की आरती करने से हर प्रकार का अमंगल जीवन से दूर हो जाता है। शिवजी की आरती एक दिन में कई बार होती है।
Shiv Ji Ki Aarti – भगवान् शिवजी जी की आरती करने के लिए घी लगी हुई रुई की बत्ती और कर्पूर से ही करनी चाहिए। आरती में अपनीं श्रद्धा के अनुसार 1, 5, 7, 11 या 21 बत्तियां पूजा में रख सकते हैं।
Shiv Ji Ki Aarti – बत्ती से आरती करने के बाद कर्पूर से भी आरती करें। आरती शुरू करने से पूर्व में और आरती करने के बाद में शंख भी बजाएं। आरती करते समय गरुड़ घंटी या अन्य मधुर ध्वनी देने वाले यंत्रो को बजाय जाता है। महाशिवरात्रि के पर्व पर इस तरह से आरती करने से भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं।
आरती शिव जी की – Aarti Shiv Ji Ki
ॐ जय शिव ओंकारा हर ॐ जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ……..
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे |
हंसासंन, गरुड़ासन, वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा। …….
दो भुज चारु चतुर्भज अति सोहें।
तीनों रूप निरखता त्रिभुवन जन मोहें॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ……..
अक्षमाला, बनमाला, रुण्ड़मालाधारी |
चंदन, मृदमग सोहें, भाले शशिधारी ॥
ॐ जय शिव ओंकारा। …….
श्वेताम्बर,पीताम्बर, बाघाम्बर अंगें |
सनकादिक, ब्रह्मादिक, भूतादिक संगें॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ………
कर के मध्य कमड़ंल चक्र, त्रिशूल धरता
जगकर्ता, जगभर्ता, जगससंहारकर्ता ॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ……
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका |
प्रवणाक्षर मध्यें ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ……..
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रम्हचारी |
नित उठी भोग लगावत महिमा अति भारी
ॐ जय शिव ओंकारा। ………
त्रिगुण स्वामी की आरती जो कोई नर गावें
कहत शिवानंद स्वामी मनवांछित फल पावें ॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ………
जय शिव ओंकारा हर ॐ शिव ओंकारा|
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा। ………