शीतला अष्टमी 2023 – शीतला अष्टमी का पर्व माता शीतला जी को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार इनकी पूजा व अराधना से रोगों का नाश हो जाता है, विशेषकर बच्चों को शीतला माता महामारियों से बचाती हैं। इस शुभ अवसर पर लोग दिनभर पूजा करते हैं और माता को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखते हैं। माता दुर्गा का ही यह एक रूप माना जाता है। इनके आर्शीवाद प्राप्ति से स्वास्थ्य ठीक रहता है और जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है। माता दुर्गा के उपासकों के लिए यह दिन बहुत विशेष होता है। इस दिन को लोगों द्वारा बासौड़ा और शीतलाष्टमी के नाम से भी बोला जाता है।
शीतला अष्टमी 2023 – इस दिन लोग अपने घरों में चूल्हा नहीं जलाते हैं, पिछले दिन ही आज के दिन का भोजन बना लिया जाता है। जिसे माता को चढ़ाया जाता और अंत में प्रसाद के रूप में भक्त इसे ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि बासी भोजन सेहत के लिए ठीक नहीं होता है लेकिन मान्यता और अनुष्ठान को ध्यान में रखते हुए कहा गया है कि शीतला माता शीतल स्वभाव की है और सारे रोगों का विनाश करने के लिए सक्षम हैं। यह दिन हमें ऋतु परिवर्तन का संकेत देते हुए सफाई रखने के लिए जागरूक करता है। इस दिन के बाद सभी बासी खाना ग्रहण करना छोड़ देते हैं। कहा जाता है चेचक के रोगी को इनकी पूजा नहीं करनी चाहिए और पीड़ित के परिवार को भी इस दिन पूजा पाठ से दूर रहना चाहिए।
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष के अष्टमी के दिन को शीतला अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के आधार पर बात करें तो इस दिन अप्रैल या मार्च का दिन चल रहा होता है। होली त्यौहार के आठ दिनों के बाद यह पर्व आता है।
इस साल 2023 में शीतलाष्टमी का पर्व 15 मार्च 2023 को यानि बुधवार को मनाई जाएगी।
शीतलाष्टमी की शुभ शुरआत 14 मार्च 2023 को रात 8 : 20 बजे शुरू होगी। और समाप्ति अगले दिन 15 मार्च 2023 को शाम को 6 : 40 बजे होगी।
इस शीतलाष्टमी के पर्व पर माता की खंडित मूर्तियों की पूजा की जाती है।
शीतला अष्टमी 2023 – वहीं चैघड़िया मुहूर्त के आधार पर भी लोग पूजा करते हैं जिसमें समय के आधार पर भिन्न क्षेत्रों की पूजा के समय लाभ या हानि को बताया जाता है। इसमें दिन और रात की चैघड़ियों का अलग अलग समय है। यह चैघड़िया मुहूर्त स्थान के आधार पर मुख्य गणना द्वारा निकाला जाता है, इसलिए इसके बारे में जानने के लिए आपको विशेषज्ञ की सहायता लेनी पड़ेगी।
शीतला अष्टमी 2023 – पौराणिक कथाओं को पढ़कर यह स्पष्ट हो जाता है कि हिंदु धर्म में शीतला अष्टमी का विशेष महत्तव है। यह रोगों को अपने भक्तों से दूर रखती है। शीतला माता का वाहन गधा है, उनके चित्रों में माता गधे पर सवार, एक हाथ में झाड़ू, एक हाथ में नीम की पत्तियां, चार हाथों में से एक में धूलपात्र और पवित्र कलश को एक हाथ में लिए हुए दिखाई देती हैं।
शीतला अष्टमी 2023 – अगर आप शीतला माता जी की अष्टमी को पूरे विधि विधान से मनाना चाहते हैं तो इससे संबंधित अनुष्ठान को जरूर जानना चाहिए। क्योंकि अन्य पर्वाें की अपेक्षा इसके अनुष्ठान काफी भिन्न हैं। ज्यादातर लोग शीतला अष्टमी से संबंधित अनुष्ठान को नहीं जानते हैं। इसलिए किसी विशेज्ञय की सलाह लेनी चाहिए या फिर किसी अच्छी सी पुस्तक को पढ़कर इनके बारे में संक्षेप में जानना चाहिए।
शीतला अष्टमी 2023 – मान्यताओं के अनुसार माता बुरे कीटाणुओं इकट्ठा करने के लिए धूलपात्र का प्रयोग करके उनका नाश कर देती हैं। इस प्रकार शीतला माता के भक्त रोगों से मुक्त होकर स्वास्थ्य और शांतिपूर्वक अपना जीवन व्यतीत करते हैं और यह ही शीतला अष्टमी का प्राथमिक महत्तव है।