आइये दोस्तों आज हम बात करेंगे शहीद मेले के बारे में। और जानेंगे इस मेले के पीछे के इतिहास के बारे में। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में स्तिथ बेवर में शहीदों की स्मृति में यह शहीद मेला लगता है। यह शहीद मेला 23 जनवरी से शुरू होकर 10 फरवरी तक चलता है। लम्बे समय तक चलने वाले इस शहीद मेले में सभी जगहों से शहीदो के परिवार के लोग आते है इसके साथ ही सामान्य लोग भी आते है। इस बार 50 वें शहीद मेले के पोस्टर विनोचन राज्यपाल के द्वारा लखनऊ में पूर्ण हो चुका है।
इस शहीद मेले की समिति के प्रबंधक श्री राज त्रिपाठी ने बताया है कि शहीद मेला समिति के सानिध्य में 23 जनवरी से 10 फरवरी तक लगातार लगेगा। शहीद मेले के कार्यक्रम के लिए मेला समिति के द्वारा तैयारियां भी की जा रही हैं। इस शहीद मेले का 50 वां वर्ष होने के वजह से इस बार यह मेला बड़ी धूमधाम से लगेगा।
मेले समिति के प्रबंधक ने बताया है कि बेवर के आंदोलन में शहीद होने वाले क्रांतिकारी छात्र कृष्ण कुमार,सीताराम गुप्ता और जमुना प्रसाद त्रिपाठी की शहादत की स्मृति में यह शहीद मेला लगता है। इस मेले में होने वाले सभी कार्यक्रमों के आयोजन की समीक्षा भी की जा रही है। शहीद मेला की समिति के द्वारा 50 वें शहीद मेले का आयोजन करने के लिए अनुमति भी मांगी गई है। अनुमति मिलने के पश्च्यात ही कार्यक्रमों के आयोजन पर समिति के द्वारा विचार-विमर्श किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी के बेवर में लगने वाले इस “शहीद मेला’ जंग-ए-आजा़दी में शामिल होने वाले सभी महानायकों को बड़ी ही शिद्दत के साथ याद किया जाता है। 19 दिन तक लगातार चलने वाले इस शहीद मेले में प्रत्येक दिन अलग-अलग प्रकार के लोक सांस्कृतिक- एवं सामाजिक कार्यक्रमो का आयोजन किया जाता है। जैसे की शहीद प्रदर्शनी,नाटक,फोटो प्रदर्शनी, एवं शहीद परिजन सम्मान समारोह का आयोजन होता है। और रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया जाता है। स्वतंत्रता सेनानी सम्मेलन का आयोजन होता है। लोकनृत्य प्रतियोगिता, पत्रकार सम्मेलन, कवि सम्मेलन, राष्ट्रीय एकता सम्मेलन एवं शहीद मेला फ़िल्म फेस्टिवल आदि के आयोजन भी किये जाते हैं।
साल 1994 में थाना-बेवर, जिला-मैनपुरी उत्तर प्रदेश के सामने “शहीद मंदिर” को बनवाया गया था। यहां पर 1942 की जनक्रांति में शहीद होने वाले तीनों अमर शहीद जिनका नाम – 1 – जमुना प्रसाद त्रिपाठी 2 – विद्यार्थी कृष्ण कुमार उम्र 14 वर्ष और 3 – सीताराम गुप्त की यहाँ पर समाधि भी बनिहुई हैं। इस अनोखे ‘शहीद मंदिर’ में केवल इन 3 ही अमर शहीदों के साथ-साथ अन्य 2 शहीदों की प्रतिमाएं भी लगाई गई हैं। एक क्रांतिकारियों के द्रोणाचार्य माने जाने वाले मातृवेदी नामक एक गुप्त संस्था के संस्थापक एवं मैनपुरी एक्शन के पंडित गेंदालाल दीक्षित और दूसरी ओर नवीगंज नगर के शहीद देवेश्वर तिवारी की भी प्रतिमाएं यहाँ पर स्थापित की गई हैं। इसके अतिरिक्त यहां पर आज़ादी के 21 महानायकों की प्रतिमाएं एक विशाल मण्डप के नीचे लगी हुई हैं। पुरे भारत देश में केवल ये एक ही ऐसा मंडप है जिसके नीचे जंग-ए-आजा़दी के वीर योद्धाओं की स्मृति को संजोने रखने वाला यह एकमात्र मंदिर है।
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