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Rohini Vrat 2023 | जाने रोहिणी व्रत 2023 कब है, व्रत कथा, नियम और इसका महत्व
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Rohini Vrat 2023 | जाने रोहिणी व्रत कब है, व्रत कथा, व्रत के नियम और इसका महत्व
November 22, 2022

Rohini Vrat 2023 | जाने रोहिणी व्रत कब है, व्रत कथा, व्रत के नियम और इसका महत्व

जानिए रोहिणी व्रत 2023  कब है – Janiye Rohini Vrat 2023 Kab Hai 

Rohini Vrat 2023   – जैन समुदाय द्वारा किया जाने वाला रोहिणी व्रत पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध व्रत है। इसे देश के कोने कोने में मनाया जाता है। भगवान वासुपूज्य जी को रोहिणी व्रत समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर रोहिणी देवी के साथ साथ भगवान वासुपूज्य जी की विधिवत पूजा की जाती है। यह व्रत अन्य व्रतों से थोड़ा भिन्न होता है। 

इस व्रत को क्यों करना चाहिए – Is Vrat ko Kyo Karna Chahiye

Rohini Vrat 2023   – रोहिणी व्रत प्रत्येक माह आने वाला व्रत है और कई बार संयोग से एक माह में दो बार किया जाता है। यह व्रत लिंग विशिष्ट नहीं है, इसे कोई भी कर सकता है। महिलाओ द्वारा रोहिणी व्रत अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन को व्रत रखकर इसे त्योहार की भांति मनाया जाता है। प्राचीन काल से इसे त्योहार के रूप में जैन समुदाय द्वारा मनाया जाता आ रहा है।Rohini Vrat 2023   – इस व्रत के साथ कई पौराणिक कथाएं जुड़ी हुई हैं। जिनमें से सबसे लोकप्रिय कथा के बारे में हम आपको आगे बताएंगे। इससे पहले यह जान लेते हैं कि रोहिणी व्रत वर्ष के किस समय किया जाता है।

जानिए 2023 में कब है रोहिणी व्रत 

दिनांक  वार  पक्ष  तिथि 
4 जनवरी 2023 बुधवार शुक्ल पक्ष त्रियोदशी
31 जनवरी 2023 मंगलवार शुक्ल पक्ष दशमी
27 फरवरी 2023 सोमवार शुक्ल पक्ष अष्टमी
27 मार्च  2023 सोमवार शुक्ल पक्ष षष्ठी
23 अप्रैल 2023 रविवार शुक्ल पक्ष तृतीया
21 मई  2023 रविवार शुक्ल पक्ष द्वितीय
17 जून 2023 शनिवार शुक्ल पक्ष चतुर्दशी
14 जुलाई 2023 शुक्रवार शुक्ल पक्ष द्वादशी
10 अगस्त 2023 गुरुवार कृष्ण पक्ष दशमी
7 सितम्बर 2023 गुरुवार कृष्ण पक्ष अष्टमी
4 अक्टूबर 2023 बुधवार कृष्ण पक्ष षष्ठी
31 अक्टूबर 2023 मंगलवार कृष्ण पक्ष तृतीया
28 नवंबर 2023 मंगलवार कृष्ण पक्ष प्रतिपदा
25 दिसम्बर 2023 सोमवार कृष्ण पक्ष चतुर्दशी

रोहिणी व्रत कब होता है – Rohini Vrat 2023 Kab Hai

Rohini Vrat 2023   – धार्मिक मान्ताओं के अनुसार नक्षत्रों की कुल संख्या 27 होती है। इन 27 नक्षत्रों में एक रोहिणी नक्षत्र होता है, जिसका संबंध इस व्रत से है। जब महीने में सूर्योदय के पश्चात रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है, उस समय इस व्रत को किया जाता है। एक वर्ष में कम से कम छह से सात बार यह व्रत आता है, और कई बार यह नक्षत्र माह में दो बार आ जाता है।

 

रोहिणी व्रत क्यों किया जाता है – Rohini Vrat 2023 Kyo KIya Jata Hai

Rohini Vrat 2023   – इस व्रत को महिलाएं अपने पति की दीर्घ आयु की कामना से रखती हैं। माना जाता है इस व्रत को करने वाली महिला के जीवनसाथी को लंबी आयु के साथ साथ अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति भी होती है। इस व्रत को कोई भी कर सकता है। भगवान वासुपूज्य के उपासक इस व्रत का पालन पूरे विधि विधान से करते हैं। माना जाता है विधिवत इस व्रत को करने से सुख और धन धान्य की प्राप्ति होती है। इसलिए पुरुषों द्वारा भी इस पवित्र व्रत को किया जाता है।

 

रोहिणी व्रत कथा – Rohini Vrat 2023 Katha

Rohini Vrat 2023   – रोहिणी व्रत से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन सबसे लोकप्रिय कथा के अनुसार प्राचीन काल में धनमित्रा नाम के राजा की एक पुत्री थी। जिसका नाम दुर्गंधा रखा गया था। दुर्गंधा के शरीर से पैदा होते ही बदबू आती थी। कई प्रयासों के बाद भी उसकी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया। जिसकी वजह से राजा धनमित्रा चिंतित रहता था कि आखिर कौन मेरी पुत्री से विवाह करेगा। राजा ने अपने मित्र वस्तुपाल से अपनी बेटी के विवाह के बारे में बात की, और अपना पूर्ण धन देकर वस्तुपाल के पुत्र से अपनी पुत्री का विवाह कर दिया। 

Rohini Vrat 2023   – विवाह के कुछ समय पश्चात ही दुर्गंधा की दुर्गंध से उसके पति की मृत्यु हो गई और विधवा हो गई। इससे राजा व्याकुल हो गए और एक ऋषि के पास गए। राजा ने अपनी पूरी समस्या को उस ऋषि को बता दिया। तब उस महान ऋषि ने राजा को बताया कि अपनी पुत्री से पांच साल तक रोहिणी व्रत करने के लिए कहो। पिता के बताए गए इस उपाय को मानकर दुर्गंधा ने पांच सालों तक इस व्रत का पालन किया। जिससे वह दुर्गंध की समस्या से मुक्त हो गई। इसी व्रत की कृपा से अगले जन्म में उसका विवाह अशोक से हुआ, जो कि हस्तिनापुर के राजा थे।

 

रोहिणी व्रत के नियम – Rohini Vrat 2023 Ke Niyam 

  • इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना बहुत आवश्यक होता है।
  • माना जाता है तीन, पांच और सात साल निश्चित रूप से इस व्रत का पालन करना चाहिए। इस व्रत की उचित अवधि पांच वर्ष की मानी जाती है। जिन अनुयायियों द्वारा पांच वर्ष की अवधि तक व्रत का पालन करना संभव नहीं हो पाता। इसके लिए पांच माह का समय भी उत्तम माना गया है।
  • रोहिणी व्रत को कितने समय तक करना इसका निर्णय स्वंय लिया जाता है। इस समय अवधि में व्रत करने का संकल्प लेने के पश्चात, इस व्रत का उद्यापन तभी किया जाता है, जब अवधि पूर्ण होे जाती है। इसलिए दृढ़ निश्चय के बाद ही संकल्प लेना चाहिए।
  • व्रत का उद्यापन हो जाने के बाद गरीबों को भोजन कराना चाहिए और दान करना चाहिए। इसी के साथ साथ पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ वासुपूज्य की पूजा करनी चाहिए।
  • भगवान वासुपूज्य जी के दर्शनों के साथ ही व्रत का उद्यापन उचित माना जाता है।
  • इस दिन भगवान वासुपूज्य की ताम्र, पंचरत्न या स्वर्ण की मूर्ति की स्थापना की जाती है और पूरा दिन भगवान की आराधना करके स्थापित मूर्ति का पूजन किया जाता है।
  • पूजा के पूर्ण हो जाने के बाद नैवेद्य, वस्त्र और पुष्प अर्पित करके फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।
  • इस व्रत को करते समय मन में ईर्ष्या और द्वेष जैसे भावों को नहीं लाना चाहिए।

रोहिणी व्रत का महत्व – Rohini Vrat 2023 Ka Mahatva

Rohini Vrat 2023   – जैन धर्म में रोहिणी व्रत विशेष महत्व रखता हैं। हिंदू और जैन धर्म में नक्षत्र की गणना और मान्यता एक जैसी ही होती है। इसलिए हिंदुओं के लिए भी यह दिन महत्वपूर्ण होता है। व्रत न रखने वाले भक्त इस दिन तामसिक भोजन का त्याग कर सात्विक भोजन को ग्रहण करते हैं। जैन धर्म में पूरा दिन नियमों और अनुष्ठान का पालन करते हुए व्रत और पूजन किया जाता है। इस दिन किए गए दान को बहुत फलदायी माना जाता है।

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