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action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114आइये दोस्तों आज हम बात करेंगे राजस्थान राज्य के पुष्कर मेले के बारे में। और जानेंगे इस मेले की खूबियों के बारे में।
पुष्कर का नाम सुनते ही मन में दो चीजें ही सबसे पहले हमारे दिमाग में आती हैं। पहली ब्रह्मा जी का भव्य मंदिर एवं दूसरा यहां के मेला का आनंद। वैसे तो ऐसे मेले पूरे देश में कहीं ना कहीं पर आये दिन लगते ही रहते हैं। पशुओं के मेले भी आए दिन लगते ही रहते हैं। परन्तु पुष्कर में जो मेले का आयोजन होत है। उसकी तो बात ही कुछ अलग है।
यहां पर ऊंटों का मेला भी लगता है। और यह मेला इतना मज़ेदार लागत है कि लोग दांतों तले उंगली भी दबा लेते हैं। इस मेले की शुरूआत कार्तिक पूर्णिमा वाले दिन होती है। इस साल 2024 में ये मेला 09 नवंबर 2024 को शुरू होकर 15 नवंबर 2024 तक लगेगा । कई सालों से पुष्कर मेला निरंतर लगता आ रहा है एवं राजस्थान की सरकार भी इसके लिये अनुदान राशि भी देती है। इस मेले का आयोजन रेत के टीलों पर कई किलोमीटर की दूरी तक लगता है। यहाँ पर खाने पीने की चीजों से लेकर, झूले, नाच गाना ,और तमाशा भी यहां होता है।
हज़ारों की संख्या में विदेशी सैलानी भी पुष्कर के इस मेले में आते हैं। ज्यादातर विदेशी सैलानी राजस्थान में सिर्फ इस पुष्कर मेले को देखने केलिए ही आते हैं। यहाँ सबसे सुन्दर नज़ारा तो तब दिखाई देता है। जब मेले के स्थान के ऊपर से गर्म हवा वाले रंग बिरंगे गुब्बारे उड़ते रहते हैं। इन गुब्बारों में बैठकर इस मेले को ऊपर से देखने में ये मेला भव्य दिखता है।
पुष्कर मेला खासतौर पर ऊंटों एवं पशुओं का होता है। पूरे राजस्थान से लोग अपने-अपने ऊंटों को लेकर यह पर आते हैं। एवं उनकी प्रदर्शनी भी करते है। इस मेले में ऊंटों की दौड़ भी होती है। जीतने वाले ऊंट को अच्छा इनाम देकर भी सम्मानित किया जाता है। पारंपरिक परिधानों /वस्त्रो से ऊंटो को कुछ इस तरह से सजाया जाता हैं। कि उनसे हमारी नज़र नहीं हटती है ।
सबसे सुंदर दिखने वाले ऊंट एवं ऊंटनी को भी इनाम भी दिया जाता है। इस मेले में ए हुए सैलानियों को ऊंटों की सवारी भी करवाई जाती है। इतना ही नहीं इस मेले में ऊंटों का डांस एवं ऊंटों से वेटलिफ्टिंग भी बढ़िया तरोके से करवाई जाती है। यहाँ पर ऊंट अपने नए नए खेल भी दिखाते हैं। यहा नृत्य भी होता है। यहाँ पर राजस्थान के लोक गीत भी गाए जाते हैं। एवं रात के समय में अलाव (आग) जलाकर गाथाएं भी सुनाई जाती हैं।
पुष्कर के इस भव्य मेले की शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा से ही शुरू हो जाती है। एवं पुष्कर के सरोवर में नहाना भी तीर्थ करने के बराबर ही माना जाता है। इस पवित्र दिन लाखों की संख्या में भक्तगण इस सरोवर में स्नान करके ब्रह्मा जी के दर्शन करके उनका आशीर्वाद भी लेते है। फिर इस भव्य मेले में खरीदारी भी करते हैं। पुरे दिन और शाम को पारंपरिक रूप से नृत्य करते है।
घूमर,गेर मांड एवं सपेरा का कार्यकर्म भी दिखाए जाते हैं। यह पर शाम के समय में आरती भी होती है। इस आरती को शाम के समय पर सुनने से मनुष्य के मन को बहुत शांति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है।
इस मेले में पहुंचने के लिए सभी साधन उपलभ्ध है। यदि आप हवाई जहाज से आना चाहते है तो आप जयपुर एयरपोर्ट पर आइये और वहा से प्राइवेट टैक्सी से भी आ सकते है। यह जयपुर से लगभग 140 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है।
यदि आप ट्रैन से आते है तो अजमेर जंक्शन पर से टेक्सी करके आ सकते है। क्योकि अजमेर रेलवे जंक्शन से दूरी लगभग 11 किलोमीटर की दूरी पर स्तिथ है। यदि आप अपने निजी साधन से आते है तो आसकते है ,यहाँ पर कार पार्किंग की भी उचित व्यवस्था भी की जाती है। जिसका एक निश्चित शुल्क देना पड़ता है।
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