astrocare
domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114पितृ पक्ष 2023 – हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक के क्रियाकर्म का उल्लेख पुराणों में मिलता है। गर्वधारण के समय में भी रिति रिवाज़ों और परंपराओं का अनुसरण कर प्रत्येक क्रिया को एक विशेष विधि से किया जाता है। मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार करने की भी विशेष प्रक्रिया है। ऐसे में मृत्यु के बाद भी अपने पूर्वजों को शांति प्रदान करने और उनके आर्शीवाद को प्राप्त करने लिए भी स्नातक धर्म में कुछ ऐसे विशेष दिन आते हैं। जिनको बहुत ध्यानपूर्वक भारत के प्रत्येक क्षेत्र में अनुष्ठान का पालन करके मनाया जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – वैदिक परंपराओं के अनुसार अंत्येष्टि को अंतिम संस्कार माना गया है, लेकिन इस कर्म के बाद भी संतान के अपने पूर्वजों के प्रति कुछ धर्म होते है जिनको वह पितृ पक्ष के समय पितरों को प्रसन्न उनकी आत्मा की शांति और आर्शीवाद प्राप्ति हेतु श्राद्ध करके अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। श्राद्ध कर्म की तिथियां कई दिनों तक चलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार श्राद्ध की तिथि भाद्र मास की पूर्णिमा से आरंभ हो जाती हैं और अश्र्विन मास की अमावस्या तक श्राद्ध के दिन चलते रहते हैं। पूर्वजों को समर्पित श्राद्ध के इन दिनों में किए गए अशुभ कार्याें का बहुत दोष लगता है इसलिए इन दिनों में बुरे कार्याें का खास ध्यान रखना पड़ता है।
पितृ पक्ष 2023 – इसके बारे में पूरी जानकारी का ज्ञात होना अतिआवश्यक है इसलिए हम आपको विस्तार से पितृ पक्ष के बारे में बताएंगे। इसी के साथ यह भी बताएंगे कि वर्ष के किस समय पितृ पक्ष और श्राद्ध आतें हैं और क्यों श्राद्ध किए जाते हैं। इसके बारे में जानने के बाद आपको पता चल जाएगा कि पितृ पक्ष और श्राद्ध का हमारे धर्म में क्या महत्व है और इसे करना कितना जरूरी है। कारणों और महत्व के बारे में जानकर ही हम इन दिनों को श्रद्धा और आस्था से मना सकते है अन्यथा मात्र अपने कर्तव्य के रूप में इन दिनों में किए गए दान से इतना फल नहीं मिलता। वहीं किए गए विधि विधान का कारण पता होने पर जातकों द्वारा इसे पूरी निष्ठा से किया जाता है जिससे शीघ्र ही फल व आर्शीवाद की प्राप्ति होती है। आइए जानतें हैं पितृ पक्ष के बारे में।
पितृ पक्ष 2023 – यह वर्ष का वह दिन होता है जिसमें जातक देव पूजा से पहले अपने पूर्वजों की पूजा करते हेतु उनके मृत्योपरांत इन दिनों को मनाया जाता है। माना जाता है पितृ पक्ष के दिनों में यदि जातक अपने पितरों को प्रसन्न कर देते हैं तो उससे देवता भी खुश हो जाते हैं। लोक से मुक्ति प्राप्त करने के लिए पितृ पक्ष का समय काल होता है। पितृ पक्ष 15 दिनों तक चलता हैं। पितृ पक्ष वह समय होता है जब हमारे पूर्वज पृथ्वी पर निवास करते हैं और अपनी पीढी से जुड़े मोह के कारण उन पर अपनी दृष्टि डालते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि देव ऋण पितृ ऋण और ऋषि ऋण ऐसे ऋण है जिनको पूरे जीवनकाल में की गई पूजा अराधना से नहीं चुकाया जा सकता है।
पितृ पक्ष 2023 – इसलिए पितरों को खुश रखने का कोई अवसर छोड़ना नहीं चाहिए। पितृ पक्ष में श्राद्ध द्वारा आस्था और श्रद्धा से किए गए भोजन व अन्य दान को हमारे पितर बहुत खुशी स्वीकार कर बहुत प्रसन्न होते हैं। इसलिए पितृ पक्ष का समय हिंदुओं के लिए बहुत उत्तम समय होता है जिसमें वह अपने पूर्वजों की आत्मा को इस लोक से मुक्ति दिला सकते हैं। अपने पूर्वजों के प्रति इस अनुष्ठान को न करने से उनकी आत्मा कभी तृप्त नहीं हो पाती और कई बार तो जातकों को दोष लग जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – दोष के चलते जीवन में कई समस्याएं आती है और उनकी आत्मा भूत प्रेत का रूप धारण कर पृथ्वी पर भटकती रहती हैं। कई बार परिस्थियां इतनी गंभीर हो जाती कि यह प्रेत आत्माएं अपनी ही पीढ़ी को हानिा पहुंचाने का प्रयास करती हैं। पितृ दोष को कुंडली में लगने वाला सबसे जटिल दोष माना जाता है। इसलिए इसे हलके में नहीं लेना चाहिए और पूर्वजों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से करना चाहिए।
पितृ पक्ष 2023 – पंद्रह दिनों तक चलने वाला यह समय प्रत्येक वर्ष भाद्र मास की पूर्णिमा से शुरू हो जाता है जिसमें श्राद्ध द्वारा पितरों तक अन्न व भोजन का एक भाग पितरों तक पहुंचाया जाता है। श्राद्ध के यह दिन अश्र्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं। अश्र्विन मास की अमावस्या को पितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। पितृ ऋण को चुकाना तो वैसे असंभव माना गया है लेकिन इस दिन की गई पूजा और दान से पितृ ऋण को पूरा माना जाता है क्योंकि इससे पितर खुश होकर ऋण मुक्ति का आर्शीवाद दे देते हैं। भारत के कई क्षेत्रों में इसे महालय के नाम से पुकारा जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – 2023 में 29 सितंबर से इन श्राद्धों की तिथि का समय आरंभ हो जाएगा और 14 अक्तूबर तक यह समय रहेगा। इस समय के ज्ञात होने से ही जातक सही समय पर पूजा कर सकने में सक्षम हैं। इस समय में की गई पूजा से पूर्वज व पितृ की आत्मा तृप्त हो जाती है। इस समय में की गई पूजा से सामान्य पूजा से कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है। पितृ दोष से पीड़ित जातकों के लिए इस समय का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।
वर्ष 2023 में पूर्णिमा श्राद्ध 29 सितंबर की तिथि से आरंभ होकर सर्वपितृ की अपावस्या को 6 अक्तूबर के दिन समाप्त हो जाएंगे।
पितृ पक्ष 2023
शुक्रवार 29 सितंबर 2023 – पूर्णिमा श्राद्ध
शुक्रवार 29 सितंबर 2023 – प्रतिपदा श्राद्ध
शनिवार 30 सितंबर 2023 – द्वितीया श्राद्ध
रविवार 01 अक्टूबर 2023 – तृतीया श्राद्ध
सोमवार 02 अक्टूबर 2023 – चतुर्थी श्राद्ध
मंगलवार 03 अक्टूबर 2023 – पंचमी श्राद्ध
बुधवार 04 अक्टूबर 2023 – षष्ठी श्राद्ध
गुरुवार 05 अक्टूबर 2023 – सप्तमी श्राद्ध
शुक्रवार 06 अक्टूबर 2023 – अष्टमी श्राद्ध
शनिवार 07 अक्टूबर 2023 – नवमी श्राद्ध
रविवार 08 अक्टूबर 2023 – दशमी श्राद्ध
सोमवार 09 अक्टूबर 2023 – एकादशी श्राद्ध
बुधवार 11 अक्टूबर 2023 – द्वादशी श्राद्ध
गुरुवार 12 अक्टूबर 2023 – त्रयोदशी श्राद्ध
शुक्रवार 13 अक्टूबर 2023 – चतुर्दशी श्राद्ध
शनिवार 14 अक्टूबर 2023 – सर्व पितृ अमावस्या
श्राद्ध कब किए जाते हैं – Sharadh Kab Kiye Jate Hai
पितृ पक्ष 2023 – कानागत नाम से प्रसिद्ध पितृ पक्ष को श्राद्ध के रूप में 15 दिनों तक मनाया जाता है। माना जाता है श्राद्ध पूर्णिमा के साथ 15 से 16 दिनों तक मनाए जाने वाले यह दिन आरंभ हो जाते हैं। श्रद्धा भाव से ब्राह्मणो द्वारा किए गए भोजन के अंश को पितरों तक पहुँचाने के लिए इन दिनों को मनाया जाता है। इन दिनों में पूर्वजों श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु इन दिनों को विशेष माना गया है। रामायण और महाभारत में कथित कथाओं को सा़क्षी मानकर भी श्राद्ध के इन दिनों को मनाया जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – पितरों को समर्पित इन दिनों को पूर्वजों को प्रसन्न व इस लोक से मुक्ति दिलाने के लिए श्राद्धों को किया जाता है। वही मान्यतों अनुसार जब कौरवों और पांडवों का युद्ध समाप्त हुआ था तब युद्ध में वीर गति को प्राप्त हुए सभी योद्धाओं को सोने और चाँदी के बर्तनों में भोजन परोसा गया था।
पितृ पक्ष 2023 – उस समय अपने कर्तव्य और मित्र के प्रति लिए गए निर्णय के कारण दान वीर कर्ण को भगवान द्वारा मोक्ष प्रदान किया गया था। महावीर कर्ण ने अपने जीवन काल में सोने.चाँदी के साथ हीरों का दान देकर अपने जीवन में पुण्य को प्राप्त किया था। इनको बहुत बड़ा दानवीर माना जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – लेकिन कहा जाता है कि अपने पूर्वजों से संबंधित कोई दान न करने के कारण से कर्ण को पृथ्वी पर इन 15 से 16 श्राद्ध के दिनों में भ्रमण करना पड़ता है। पितृ दान वह दान है जिसकी किसी भी दान से तुलना नहीं की जा सकती है।
पितृ पक्ष 2023 – ऐसा माना जाता है इन श्राद्ध के दिनों में ही अपनी गलती का पता लगने के बाद कर्ण ने अपने पूर्वजों की पूजा कर दान तर्पण किया था। इस कारण से भी श्राद्धों का आज के समय में भी इतनी आस्था से मनाया जाता है। इन दिनों महावीर कर्ण ने पितृ ऋण को चुका कर स्वर्ग लोक में प्रवेश किया था।
पितृ पक्ष 2023 – इन दिनों में तर्पण के साथ.साथ पिण्ड दान भी किया जाता है। पितरों की शांति की कामना कर ही पिण्ड दान किया जाता है। पितृ पक्ष में किए गए इन कर्माें का हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष महत्व है। माना जाता है कि जिस दिन पूर्वज की मृत्यू हुई हो श्राद्ध के समय पितृ पक्ष में पड़ने वाली उसी तिथि को किए गए श्राद्ध को उत्तम माना जाता है। दुर्घटना से हुई मृत्यु वाले पूर्वजों का श्राद्ध चतुर्थी की तिथि को किया जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – श्राद्ध के अनुष्ठान को तीन पीढ़ियों तक किए जाने वाला विधान माना गया है। प्रत्येक वर्ष श्राद्ध के इस कर्म को करना हिंदू धर्म में बहुत आवश्यक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार यमराज श्राद्ध पक्ष में किए गए तर्पण से जीव को नरक में भुक्ते जाने वाले काष्टों से मुक्त कर देते हैं। तीन पूर्वजों में पिता को देवता के समान माना जाता है इसलिए उनकी आत्मा शांति हेतु श्राद्ध करना बहुत आवश्यक है। भारत में उत्तरप्रदेश उत्तराखंड के केदारनाथ और बद्रीनाथए तमिलनाडु के रामेश्र्वरम और राज्य महाराष्ट्र के नासिक में यह दिन पर्व के रूप में मनाया जाता है।
पितृ पक्ष 2023 – यदि जातकों को मृत्यु तिथि का पता नहीं है तो इस श्राद्ध को अमावस्या के दिन किया जाता है। दुर्घटना से हुई मृत्यु को श्राद्ध की चतुर्थी के दिन किया जाता है। पुराणों में प्रत्येक अवस्था को ध्यान में रखते हुए इस दिन किए जाने वाले विधि विधान का उल्लेख ग्रथों में मिलता है। इसलिए इस दिन बुरे कार्याें से दूर रहकर आस्था के साथ ग़रीबों और ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। जिससे पितरों को उस किए गए भोजन का एक अंश प्रसाद के रूप में मिलता है। इस दिन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व रहा है और आगे भी इसी महत्ता से इन दिनों को में कर्म को किया जाएगा।