फुलेरा दूज 2023 – हिन्दू धर्म में फुलेरा दूज का अपने आप में एक बड़ा महत्व है। फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि ही फुलेरा दूज मनाई जाती है। हिन्दू धर्म में इसकी बहुत मान्यता है भारत के कोने कोने में इसे पर्व के रूप में मानते है परन्तु उत्तर भारत में इसकी मान्यता कुछ ज्यादा है। फुलेरा दूज 2023 में 21 फरवरी सुबह 09 बजकर 5 मिनट पर है।
फुलेरा दूज 2023 – फुलेरा दूज वाले दिन अधिकांश परिवार अपने घरो में और पूजा घर में भगवन श्री कृष्णा की पूजा अर्चना करते है , उन्हें पुष्प चढ़ाते है और शुभ फलो की कामना करते हैं। इस दिन राधा रानी और कृष्ण के मंदिरो में रासलीला , होली और फूलो का महोत्सव मनाया जाता है।
फुलेरा दूज 2023 – हिन्दू धर्म में प्रत्येक शुभ कार्य एक शुभ मुरूरत में करने का रिवाज है जैसे शादी , गृह प्रवेश , नाम करन, इत्यादि परन्तु यह एक ऐसा दिन है जिस दिन अबूझ मुहूर्त होता है। इसकी मान्यता है की इस दिन किया हुवा काम शुभ होता है सम्पूर्ण दिन उचित मुहूर्त रहता है। इस दिन किसी भी नए काम की शुरुवात की जा सकती है और शादी की जा सकती है।
फुलेरा दूज 2023 कब है – Fulera Dooj 2023 Kab Hai
साल 2023 में फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 को यानि मंगलवार को मनाई जाएगी।
इस साल 2023 में फुलेरा दूज 21 फरवरी 2023 को यानि मंगलवार को मनाई जाएगी।
इस तिथि की शुभ शुरआत 21 फरवरी 2023 को 9 : 5 बजे होगी।
और तिथि की समाप्ति 22 फरवरी 2023 को 5 : 55 बजे होगी।
-इस दिन राधा रानी और श्री कृष की साथ में पूजा की जाती है
-इस दिन अबूझ मुहूर्त होता है इस दिन की जाने वाली पूजा सफल होती है
-हिन्दू मान्यता के अनुसार श्री कृष ने इस दिन होली खेलने का प्रचलन शुरू किया था
– इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है और वो शुभ भी होता है
– दूज वाले दिन फूलो की रंगीन होली खेली जाती है और भगवान को फूलो से खुश किया जाता है
-इसे एक पर्व के रूम में माना जाता है क्यों की इस दिन अनगिनत शादी होती है।
फुलेरा दूज 2023 – आइये जानते है की कैसे मानते है फुलेरा दूज पर्व , जैसा की हमने पढ़ा जी निस दिन भगवान कृष्ण को फूलो की होली खेल कर खुश किया जाता है , जी हाँ इस दिन मंदिरो में श्री कृष्ण की अद्भुत प्रतिमा के सामने फूलो की झांकिया सजाई जाती है और श्री कृष्ण को फूलो से सजाया जाता है। ब्रज भूमि पैर इस दिन बहुत बड़ा पर्व मनाया जाता है क्यों की ये श्री कृष्ण की भूमि मानी जाती है। एक रंग बिरंगा मन मोहने वाला कपड़ा भगवान कृष्ण के कमर पैर बांध दिया जाता है इस से ये प्रतीत होता है की श्री कृष होली खेलने के लिए तैयार है। ईश्वर के शयन भोग के बाद इस कपडे को हटा दिया जाता है