नीम करोली बाबा का परिचय – Neem Karoli Baba Ka Parichay
नीम करोली बाबा का परिचय – नीम करोली बाबा का मूल नाम श्री लक्ष्मीनारायण शर्मा था। और उनका जन्म उत्तर प्रदेश राज्य के अकबरपुर नामक गांव में सन्न 1900 के लगभग हुआ था। और केवल 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने असीम ज्ञान की प्राप्ति भी कर ली थी। इनके पिताजी का नाम श्री दुर्गा प्रसाद शर्मा था। उन्होंने नीम करोली बाबा का विवाह मात्र 11 वर्ष की आयु में कर दी थी
नीम करोली बाबा कौन थे
नीम करोली बाबा का परिचय – नीम करोली बाबा वर्तमान समय में भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी इन्हे बड़े संत के रूप में माने जाते है। और उनके कारनामों से भक्त उन्हे दिव्य पुरुष भी मानते है। एप्पल कंपनी के फाउंडर ‘स्टीव जॉब्स’ और भारत देश के प्रधानमंत्री ‘श्री नरेंद्र मोदी’और क्रिकेटर ‘विराट कोहली’ से लेकर बॉलीवुड अभिनेत्री ‘अनुष्का शर्मा’ तक नीम करोली बाबा के परम भक्त है। आज के इस लेख में हम जानेंगे इनके संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में।
नीम करोली बाबा थे हनुमान जी के भक्त
नीम करोली बाबा का परिचय – नीम करोली बाबा खुद हनुमान जी की पूजा करते थे वे हनुमान जी के परम भक्त थे। लेकिन उनके भक्त उनको ही हनुमान जी का साक्षात अवतार मानते थे। मतलब ये है की नीम करोली बाबा भारत में ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्द है। लेकिन उनके भक्त आज भी उन्हें उतनी ही श्रद्धा से मानते एवं पूजते है।
नीम करोली बाबा का आश्रम कहां है
नीम करोली बाबा का परिचय – नीम करोली बाबा का आश्रम उत्तराखंड के ककड़ी नामक धाम में स्तिथ है। जहां लोग देश विदेश से उनके दर्शन करने पहुंचते है। इस पहाड़ी इलाके में बने इस भव्य मंदिर में पांच देवी-देवताओं के मंदिर भी है जिसमें से एक हनुमान जी का भी भव्य मंदिर है।
अनेक नाम है बाबा के
नीम करोली बाबा का परिचय – नीम करोली बाबा जब जीवित थे। तब भक्त उन्हे लक्ष्मण दास,हांडी वाले बाबा, तिकोनिया वाले बाबा और तलईया बाबा आदि नामो से भी पुकारा करते थे।
नीब करोली नाम की अनोखी कहानी और चमत्कार
नीम करोली बाबा का परिचय – एक समय की बात है जब बाबा ट्रेन के फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे। परन्तु उनके पास टिकट नहीं था। जब टीसी आया तो बाबा के पास टिकट नहीं होने के कारण बाबा को अगले स्टेशन ‘नीम करोली’ में उतार दिया था। बाबा कुछ दुरी पर जाकर अपना चिमटा धरती में गड़ाकर वही बैठ गए तो फिर रेल के ऑफिसर्स ने रेल को चलाने का आदर्श दिया और गार्ड ने हरी झंडी दिखा दी लेकिन बहुत प्रयास करने के बाद भी ट्रैन नहीं चल पाई।
भरपूर प्रयास करने के बाद भी रेल आगे नही बढ़ी तो एक लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था। और वो उसी ट्रैन में अपना सफर कर रहा था। उसने रेल ऑफिसर्स से कहा की बाबा से माफी मांगकर सम्मानपूर्वक उन्हे अंदर बैठा लो और जैसे ही बाबा ट्रेन में बैठे तो ट्रैन चल पड़ी तभी से इनका नाम नीम करोली बाबा पड़ा था।
परिवार नीम करोली बाबा का
नीम करोली बाबा के दो पुत्र और एक पुत्री थी। उनका बड़े बेटे का नाम ‘अनेक सिंह’ अपने परिवार के साथ भोपाल में निवास करता है। और उनका दूसरा पुत्र ‘धर्म नारायण शर्मा’ वन विभाग में रेंजर पद पर रहा। जिनका हाल ही में निधन भी हो चूका है। बाबा की एक पुत्री भी है जिसका नाम ‘गिरिजा देवी’ है। और इनके दामाद का नाम जगदीश भटेल है।
नीम करोली बाबा की मृत्यु
नीम करोली बाबा की मृत्यु 11 सितम्बर 1973 को मथुरा के वृन्दावन में हुई थी। बाबा जी मधुमेह रोग से ग्रसित थे। बाबा जी ने रात को करीब 1:15 बजे अपने देह त्याग दिया था।
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