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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114हिंदू धर्म में नंदी जी को भगवान शिव का नंदीश्वर अवतार मानकर पूजा जाता है। पुराणों में नंदी जी को भगवान भोलेनाथ की सवारी बताया गया है। भगवान शिव के उपासकों के लिए नंदी गायत्री मंत्र बहुत ही विशेष माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को पूर्ण रूप से प्रसन्न करने के लिए नंदी देव जी का आर्शीवाद प्राप्त करना बहुत ही आवश्यक है। नंदी जी को ज्ञान और बुद्धि का स्वामित्व प्राप्त है।
“ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, नन्दिकेश्वराय धीमहि, तन्नो वृषभरू प्रचोदयात् ।।”
इस चमत्कारी मंत्र के पाठ के दिन भक्त सुबह सूर्योदय से पहले जग कर भगवान नंदी जी का ध्यान करते हैं। इसके बाद पवित्र स्नान के साथ तन और मन में मंत्र उच्चारण के साथ मन की शुद्धि की जाती है। इसके बाद जातकों द्वारा इस पाठ को आरंभ कर दिया जाता है।
मंत्र के पाठ को 108 बार करना सबसे उत्तम माना गया है। वहीं कुछ जातक नंदी गायत्री मंत्र के पाठ को 9 या 11 बार करते हैं। भगवान शिव के उपासक इस पाठ को 1008 बार भी करते हैं। इस पाठ को बहुत ही कठिन माना जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदी जी को भगवान शिव की सभी शक्तियां प्राप्त है। इसलिए भगवान शिव के आशीर्वाद के लिए नंदी जी का प्रसन्न होना बहुत ही आवश्यक है। इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से मनुष्य ज्ञान और बुद्धि में श्रेष्ठ हो जाता है। अशांत मन वाले जातकों के लिए नंदी गायत्री मंत्र का जाप सबसे उत्तम माना गया है।
सुखद जीवन की कामना से भी इस मंत्र का जाप और पाठ किया जाता है। इस पाठ से शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। मान्यताओं के अनुसार नंदी जी की प्रतिमा के कान में अपनी इच्छा प्रकट करने से इच्छा पूरी हो जाती है।
इस प्रश्न के पीछे पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। समुद्र मंथन के समय भगवान शिव ने सृष्टि की रक्षा के लिए अपने कंठ में विष को धारण किया था। इस समय विष की एक बूंद पृथ्वी पर आ गिरी थी। उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए उस विष की बूंद को नंदी जी ने अपनी जीभ से हटाया था। उसी समय से भगवान नंदी को भगवान शिव के परम भक्त के रूप में पूजा जाने लगा था। इसलिए नंदी गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत ही फलदायी माना गया है।
हिंदू धर्म में नंदी जी का विशेष महत्व है। नंदिकेश्वर गायत्री मंत्र एक सिद्ध मंत्र है। इसकी शक्ति की सीमा को जानना मनुष्य के लिए संभव नहीं है। पुराणों के अनुसार नंदी जी को भगवान शिव का वाहन माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए नंदी जी के आशीर्वाद को प्राप्त अत्यंत आवश्यक है। भगवान शिव अपनी सवारी के बिना किसी भी स्थान पर प्रस्थान नहीं करते हैं। इसलिए इस चमत्कारी मंत्र का सीधा संबंध भगवान भोलेनाथ जी से है।