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खाटू श्याम मेला 2025 | Khatu Shyam Mela 2025  | खाटू मेला कब है जन्म कब हुआ, कौन है, कहानी
February 11, 2025

खाटू श्याम मेला 2025 | Khatu Shyam Mela 2025 | खाटू मेला कब है जन्म कब हुआ, कौन है, कहानी

हर साल फाल्गुन मास में बाबा खाटू श्याम जी का प्रसिद्ध लक्खी मेला आयोजित किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से बाबा श्याम के दर्शन करने आते हैं। खाटू श्याम मेला 2025 इस वर्ष अष्टमी से बारस तिथि तक, पांच दिनों तक मनाया जाएगा।

खाटू श्याम जी का मंदिर, राजस्थान के सीकर जिले में स्थित है, जो रिंगस से 18 किमी की दूरी पर तथा जयपुर और सीकर से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मेले के दौरान यहां भजन संध्या का आयोजन किया जाता है, जिसमें विभिन्न कलाकार रातभर भजन और कीर्तन करते हैं।

🔹 खाटू श्याम मेला 2025 की मुख्य जानकारी:
स्थान: खाटू श्याम मंदिर, सीकर, राजस्थान
तारीख: फाल्गुन मास अष्टमी से बारस तक
मुख्य आकर्षण: बाबा श्याम के दर्शन, भजन संध्या, सांस्कृतिक कार्यक्रम

अगर आप जानना चाहते है की खाटू श्याम जी कोनसे देवता थे और मेले की दिव्यता का अनुभव करना चाहते हैं, तो इस वर्ष के मेले में जरूर पधारें। 🚩✨

खाटू श्याम मेला 2025: जानिए तिथि, स्थान और विशेष जानकारी – Khatu Shyam Mela 2025

खाटू श्याम मेला 2025

खाटू श्याम मेला 2025 में भक्तों की भारी संख्या को ध्यान में रखते हुए प्रशासन द्वारा इस वर्ष विशेष व्यवस्थाएँ की जा रही हैं, जिससे मेले के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। खाटू नगरी में कई धर्मशालाएँ उपलब्ध हैं, जहाँ भक्तजन आराम कर सकते हैं।

इस वर्ष खाटू श्याम मंदिर का भव्य विस्तार किया जा रहा है, जिससे श्रद्धालुओं को बाबा श्याम के दर्शन में कोई असुविधा न हो। पहले की ज़िगज़ैग दर्शन प्रणाली को हटाकर 16 सीधी लाइनें बनाई जा रही हैं, ताकि दर्शन प्रक्रिया को सुगम और व्यवस्थित बनाया जा सके।

मंदिर तक पहुँचने के लिए नई सुविधाएँ:

सड़क चौड़ीकरण: मंदिर तक जाने वाले छोटे रास्तों को 40 फीट तक चौड़ा किया जा रहा है, जिससे भक्तों को सुगम मार्ग मिलेगा।
बेहतर व्यवस्थाएँ: पहले सकरी गलियों के कारण भक्तों को कठिनाई होती थी, लेकिन अब यह समस्या दूर कर दी गई है।
आवास सुविधाएँ: भक्तों के ठहरने के लिए बेहतर व्यवस्थाएँ की जा रही हैं, जिससे वे आराम से बाबा श्याम के दिव्य दर्शन कर सकें।

इस बार के खाटू श्याम मेले 2025 में श्रद्धालु सुविधाजनक और सुगम दर्शन का आनंद ले सकेंगे। अगर आप भी बाबा श्याम के दर्शन करने की योजना बना रहे हैं, तो यह सुनहरा अवसर आपके लिए है! 🚩✨

खाटू श्याम मेला 2025 में कोनसी तारीख और तिथि को है – Khatu Shyam Ka Mela Kab Hai 

खाटू श्याम मेला 2025 – खाटू श्याम जी का फाल्गुनी लक्खी मेला 28 फ़रवरी 2025 से शुरू हो रहा है और 11 मार्च 2025 तक चलेगा। खाटू श्याम जी का लक्खी मेला 9 से 10 दिनों तक चलता है। यहा पर सम्पूर्ण भारत वर्ष के अलावा विदेशो से भी भक्त बाबा के दर्शनों के लिए आते है। बाबा शयाम का लक्खी मेला प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में ही लगता है यहाँ मेले में लाखो की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए आते है। 

खाटू श्याम जी का जन्म कब हुआ – Khatu Shyam Ji Ka Janm Kab Hua 

 

खाटू श्याम जी का जन्म कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को हुआ था, जिसे देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। वर्ष 2025 में यह एकादशी 22 नवंबर को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में इस तिथि का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन से सभी शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

कौन है बाबा श्याम एवं खाटू श्याम मेटा 2025  कब और कंहा लगेगा  – Kon Hai Baba Shyam 

 

खाटू श्याम मेला 2025 – बाबा खाटू श्याम जी का वास्तविक नाम बर्बरीक था। वे घटोत्कच और नागकन्या मौरवी के पुत्र थे। उनके दादा-दादी महाबली भीम और हिडिंबा देवी थीं।

ऐसा माना जाता है कि जन्म के समय बर्बरीक के बाल बब्बर शेर के समान घने और मजबूत थे, इसलिए उनका नाम बर्बरीक रखा गया। महाभारत की कथा के अनुसार, बर्बरीक का सिर राजस्थान के सीकर जिले के खाटू नगर में दफनाया गया था। इसी कारण वे बाबा खाटू श्याम के नाम से प्रसिद्ध हुए और भक्तों के बीच पूजनीय बने।

खाटू श्याम की कहानी – Khatu Shyam Ki Kahani 

 

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक अपने बचपन से ही अत्यंत वीर और तेजस्वी थे। उन्होंने भगवान श्री कृष्ण और अपनी माता मौरवी से युद्धकला, असाधारण कौशल और अद्भुत रणकला में निपुणता प्राप्त की।

बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या की, जिसके फलस्वरूप शिवजी ने उन्हें आशीर्वादस्वरूप तीन चमत्कारी बाण प्रदान किए। इसी कारण वे “तीन बाणधारी” के नाम से प्रसिद्ध हुए। साथ ही, भगवान अग्निदेव ने उन्हें एक दिव्य धनुष प्रदान किया, जिसकी अपार शक्तियों के कारण वे तीनों लोकों पर विजय प्राप्त करने में सक्षम थे।

खाटू श्याम मेला 2025 – जब बर्बरीक को कौरवों और पांडवों के बीच होने वाले महायुद्ध का समाचार मिला, तो उन्होंने भी युद्ध में भाग लेने का निर्णय लिया। अपनी माता से आशीर्वाद लेकर, उन्होंने युद्ध में हारने वाले पक्ष का साथ देने का संकल्प लिया और रणभूमि की ओर प्रस्थान किया।

बर्बरीक के इसी प्रतिज्ञा के कारण ही ‘हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा’ यह उक्ति जगत में प्रसिद्ध हुई।

खाटू श्याम मेला 2025 – जब बर्बरीक युद्ध के लिए प्रस्थान कर रहे थे, तब मार्ग में उनकी भेंट एक ब्राह्मण से हुई। यह ब्राह्मण कोई और नहीं, बल्कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण थे, जो बर्बरीक की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उनके सामने प्रकट हुए।

ब्राह्मण रूप धारण किए हुए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रश्न किया कि वह केवल तीन बाण लेकर युद्ध में जा रहा है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए पूछा कि मात्र तीन बाणों से कोई युद्ध कैसे जीत सकता है।

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक ने उस ब्राह्मण से कहा कि उनका केवल एक बाण ही शत्रु सेना को पराजित करने के लिए पर्याप्त है, और युद्ध समाप्त होने के बाद भी वह बाण नष्ट नहीं होगा, बल्कि वापस उनके तरकश में लौट आएगा। उन्होंने आगे बताया कि यदि तीनों बाणों का प्रयोग किया जाए, तो संपूर्ण जगत का विनाश संभव है।

खाटू श्याम की कहानी हिंदी में –

ब्राह्मण रूपी श्री कृष्ण ने बर्बरीक की शक्ति परखने के लिए एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा किया और कहा कि वह केवल एक बाण से उसके सभी पत्तों को भेदकर दिखाए। बर्बरीक ने भगवान का ध्यान कर अपना बाण छोड़ा, जो तुरंत ही वृक्ष के सभी पत्तों को भेदते हुए निकल गया।

इसके बाद, वह बाण ब्राह्मण रूप में उपस्थित श्री कृष्ण के पैरों के चारों ओर चक्कर लगाने लगा। दरअसल, कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे छिपा लिया था। बर्बरीक समझ गए कि बाण उसी पत्ते को भेदने के लिए ब्राह्मण के पैर के चारों ओर घूम रहा है। उन्होंने कहा, “हे ब्राह्मण, कृपया अपना पैर हटा लें, अन्यथा यह बाण आपके पैर को भी भेद देगा।”

खाटू श्याम मेला 2025 – कौरवों ने एक चालाक योजना बनाई थी, जिसके तहत वे युद्ध के पहले दिन कम संख्या में सेना के साथ युद्ध करेंगे। इससे वे पराजय की स्थिति में आ जाएंगे, जिससे बर्बरीक अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार हारने वाले पक्ष का साथ देने के लिए कौरवों की ओर से युद्ध में शामिल हो जाएंगे। यदि ऐसा होता, तो बर्बरीक के चमत्कारी बाण पांडवों का संपूर्ण विनाश कर सकते थे।

खाटू श्याम मेला 2025 – कौरवों की योजना को विफल करने के लिए, ब्राह्मण रूप धारण किए हुए भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन मांगा। बर्बरीक ने सहर्ष दान देने का संकल्प ले लिया। तब ब्राह्मण ने उनसे केवल उनका सिर दान में मांग लिया।

खाटू श्याम मेला 2025 – इस अद्भुत दान की मांग सुनकर बर्बरीक आश्चर्यचकित हो गए और समझ गए कि यह ब्राह्मण कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने प्रार्थना की कि वे अपने वचन के अनुसार शीश का दान अवश्य देंगे, लेकिन पहले ब्राह्मण अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हों।

खाटू श्याम मेला 2025 – इस अनोखे दान की मांग सुनकर बर्बरीक अत्यंत आश्चर्यचकित हो गए और तुरंत समझ गए कि यह ब्राह्मण कोई साधारण व्यक्ति नहीं है। उन्होंने प्रार्थना करते हुए कहा, “मैं अपने वचन के अनुसार अपना शीश अवश्य दान करूंगा, लेकिन पहले कृपया अपने वास्तविक स्वरूप में दर्शन दें, ब्राह्मणदेव।”

जानिए क्यों दिया बाबा श्याम ने अपना शीश का दान ?

खाटू श्याम मेला 2025 – भगवान श्री कृष्ण अपने वास्तविक स्वरूप में प्रकट हुए। बर्बरीक ने कहा, “हे प्रभु, मैं अपने शीश का दान देने के लिए वचनबद्ध हूँ, लेकिन मेरी इच्छा है कि मैं इस महायुद्ध को देख सकूं।”

श्री कृष्ण बर्बरीक की निःस्वार्थ भक्ति और वचनबद्धता से प्रसन्न हुए और उनकी यह इच्छा पूरी करने का आश्वासन दिया। तब बर्बरीक ने अपना शीश अर्पित कर भगवान श्री कृष्ण को समर्पित कर दिया।

खाटू श्याम मेला 2025 – श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को 14 देवियों के अमृत से सींचकर युद्धभूमि के समीप एक पहाड़ी पर स्थापित कर दिया, ताकि वे पूरे युद्ध का दृश्य देख सकें। इसके बाद, श्री कृष्ण ने शास्त्रोक्त विधि से बर्बरीक के धड़ का अंतिम संस्कार भी संपन्न किया।

खाटू श्याम मेला 2025 – महाभारत का महायुद्ध समाप्त हुआ, और पांडवों ने विजय प्राप्त की। युद्ध जीतने के बाद, पांडवों के बीच यह चर्चा होने लगी कि इस विजय का श्रेय किस योद्धा को जाता है।

तब भगवान श्री कृष्ण ने कहा, “चूंकि बर्बरीक पूरे युद्ध के साक्षी रहे हैं, इसलिए इस प्रश्न का उत्तर भी उन्हीं से प्राप्त करना उचित होगा।

खाटू श्याम मेला 2025 – तब परमवीर बर्बरीक ने कहा, “इस महायुद्ध में विजय का सम्पूर्ण श्रेय केवल भगवान श्री कृष्ण को ही जाता है, क्योंकि यह सब उनकी अद्भुत युद्धनीति और दिव्य लीला के कारण ही संभव हो पाया है।”

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक के इस महान वचन को सुनकर देवताओं ने उनकी प्रशंसा करते हुए पुष्पवर्षा की और उनके गुणगान करने लगे।

भगवान श्री कृष्ण बर्बरीक की भक्ति और महानता से अत्यंत प्रसन्न हुए और कहा, “हे वीर बर्बरीक, आप अत्यंत महान हैं। मेरे आशीर्वाद से आज से आप ‘श्याम’ नाम से प्रसिद्ध होंगे। कलियुग में, आपको कृष्णावतार के रूप में पूजा जाएगा, और आप अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करेंगे।”

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