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Malmas Kab Hai | मलमास 2023 में कब है, यह क्यों होता है और मलमास में रुद्राभिषेक का क्या महत्व है

मलमास
November 28, 2022

जानिए कि मलमास क्या और क्यों होता है, साल 2023 में कब है मलमास, इसमें किन कार्यों को करना वर्जित माना गया है, इस साल किस तरह से यह राशियों को प्रभावित करेगा और मलमास में रुद्राभिषेक का क्या महत्व है ?

मलमास में राशि और नक्षत्र को किसी का भी स्वामित्व प्राप्त नहीं होता है। इसलिए इस मास में किसी भी शुभ कार्य को उचित नहीं माना जाता है। माना जाता है कि जिस व्यक्ति की मृत्यु मलमास के दौरान होती है। उसकी आत्मा सीधे नरक में जाती है। इस समय में मांगलिक कार्यों को करना शुभ नहीं माना जाता। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं है मलमास का कोई महत्व नहीं है। बुधवार के दिन गणेश जी के पूजन की अनुमति इस मास में मिलती है। पद्म पुराण में बताया गया है कि अधिक मास में गुरुवार से लेकर सोमवार तक किसी भी दिन व्रत को किया जा सकता है। इससे सुख और समृद्धि की प्राप्ति  होती है। मान्यताओं के अनुसार इस माह में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना करने से कई गुना फल प्राप्त होता है। 

इस मास से जुड़ी हुई कथा का उल्लेख पुराणों में देखने को मिलता है। प्राचीन समय में मलमास का कोई स्वामी न होने के कारण उसकी सभी निंदा करने लगे है। जिससे की वह बहुत ही ज्यादा दुखी था। मलमास ने भगवान श्री विष्णु जी के पास जाने का निर्णय लिया। उसने प्रभु को अपनी सारी व्यथा सुनाई। जिसके बाद प्रभू उसे श्री कृष्ण के पास ले कर गए। श्री कृष्ण जी ने जब मलमास की पूरी बात सुनी तो उनको मलमास पर दया आ गयी। तब श्री कृष्ण ने बोलै की में आज से तुम्हारा स्वामी रहूंगा। तभी से सभी मलमास को पुरुषोत्तम मास के रूप में भी जानने लगे। मनुष्य पांच तत्वों से बना हुआ है और पुरुषोत्तम मास इन तत्वों का नियंत्रण बनाने में सहायक होता है।

 

किसे कहते है मलमास – Kise Kahate Hai Malmas 

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दो अमावस्याओं के मध्य में संक्रांति का त्यौहार आता है। जिस समय एक से दूसरी अमावस्या के बीच में संक्रांति उपस्थित न हो, उसको अधिक मास या मलमास कहा जाता है। सूर्य द्वारा राशि का परिवर्तन करना ही संक्रांति कहलाया जाता है।

 

क्या होता है अधिक मास – Malmas Kya Hota Hai

प्राचीन ग्रंथों में लिखा गया है की तीन वर्षों में एक बार मलमास का महीना साल में जुड़ता है। इसे पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य जब अपनी अवस्था को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना को ही ज्योतिष शास्त्र में संक्रांति का नाम दिया गया है।

मलमास क्यों मनाते हैं – Malmas Kyun Manate Hai

चंद्र वर्ष और सौर वर्ष के दिनों की संख्या में अंतर होता है। दोनों वर्षों के दिनों को समायोजित करने के लिए अधिक मास को मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र की गणना के अनुसार एक सौर वर्ष में कुल 365 दिन 6 घंटे और 11 मिनट होते हैं। वहीं दूसरी ओर एक चंद्र वर्ष की बात की जाए तो इसमें 354 दिन और 9 घंटे होते है। इसी कारण से वर्ष की गणना को समान करने के लिए मलमास का उद्गम किया गया था।

 

मलमास का क्या अर्थ है – Malmas Ka Kya Arth Hai 

अब हम मलमास की परिभाषा के बारे में बात करते है। मलमास तीन वर्षों में से आने वाले एक वर्ष का तेरहवां महीना होता है। इस अतिरिक्त माह के बारे में वर्तमान कैलेंडर में कोई जानकारी नहीं मिलती है। लेकिन प्राचीन काल से चले आ रहे इस मलमास की सहायता से वर्षों की गणना को बराबर किया जाता आ रहा है। यह तेरहवां महीना वर्ष के बीच में आता है, जिसके समय का पता कठिन ज्योतिषीय गणना की सहायता से लगाया जाता है।

 

मलमास में वर्जित कार्य – Malmas Me Varjit Karya 

बारह राशिओं में मीन एक जलीय राशि की श्रेणी में आती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य के जलीय राशि में प्रवेश करने से पृथ्वी पर नकारात्मक परिणाम देखने को मिलते है। ऐसा होना पर लोगों के मन विचलित होना शुरू हो जाते है और बीमारियां बढ़ती है। इसलिए ऐसी परिस्थिति में शुभ व मांगलिक कार्यों को करना वर्जित माना जाता है।

  • इस समयकाल में विवाह करना वर्जित माना जाता है, यदि कोई अधिक मास में विवाह को पुरे अनुष्ठानों का पालन करके करता है। तो भी उसे अशुभ ही माना जाता है। ऐसे में विवाहित जोड़े को कभी भी  मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक सुख की प्राप्ति नहीं होती है।
  • कभी घर और दुकान का निर्माण कार्य इस समय में आरम्भ नहीं करना चाहिए। इस समय में शुरू किया गए काम में बाधाएं आती रहती हैं या तो कार्य पूरा नहीं होता। यदि कोई व्यक्ति किसी तरीके से समस्याओं का सामना करके काम पूरा भी कर लेता है। तो उस घर में शांति नहीं मिलती और कलह क्लेश चलते ही रहते है।
  • मलमास के समय नए व्यवसाय को शुरू नहीं करना चाहिए। इसके लिए इस माह के समाप्त होने का इंतज़ार करना चाहिए। मीन मलमास में प्रारंभ किए गए व्यापार से मनुष्य को आर्थिक हानि का सामना करना पड़ता है। यही नहीं इसमें शुरू किए गए व्यवसाय से लाभ होने की संभावना शून्य के बराबर होती है।
  • मांगलिक कार्यों की सूची में आने वाले कामों को वर्जित माना जाता है जैसे मुंडन, कर्णवेध और द्विरागमन आदि। लेकिन कोई फिर भी इन कार्यों को करता है उसके जीवन में रिश्ते कमजोर होने लगते है। यही नहीं पहले से मजबूत रिश्ते भी कमजोर होने की संभावना होती है, जिससे कि मनुष्य को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।

राशियों के आधार पर आने वाले प्रभाव – Rashiyo Ke Adhar Par Aane Wale Prabhav 

इस समय सभी राशियों पर अलग अलग प्रभाव पड़ता है। इन प्रभावों को जानने के लिए और उसके समाधान के लिए आप ज्योतिष शस्त्र के विद्वान या पंडित की सहायता ले सकते है। बाकि इस मास से दौरान पड़ने वाले प्रमुख प्रभावों के बारे में हम आपको बताने जा रहे है। जोकि इस प्रकार से है। 

  • मेष  – मेष राशि वाले जातकों को आंखों से सम्बंधित रोगो का सामना करना पड़ सकता है। इसी के साथ हड्डियों से जुड़े हुए रोग लेंगे की भी काफी संभावनाएं है।
  • वृष- इस राशि वाले जातकों के रुके हुए काम बन जाएंगे और आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार होगा। अधिक फल की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु जी की आराधना से काफी अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे।
  • मिथुन- इस समय में संपत्ति की खरीदारी अशुभ मानी जाती है। लेकिन यदि मिथुन राशि के जातकों ने मलमास से पहले के बने शुभ मुहूर्त में कोई सम्पति ली है। तो उस संपत्ति से लाभ होने के योग बने हुए है। इसी के साथ पेशे से संबंधित नौकरी में लगे जातकों को शुभ समाचार मिलने की संभावना है।
  • कर्क- कर्क राशि वालों को इस समय अपनी सेहत का ध्यान रखने की विशेष आवश्यकता होगी। इस समय में बने योग में दुर्घटनाओं की संभावनाएं बनी हुई है।
  • सिंह- इस राशि वाले जातकों को स्वास्थ्य सम्बंधित परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इन जातकों को मलमास के समय आँखों का विशेष ध्यान रखना होगा।
  • कन्या- इस समय शादीशुदा जातकों को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना होगा। मलमास के समय कारोबार से संबंधित निर्णयों को भी काफी सोच विचार करके लेना पड़ेगा अन्यथा कारोबार में समस्याएं बनी रहेंगी।
  • तुला- इन जातकों को अपने पेशे से जुड़ी चुनोतियों का सामना करना पड़ेगा। व्यर्थ के खर्चों में भी काफी धन जाएगा।
  • वृश्चिक- वृश्चिक राशि वाले विश्यर्थिओं को पहले से ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता होगी। संतान सुख से वंचित जातकों को भी परेशानिओं का सामना करना पड़ेगा।
  • धनु- अपनी सेहत के साथ साथ परिवार की सेहत का भी विशेष ध्यान रखना होगा। स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के आने की पूरी संभावनाएं बनी हुई है।
  • मकर- व्यवसाय और नौकरी के समय जातकों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
  • कुम्भ- कुम्भ राशि के जातकों को आँखों और पेट से जुडी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
  • मीन- इस राशि वाले जातकों को अपने पेशे से जुड़े निर्णयों को काफी ध्यान से लेना पड़ेगा। ऐसे समय से किसी बड़े द्वारा ली गयी सलाह बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।

मलमास में बच्चे का जन्म – Malmas Me Bachche Ka Janm 

वैसे तो मलमास को हिन्दू धर्म में अशुभ माना जाता है, लेकिन इस मास में किसी बच्चे का जन्म लेना शुभ माना जाता है। मलमास में पैदा हुआ हुआ शिशु भाग्यशाली होता है और अपने माता पिता के लिए भी सुबह होता है।

जब चंद्रमास के समय दो बार सूर्य राशि परिवर्तन करें अर्थात दो सूर्य संक्रांति आ जाएं, तो उसे क्षयमास कहा जाता है। ऐसा बहुत ही कम देखने को मिलता है और यह केवल कार्तिक, मार्ग और पौस के महीनों में होता है। ऐसी  परिस्थिति में मलमास आवश्य ही पड़ता है और ऐसी स्थिति 19 या 141 वर्षों के बाद ही देखने को मिलती है। इस पुरषोत्तम मास के पैदा हुआ बच्चे को किसी अवतार से कम नहीं माना जाता है। यह शिशु स्वयं तो भाग्यवान होता ही है, लेकिन अपने साथ साथ माता-पिता और परिवार के अन्य सदस्यों का भी भाग्योदय कर देता है।

 

मलमास कब है साल 2023 में – Malmas Kab Hai Saal 2023 Me

16 दिसम्बर 2023 से सूर्य की धनु संक्रांति के कारण मलमास शुरू हो जायेगा। मलमास में विवाह आदि कार्य नहीं होते है। उसके बाद मकरसंक्रांति 15 जनवरी 2023 के बाद विवाह आदि कार्य संपन्न होंगे 15 मार्च 2023 के बाद मीन खरमास शुरू हो जायेगा। 

 

मलमास में रुद्राभिषेक का महत्व – Malmas Me Rudrabhishek Ka Mahatva

मलमास में कुछ ऐसे कार्य है जिन्हे करने की अनुमति होती है। लेकिन इनको करने से पहले किसी ज्योतिष शस्त्र के विद्वान या पंडित की सलाह आवश्य लेनी चाहिए। इनकी देख रेख में ही वैदिक मंत्रो का उच्चारण करते हुए रुद्राभिषेक, सूर्य और वृहस्पति की आराधना करनी चाहिए। रुद्राभिषेक के साथ साथ आप निसंकोच महामृत्युंजय का हवन और जाप कर सकते है। माना जाता है कि इस मास में शनिवार के दिन किए रुद्राभिषेक से सभी ग्रहों द्वारा पड़ने वाले बुरे प्रभाव ख़त्म हो जाते है। जिससे सुखदायी जीवन की प्राप्ति होती है। पुरषोत्तम मास में भगवान विष्णु जी और भगवान शिव जी की आराधना से कई गुना अधिक फल मिलता है।

 

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