जानिए कोकिला व्रत 2023 कब है और क्यों किया जाता है – Janiye Kokila Vrat 2023 Kab Hai Or Kyo Kiya Jata Hai
कोकिला व्रत 2023 – कोकिला व्रत श्रावण मास के समस्त व्रतों का शुभारंभ है। अर्थात आषाढ़ मास की चतुर्दशी को कोकिला व्रत रखा जाता है। अगले दिन पूर्णिमा से श्रावण मास की शुरुआत हो जाती है। कोकिला व्रत 2023 में 2 जुलाई रविवार के दिन विधिवत धारण किया जाएगा। कोकिला व्रत सभी दुखों का नाश करने के उद्देश्य से रखा जाता है। इस व्रत को विधिवत धारण करने वाले जातक को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही जिनके विवाह में अड़चन आ रही है। तथा वर नहीं मिलने की स्थिति में इस व्रत को धारण किया जाता है।
कोकिला व्रत 2023 – मान्यता है कि कोई भी अविवाहित कन्या इस व्रत को इच्छित वर प्राप्ति के उद्देश्य से रखती है, तो उसकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है। आइए जानते हैं कोकिला व्रत की पूजा विधि तथा कोकिला व्रत का महत्व और कोकिला व्रत से जुडी पौराणिक व्रत कथा। सभी प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए आप नीचे दिए गए विवरण को ध्यानपूर्वक पढ़ें।
कोकिला व्रत 2023 का महत्व – Kokila Vrat 2023 Ka Mahatva
कोकिला व्रत 2023 – कोकिला व्रत पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है। इस व्रत को धारण करने वाली अविवाहित कन्या असुयोग्य वर को प्राप्त करती है। तथा सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब भगवान शिव के मना करने पर भी माता सती पिता दक्ष के यहां यज्ञ में पधार जाती है। आज्ञा उल्लंघन से क्रोधित होकर भगवान शिव माता सती को कोकिला पक्षी होने का श्राप देते हैं।
कोकिला व्रत 2023 – श्राप के प्रभाव से सती 10 हजार वर्षों तक नंदन वन में कोकिला पक्षी के रूप में वास करती रही। तत्पश्चात पुन: पार्वती का जन्म पाकर आषाढ़ मास में नियमानुसार एक मास तक व्रत रखती है और भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करती हैं। इस कथा की मान्यता के अनुसार कोकिला व्रत विधि पूर्वक धारण किया जाता है। जिससे स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करती है, और कन्या सुयोग्य वर को चाहने हेतु इस व्रत को धारण करती है।
कोकिला व्रत की संपूर्ण पूजा विधि कथा शुभ मुहूर्त – Kokila Vrat Ki Sampurn Puja Vidhi Katha Shubh Muhurt
कोकिला व्रत 2023 – जो स्त्रियां कोकिला व्रत को विधि विधान तथा विशेष पूजा अर्चना के साथ धारण करती है। उन्हें मनोवांछित फलों की प्राप्ति अवश्य होती है। कोकिला व्रत स्त्रियों के लिए बहुत उत्तम व्रत माना जाता है। इस दिन महिलाओं को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्वच्छ होकर तथा साफ कपड़े पहनकर पूजा स्थान को साफ सुथरा तरफ स्वच्छ बनान चाहिए।
- माता पार्वती और शिव की मूर्ति स्थापित करें तथा स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
- पूजा अर्चना के लिए आवश्यक सामग्री साथ में रखें।
- माता पार्वती का मन से ध्यान करें और स्तुति का गान करें।
- पूजा अर्चना समाप्त कर कोकिला व्रत की संपूर्ण कथा सुने।
- यह नियम आठ दिन करना चाहिए। तत्पश्चात उबटन लगाकर प्रातःकाल भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
कोकिला व्रत की पूजन का शुभ मुहूर्त। … प्रातः 8 : 21 am से लेकर प्रातः 9 : 24 am तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा
कोकिला व्रत संपूर्ण व्रत कथा – Kokla Vrat Samuran Vrat Katha
कोकिला व्रत 2023 – कोकिला व्रत माता सती के कोकिला पक्षी होने की वजह से तथा उनके व्रत रखने के प्रताप से भगवान शिव को प्राप्त करती है इस मान्यता के आधार पर रखा जाता हैं। इस व्रत के प्रताप से ही माता सती माता पार्वती के नाम से विख्यात होती है। इसी दिन को कोकिला व्रत के नाम से पौराणिक कथाओं में मान्यता दी गई है।
कोकिला व्रत 2023 – पौराणिक कथा के अनुसार जब प्रजापति राजा दक्ष अर्थात माता सती के पिता धार्मिक यज्ञ का अनुष्ठान करते हैं। भगवान विष्णु तथा समस्त देवताओं को विनय सहित निमंत्रण भेजते हैं। परंतु भगवान शिव और सती को कोई निमंत्रण नहीं भेजा गया। तभी माता सती ने भगवान शिव से कहा कि हमें पिताश्री के यज्ञ में चलना चाहिए। हो सकता है उन्होंने कारणवश हमें नहीं बुलाया हो। भगवान शिव ने पार्वती से कहा कि हमें बिना बुलाए नहीं जाना चाहिए। यह उचित नहीं रहेगा। परंतु माता सती भगवान शिव की बात ना सुनते हुए राजा दक्ष के यज्ञ अनुष्ठान में पहुंच जाती है। राजा दक्ष के यहां भगवान शिव के लिए कोई स्थान नहीं था। यह देखकर सती आश्चर्य करती है। तथा राजा दक्ष द्वारा सती और भगवान शिव का अनादर किया जाता है। तभी माता सती को क्रोध आता है और वह यज्ञ कुंड में अपने प्राणों को त्याग देती है तथा सती हो जाती है।
कोकिला व्रत 2023 – यह घटना जब भगवान शिव को पता चली तो उन्होंने अपनी जटा से वीरभद्र को जन्म दिया और राजा दक्ष के यज्ञ को विध्वंस करने का आदेश दिया। वीरभद्र जो कि भगवान शिव के शक्तिशाली गण थे। वीरभद्र ने राजा दक्ष के यज्ञ को तिनके की तरह बिखेर दिया। जितने भी राजा थे उन्हें शारीरिक क्षति पहुंचाई। यह सब भगवान विष्णु देख रहे थे। उन्होंने तुरंत भगवान शिव को इस विनाश को रोकने के लिए सविनय आग्रह किया।
कोकिला व्रत 2023 – भगवान शिव ने वीरभद्र को रोक दिया। तथा सभी देवताओं को पहले की तरह स्वस्थ कर दिया। परंतु भगवान शिव सती के द्वारा उनके आदेश का उल्लंघन करने पर सती को क्षमा नहीं कर पाए और उन्हें सती को श्राप दे दिया। इसी श्राप के प्रभाव से माता सती 10 हजार वर्षों तक कोकिला पक्षी के रूप में नंदन वन में रही। वही पर माता पार्वती का जन्म हुआ और भगवान शिव की आराधना स्वरूप भगवान शिव को प्राप्त कर सकी।
इसी धार्मिक धार्मिक मान्यता के आधार पर स्त्रियां कोकिला व्रत को धारण करती है और अपने सुहाग को अखंड तथा अविवाहित कन्या इच्छित वर की प्राप्ति हेतु इस व्रत को विधिपूर्वक धारण करती है।