खिचड़ी मेला | Gorakhpur Khichdi Mela

खिचड़ी मेला – Khichdi Mela

 

आइये दोस्तों आज हम बात करेंगे खिचड़ी मेले के बारे में। खिचड़ी मेला भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोरखपुर में लगता है। यह मेला गोरखनाथ मंदिर में प्रसिद्ध ‘खिचड़ी मेला’ कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू होता है। यह मेला मकर संक्रांति पर भरता है। और इस मेले की खास बात यह है की ये मेला लगातार 7 दिन तक भरता है। इस मेले में हिस्सा लेने हेतु श्रद्धालुओं को तीन पंक्तियों की कड़ी सुरक्षा से गुजरना होता है। वर्तमान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) श्री अखिल कुमार जी ने बताया कि श्रद्धालुओं को सुरक्षा के कुल तीन स्तरों से पार होना होता है। पहली चेकिंग शहर के प्रवेश द्वारों पर की जाती है। दूसरी सुरक्षा गोरखनाथ मंदिर के परिसर के प्रवेश द्वारों पर की जाती है। एवं तीसरी सुरक्षा मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वारों पर की जाती है।

 

बम से उड़ाने की धमकियां भी मिल रहीं है 

 

खिचड़ी मेला – अनेको बार गोरखनाथ मंदिर को बम से उड़ाने की आतंकवादियों के द्वारा धमकियां भी मिल रही हैं। जिनमें से कुछ धमकियाँ तो फर्जी ही निकलती हैं। जिस वजह से  सुरक्षा को और भी कड़ी कर दी है। चंपा देवी नामक पार्क में 11 जनवरी से 17 जनवरी के बीच पुरे सप्ताह चलने वाले इस गोरखपुर महोत्सव के चलते जिला प्रशासन ने भी अपनी तैयारियां पूर्ण कर ली है। इस महोत्सव के नोडल अधिकारी और जीडीए के उपाध्यक्ष श्री महेंद्र सिंह तंवर ने मीडिया को यह बताया कि इस मेले में लगभग 200 से अधिक कलाकार आएंगे। जिनमें से 180  कलाकार तो स्थानीय ही हैं। 

 

CM योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं व्यवस्थाओं की निगरानी

 

खिचड़ी मेला – आधिकारिक सूत्रों ने हमे बताया है कि मेला परिसर को कुल चार सुपर जोन में विभाजित किया गया है। इसके साथ ही मंदिर परिसर में एक थाना को भी स्थापित किया गया है। इस वार्षिक खिचड़ी मेला में भारत के अलावा नेपाल के लाखों भक्तों को भी आकर्षित करता है।और गोरखनाथ मंदिर के प्रमुख प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ भी व्यक्तिगत रूप से इस मेले की व्यवस्थाओं की निगरानी स्वयं कर रहे हैं। 

 

त्रेतायुग युग में शुरू हुई थी यह परंपरा

 

खिचड़ी मेला – पौराणिक मान्यतायो के अनुसार माने तो त्रेता युग में गुरु गोरखनाथ लोगो से भिक्षा मांगते हुए हिमाचल प्रदेश राज्य के कांगड़ा जिले के प्रसिद्द ज्वाला देवी मंदिर गए थे।  यहां पर सिद्ध योगी को देख देवी स्वंम साक्षात वहा प्रकट हो गई थी। और फिर उन्होंने गुरु को भोजन का आमंत्रण भी दिया था। फिर गोरखनाथ ने वहां पर पहुंचकर तापसी भोजन को देखा और फिर उनसे कहा कि मैं केवल भिक्षा में मिले हुए चावल और दाल ही खाता हूं। इस पर माँ ज्वाला देवी ने कहा कि मैं आपके लिए चावल दाल पकाने हेतु पानी को गर्म करती हूं। आप भिक्षा में मिले हुए चावल और दाल को लेकर आइए। इसके बाद गोरखनाथ भिक्षाटन करते हुए गोरखपुर पहुंच गए और राप्ती एवं रोहिणी नदी के संगम पर अपने अक्षय पात्र को रख दिया और फिर वे साधना में लीन हो गए थे। 

 

आज भी खौल रहा है पानी ज्वाला देवी के मंदिर में 

 

खिचड़ी मेला – उसी समय जब खिचड़ी मतलब मकर संक्रांति का पर्व आया तो गोरक्षनाथ को साधना में लीन देख कर लोगो ने उनके अक्षय पात्र के अंदर चावल और दाल को डालना शुरू कर दिया। जब काफी मात्रा में अन्न को डालने के बाद वह पात्र पूरा नहीं भरा तो लोग इस को गोरक्षनाथ का चमत्कार मानने लगे एवं उनके सामने श्रद्धा भाव से अपना सिर झुकाने लगे। तो उसी समय से गुरु की इस तपोस्थली पर चावल और दाल को चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हो गई थी। वहीं पर आज भी ज्वाला देवी के मंदिर में पानी खौल रहा है। 

 

अन्य जानकारी :- 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *