खाटू श्याम मेला 2025 | Khatu Shyam Mela | खाटू मेला कब है जन्म कब हुआ, कौन है, कहानी,

खाटू श्याम मेला 2025 – Khatu Shyam Mela 2025

 

खाटू श्याम मेला 2025 – फाल्गुन मास में बाबा खाटूश्याम जी का मुख्य मेला लगता है। खाटू श्याम जी का मंदिर राजस्थान राज्य के सीकर जिले में रिंगस से 18 किमी की दूरी पर स्थित है और सीकर और जयपुर से जुड़ा हुआ बाबा श्याम का धाम है। यह मेला हर वर्ष फाल्गुन मास में तिथि के आधार पर अष्टमी से बारस की तिथि तक पांच दिनों के लिये आयोजित किया जाता है। इस लक्खी मेले में देश-विदेश से लाखो की संख्या में श्रद्धालु बाबा खाटूश्याम जी के श्रृद्धापूर्ण दर्शन करने के लिए आते है। यहाँ भजनसंध्या में तरह-तरह के कलाकार आते हैं जो रातभर भजन एवं कीर्तन करते हैं।

खाटू श्याम मेला 2025 – भक्तों की लाखों की संख्या को देखते हुये हर वर्ष प्रशासन की ओर से उचित व्यवस्था की जाती है जिससे किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। इसके अलावा खाटूनगरी में बहुत सारी धर्मशालायें भी है जो भक्तजनो के विश्राम के लिए बनाई हुई है। खाटू श्याम जी के मंदिर परिसर को साल 2025 में भव्य मंदिर का रूप दिया जा रहा है। पहले की तुलना में मंदिर को बड़ा किया जा रहा है। जिससे की श्याम भक्तो को बाबा के दर्शन करने में कोई भी दिक्कत न आये। ज़िकजेक की व्यवस्था को बदल कर 16 सीधी लाइन बनाई जा रही है ताकि भक्तो को दर्शन करने में कोई भी परेशानी ना हो। 

खाटू श्याम मेला 2025 – मंदिर तक पहुंचने के लिए भी छोटे रास्तो को चौड़ा करके 40 फिट किया जा रहा है। जिससे की भक्तो को मंदिर तक पहुंचने में कोई परेशानी न हो पहले रास्ता सकड़ा होने के कारण बहुत परेशानियो का सामना करना पड़ता था। इस बार आने बाले खाटू मेले में भक्त बाबा खाटू श्याम के बड़े आसानी से दर्शन कर पाएंगे। इसके अलावा भक्तो के ठहरने के लिए उचित व्यबस्था की जा रही है। 

खाटू श्याम का मेला कब है – Khatu Shyam Ka Mela Kab Hai 

 

खाटू श्याम मेला 2025 – खाटू श्याम जी का फाल्गुनी लक्खी मेला 6 मार्च 2025 से शुरू हो रहा है और 15 मार्च 2025 तक चलेगा। खाटू श्याम जी का लक्खी मेला 9 से 10 दिनों तक चलता है। यहा पर सम्पूर्ण भारत वर्ष के अलावा विदेशो से भी भक्त बाबा के दर्शनों के लिए आते है। बाबा शयाम का लक्खी मेला प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास में ही लगता है यहाँ मेले में लाखो की संख्या में भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए आते है। 

खाटू श्याम जी का जन्म कब हुआ – Khatu Shyam Ji Ka Janm Kab Hua 

 

खाटू श्याम मेला 2025 – खाटूश्याम जी का जन्म कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन हुआ था। इस एकादशी को देवउठनी एकादशी भी खा जाता है। साल 2025 में देवउठनी एकादशी 22 नवम्बर को मनाई जाएगी। हमारे हिन्दू धर्म में इसी दिन सभी शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते है। 

कौन है बाबा श्याम – Kon Hai Baba Shyam 

 

खाटू श्याम मेला 2025- बाबा खाटू श्याम जी का असली नाम बर्बरीक है। बाबा खाटू श्याम बाबा घटोत्कच और नागकन्या मौरवी के पुत्र हैं। पांचों पांडवों में सर्वाधिक शक्तिशाली भीम और उनकी पत्नी हिडिम्बा बर्बरीक (बाबा श्याम) के दादा दादी थे।

खाटू श्याम मेला 2025 – ऐसा कहा जाता है कि जन्म के समय बर्बरीक (बाबा श्याम) के बाल बब्बर शेर के समान थे, तभी उनका नाम बर्बरीक रखा गया। महाभारत की एक कहानी के अनुसार बर्बरीक का सिर राजस्थान प्रदेश सीकर जिले के खाटू नगर में दफना दिया गया था। इसीलिए बर्बरीक जी का नाम बाबा खाटू श्याम  के नाम से जगत में विख्यात हुआ। 

खाटू श्याम की कहानी – Khatu Shyam Ki Kahani 

 

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक अपने बचपन में एक वीर और तेजस्वी बालक थे। बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण और अपनी माता मौरवी से युद्धकला,कौशल और अद्भुद्ध कला को सीखकर निपुणता प्राप्त कर ली थी। बर्बरीक ने भगवान शिव की घोर तपस्या करी थी,तब भगवन शिव ने अपने आशीर्वादस्वरुप बर्बरीक को 3 चमत्कारी बाण प्रदान किए थे । जिसकी वजह से बर्बरीक का नाम तीन बाणधारी के नाम से भी प्रसिद्द हुआ । भगवान अग्निदेव ने बर्बरीक को एक दिव्य धनुष दिया था,वे उस धनुष की शक्तियों की वजह से बर्बरीक तीनो लोको में विजय प्राप्त करने में समर्थ भी थे। 

खाटू श्याम मेला 2025 – जब कौरवों-पांडवों के बीच युद्ध होने का खबर बर्बरीक को मिली तो उन्होंने भी उस युद्ध में हिस्सा लेने का निर्णय लिया। बर्बरीक ने अपनी माता का आशीर्वाद लिया और युद्ध में हरने वाले पक्ष का साथ देने का वचन देकर वहा से निकल पड़े। बर्बरीक के इसी वचनो के कारण। ‘हारे का सहारा बाबा श्याम हमारा यह बात जगत में प्रसिद्ध हुई।  

खाटू श्याम मेला 2025 – जब बर्बरीक युद्ध में जा रहे थे तो मार्ग में उनकी भेंट एक ब्राह्मण से हुई । यह ब्राह्मण कोई और नहीं, बल्कि भगवान श्री कृष्ण थे जोकि बर्बरीक की परीक्षा लेने की नियत से वह बर्बरीक से मिले । ब्राह्मण का रुप धारण किये हुए श्री कृष्ण ने बर्बरीक से प्रश्न किया कि वो मात्र 3 बाण लेकर युद्ध लड़ने को जा रहा है।  मात्र 3 बाण से कोई युद्ध कैसे लड़ सकता है।

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक ने उस ब्राह्मण से कहा कि उनका एक ही बाण शत्रु सेना को युद्ध में परास्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम है और इसके बाद भी वह तीर नष्ट न होकर वापस उनके तरकश में आ जायेगा। तीनों तीर के उपयोग से तो सम्पूर्ण जगत का विनाश भी किया जा सकता है।

खाटू श्याम की कहानी हिंदी में –

 

ब्राह्मण (कृष्ण) ने बर्बरीक से एक पीपल के वृक्ष की ओर इशारा करते हुए कहा कि वो एक बाण से पेड़ के सभी पत्तों को भेदकर दिखाए। फिर बर्बरीक ने भगवान का ध्यान कर एक बाण वृक्ष की ओर छोड़ दिया। उस बाण ने पीपल के सारे पत्तों को छेद दिया और उसके बाद बाण ब्राह्मण का रूप धारण करे हुए कृष्ण के पैर के चारों ओर घूमने लगा। असल में कृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा रखा था। बर्बरीक समझ गये कि तीर उसी पत्ते को भेदने के लिए ब्राह्मण के पैर के चारो ओर घूम रहा है। बर्बरीक बोले – हे ब्राह्मण अपना पैर हटा लो, नहीं तो ये बाण आपके पैर को भी भेद देगा। 

खाटू श्याम मेला 2025 – भगवान् श्री कृष्ण बर्बरीक के पराक्रम से अति प्रसन्न हुए। उन्होंने पूंछा कि बर्बरीक किस पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ेंगे। बर्बरीक बोले कि उन्होंने युद्ध लड़ने के लिए कोई भी पक्ष निर्धारित किया है, वो तो केवल अपने वचनो के अनुसार हारे हुए पक्ष की ओर से युद्ध लड़ेंगे। श्री कृष्ण ये सुनकर विचारमग्न हो गये क्योकि बर्बरीक के इस वचन के बारे में केवल कौरव ही जानते थे।

खाटू श्याम मेला 2025 – कौरवों ने ऐसी योजना बनाई थी कि वे युद्ध के पहले दिन कम सेना के साथ युद्ध लड़ेंगे । इससे कौरव युद्ध में हराने लगेंगे, जिसके कारण बर्बरीक कौरवों की ओर  से युद्ध लड़ने आ जायेंगे। यदि बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ेंगे तो उनके चमत्कारी बाण पांडवों का सर्वनाश कर देंगे।

खाटू श्याम मेला 2025 – कौरवों की योजना विफल करने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण किये हुए भगवान् श्री कृष्ण ने बर्बरीक से एक दान देने का वचन माँगा था । बर्बरीक ने दान देने का वचन भी दे दिया। अब ब्राह्मण ने बर्बरीक से कहा कि उसे दान में केवल बर्बरीक का सिर ही चाहिए। 

खाटू श्याम मेला 2025 – इस अनोखे दान की मांग सुनकर बर्बरीक आश्चर्यचकित हुए और समझ गये कि यह ब्राह्मण कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है।  बर्बरीक ने प्रार्थना कि वो दिए गये वचन अनुसार अपने शीश का दान अवश्य करेंगे, लेकिन पहले ब्राह्मणदेव अपने वास्तविक रूप में प्रकट हों।  

खाटू श्याम मेला 2025 – इस प्रकार के अनोखे दान की मांग के बारे में सुनकर बर्बरीक बहुत आश्चर्यचकित होगये और वे समझ गये कि यह ब्राह्मण कोई साधारण व्यक्ति  नहीं है।  बर्बरीक ने  प्रार्थना कि वे अपने वचनो के अनुसार अपने शीश का दान जरूर करेंगे, लेकिन पहले ब्राह्मणदेव आप अपने वास्तविक रूप में अपने दर्शन देवें । 

खाटू श्याम मेला 2025 – भगवान श्री कृष्ण अपने असली रूप में प्रकट हुए। बर्बरीक बोले कि हे देव मैं अपना शीश देने के लिए बचनबद्ध हूँ परन्तु यह युद्ध देखने की मेरी इच्छा है। श्री कृष्ण बर्बरीक की वचनबद्धता से प्रसन्न होकर उनकी इस इच्छा को पूरी करने का वचन दिया। बर्बरीक ने अपना शीश काटकर भगवान् श्री कृष्ण को दे दिया। 

खाटू श्याम मेला 2025- श्री कृष्ण ने बर्बरीक के सिर को 14 देवियों के द्वारा अमृत से सींचकर युद्धभूमि के पास एक पहाड़ी पर स्थित कर दिया। जहाँ से बर्बरीक युद्ध के दृश्य को देख  सकें। इसके पश्चात कृष्ण ने बर्बरीक के धड़ का शास्त्रोक्त विधिवत रूप से अंतिम संस्कार भी कर दिया। 

खाटू श्याम मेला 2025 – महाभारत का महान युद्ध समाप्त हुआ और पांडव युद्ध में विजयी हुए। विजय के बाद पांडवों में यह बहस होने लगी कि इस युद्ध विजय का श्रेय किस योद्धा को जाता है। भगवान् श्री कृष्ण ने कहा  चूंकि बर्बरीक इस युद्ध के साक्षी रहे हैं। तो  इस प्रश्न का उत्तर भी उन्ही से जानना चाहिए। 

खाटू श्याम मेला 2025 – तब परमवीर बर्बरीक ने कहा कि इस युद्ध की विजय का सम्पूर्ण श्रेय एकमात्र भगवान् श्री कृष्ण को ही जाता है।  क्योकि यह सब कुछ भगवान श्री कृष्ण की उत्कृष्ट युद्धनीति के कारण ही सम्भव हो पाया है । 

खाटू श्याम मेला 2025 – बर्बरीक के इस वचन से देवताओं ने बर्बरीक के ऊपर पुष्पों की वर्षा की और उनके गुणगान भी गाने लगे । भगवान् श्री कृष्ण वीर बर्बरीक की महानता से अति प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा हे वीर बर्बरीक आप बहुत ही महान है। मेरे आशीर्वाद स्वरुप आज से आप मेरे नाम श्याम से प्रसिद्ध हो जाओगे । कलियुग में आप कृष्णअवतार रूप में पूजे जायेंगे और अपने भक्तों के मनोरथ को पूर्ण करेंगे।

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