[wpdreams_ajaxsearchlite]
  • Home ›  
  • करवाचौथ 2023 में कब है, महत्व और शुभ मुहूर्त

करवाचौथ 2023 में कब है, महत्व और शुभ मुहूर्त

करवाचौथ 2023
November 2, 2022

जानिए संक्षेप में करवाचौथ के बारे में, यह कब होती है और इसे क्यों मनाया जाता है, वर्ष  2023 की करवाचौथ की तिथि व मुहूर्त और करवा चौथ का क्या महत्व है?

करवाचौथ 2023 –

करवाचौथ 2023  – भारत में स्त्रियों द्वारा मनाए जाने वाला करवा चौथ का त्योहार हिंदुओं का बहुत प्रसिद्ध त्योहार है। इसे पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन कुछ स्थानों पर इस त्योहार को ज्यादा विशेष मानकर मनाया जाता है, उदाहरण के लिए राजस्थान, गुजरात, पंजाब और उत्तरप्रदेश में इस त्योहार को अन्य राज्यों की अपेक्षा ज्यादा महत्ता प्राप्त है। अधिकतर क्षेत्रों में भिन्न भिन्न रीति रिवाजों का अनुसरण करके करवा चौथ का उत्सव मनाया जाता है। लेकिन इसके व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ही रखती हैं। करवा चौथ का व्रत निर्जल व्रत होता है अर्थात इसमें पानी पीना भी वर्जित माना जाता है।

करवाचौथ 2023  – इस दिन रात के समय वैवाहिताएं खाने की थाली को अपने पड़ोसियों या पास के रिश्तेदारों के साथ बदलती हैं। बदली हुई थाली को भी चंद्रमा के दर्शन के बाद ग्रहण किए गए भोजन के साथ रखा जाता है और प्रसाद के रूप में उसे भी खाया जाता है। सुहागिन स्त्रियां पति के कल्याण हेतु भी इस व्रत को रखती हैं। करवा चौथ के व्रत से मात्र पति को दीर्घ आयु ही नहीं मिलती बल्कि कल्याण की प्राप्ति के साथ साथ सभी कष्टों का निवारण भी हो जाता है।

करवाचौथ 2023 – इस दिन सुहागिनों को चांद का इंतज़ार बहुत बेसब्री से रहता है और पति द्वारा भोजन का निवाला और पानी पिलाए जाने पर ही वह व्रत को खोलती हैं। भोजन व पानी ग्रहण करने पहले वैवाहिता अपने पति को भगवान का रूप मानकर उनके पांव छूकर आर्शीवाद लेती हैं।

करवाचौथ 2023 –  इस दिन भाचन्द्र नाम से विख्यात श्री गणेश जी पूजा करने से मनोवांशित फल मिलता हैं। हम आगे आपको बताने जा रहें है आखिर किस समय और किस दिन यह त्योहार मनाया जाता है और किस कारण से करवाचौथ को मनाया जाता है, वर्ष 2023  में यह किस दिन होगा और हिंदू पंचांगों के आधार पर चतुर्थी तिथि किस समय शुरू होगी। तिथि को अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से बताया जाएगा जिससे आपको तिथि जानने के लिए कोई समस्या न हो।

करवाचौथ 2023 – इसके शुभ मुहूर्त, कथाओं और चंद्रोदय के समय को भी बताया जाएगा और अंत में करवा चौथ के महत्व के बारे में विस्तार से बताया जाने वाला है, तो पहले जानते हैं कि कब इस उत्सव को मनाया जाता है।

 

 करवाचौथ 2023  में कब है – Karva Chouth 2023 Me Kab Hai 

करवाचौथ 2023  – यह त्योहार कार्तिक मास में मनाया जाता है जब कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष होता तो उसकी चतुर्थी के दिन इस उत्सव को मनाया जाता है और महिलाएं पति की आयु वृद्धि की कामना कर इस दिन व्रत रखती हैं। करवा चौथ का व्रत सुबह चार बजे सूर्योदय से पहले ही शुरू हो जाता है और चंद्रमा के उदय होने तक यह निर्जल व्रत चलता रहता है। करवा चौथ प्रत्येक वर्ष आने वाला उत्सव है। इस समय में ब्राह्मणों को दान व गरीबों को भोजन कराना बहुत उत्तम माना जाता है। उत्तर भारत में यह पर्व अन्य क्षेत्रों के अपेक्षा ज्यादा लोकप्रिय है।

 

आखिर करवाचौथ क्यों मनाया जाता है – Akhir Karva Chouth Kyo Manai Jati Hai 

करवाचौथ 2023 – विवाहित महिला अपने पति की दीर्घ आयु की कामना हेतु इस करवा चौथ को मनाती हैं। इससे सुखद गृहस्थ जीवन भी मिलता है। इस व्रत को विवाह के उपरांत 12 या 16 वर्ष तक सुहागिनों द्वारा रखा जाता है लेकिन इस अपनी इच्छानुसार पूरे जीवनकाल में रखा जा सकता है। पति की लंबी आयु की प्राप्ति के लिए इसे सबसे उत्तम व्रत माना गया है। वहीं दूसरी ओर भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय के आर्शीवाद की प्राप्ति के लिए भी यह दिन मनाया जाता है। 

करवाचौथ 2023 – कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी का नाम करवा था। माना जाता है कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन पुन व्रत को विधि विधान से करके करवा ने अपने पति को पुनर्जीवित किया था। वह एक वर्ष तक अपने पति के मृत शरीर को लेकर इस दिन का इंतजार करती रही थी। इसलिए भी इस दिन को मनाया जाता है। कई जगह कुंवारी कन्याएं भी मांगलिक अवसर पर इस करवा चौथ के व्रत को रखती हैं ताकि उनको अच्छे वर की प्राप्ति हो सके। इस दिन को संकष्टी चतुर्थी मान कर भी श्री गणेश जी के लिए पूजा करके और व्रत रखकर मनाया जाता है।

करवाचौथ 2023 – वहीं अन्य कथा की बात करें तो यह कथा महाभारत के समय की है जिसके बाद से करवा चौथ मनाया जाने लगा। कहा जाता है एक समय की बात है जब अर्जुन नीलगिरी पर्वत पर तपस्या के लिए गए थे और किसी कारण से उनको कुछ दिनों तक वहीं पर रुकना पड़ा था। उस समयकाल के दौरान ही बाकि पांडवों पर कोई बड़ा सकंट आ गया था जिसके चलते चिंतित द्रौपदी ने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान करते हुए उनसे सहायता मांगी। तब श्री कृष्ण ने उपाय के रूप द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा।

करवाचौथ 2023  – कार्तिक कृष्ण चतुर्थी का समय नजदीक था और द्रौपदी भगवान की आज्ञा का पालन करते हुए पूरे विधि विधान से इस व्रत को किया और भगवान शिव की परिवार सहित पूजा और अराधना की। जिसके बाद से सारे कष्ट स्वयं की दूर भागने लगे और शीघ्र ही उसे अपने पति के दर्शन हुए। कहा जाता है पति की दीर्घायु हेतु भगवान शिव ने स्वयं द्रौपदी को यह कथा सुनाई थी और भगवान श्री कृष्ण ने अन्य विधि विधानों का उल्लेख किया था।

वर्ष 2023 में करवाचौथ और शुभ मुहूर्त – Varsh 2023 Me Karva Chouth Or Shubh Muhurat 

वर्ष 2023 में करवा चौथ का त्यौहार 01 नवंबर को बुधवार  के दिन मनाया जाएगा। इस दिन पूजा मुहूर्त के समय पर की गई पूजा का विशेष महत्व है। इस शुभ समय पर की गई पूजा के कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। 

साल 2023 में चतुर्थी तिथि का समय 31 अक्टूबर की रात 09 बजकर 30 मिनट पर आरंभ हो जाएगा और यह समय अगले दिन 01 अक्टूबर को बुधवार की रात  9 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगा।

वहीं पूजा मुहूर्त समय का बुधवार शाम 5ः37 बजे शुभारंभ होकर 6:55  बजे समापन हो जाएगा। वर्ष 2023 में पूजा के शुभ मुहूर्त की अवधि 1 घंटा 18  मिनट की होगी।

करवाचौथ 2023 – पूजा मुहूर्तों के साथ साथ पूजा विधि का भी विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। माना जाता है कि जल की एक बूंद और ग्रास के एक तिनके मात्र से ही यह व्रत भंग हो सकता है। इसलिए इस कठोर व्रत में मन को विचलित होने से रोकने के लिए वैवाहिताएं भगवान की अराधना करके पूरा समय बिताती हैं। चंद्रमा के उदय होने से एक घंटा पहले ही पूजा को आरंभ कर देना चाहिए। चंद्र दर्शन को छलनी से किया जाना चाहिए और पूजा के अंत में घर के बड़ों से आर्शीवाद जरूर लेना चाहिए।

 

करवाचौथ का हिंदू धर्म में महत्व – Karva Chouth Ka Hindu Dharm Me Mahatva 

करवाचौथ 2023 – इस दिन चंद्रमा देवता की पूजा भी की जाती है। चंद्रमा के दर्शन करने के उपरांत ही यह व्रत पूर्ण माना जाता है इसलिए चंद्रमा को देखने के बाद ही यह व्रत खोला जाता है। करवा चौथ का यह व्रत बहुत कठिन माना जाता है। करवा चौथ शब्द में करवा का अर्थ होता है मिट्टी का पात्र, यह मिट्टी का वह पात्र होता है जिससे चंद्रमा को जल चढ़ाया जाता है। जल चढ़ाने के इस अनुष्ठान को शास्त्रों में अघ्र्य या अर्घ कहा गया है। कई जगहों मे इसे बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है। इस स्थानों पर इसे करक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।

करवाचौथ 2023  – पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, गुजरात और राजस्थान में इस दिन को बहुत विशेष माना जाता है। इन राज्यों में बड़े स्तर पर कथाओं का आयोजन किया जाता है। पंजाब में यह त्योहार सूर्योदय से पहले किए जाने वाले खाने के साथ किया जाता है जिसे सरगी कहा जाता है। यह भोजन वैवाहिताओं की सासु मां द्वारा बनाया जाता है। करवा चौथ के गीतों को भी इस दिन गाया जाता है। भारत के प्रदेश राजस्थान और उत्तर प्रदेश में इस दिन गौर माता की पूजा का विशेष महत्व है और गौ माता के गोबर द्वारा गौर माता की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की जाती है।

करवाचौथ 2023 – हिंदू धर्म में प्रत्येक पर्व की अपनी विशेषता हैं। करवाचौथ के पर्व का सुहागिनों के लिए विशेष महत्व है और पूरे भारत में इसकी बहुत महत्ता है। शाम के समय भारत के हर कोने में भगवान शिव परिवार की पूजा की जाती है, जिसमें भगवान शिव-पार्वती और उनके पुत्र गणेश जी और कार्तिकेय जी की एक साथ पूजा की जाती है। कई क्षेत्रों में शिव परिवार पूजा के बाद प्रत्येक सदस्य की अलग अलग पूजा भी की जाती है। करवा चौथ के दिन स्त्रियां सुबह स्नान करके व्रत संबंधित संकल्प लेती है और पूरा दिन भगवान की आराधना करके पूरे दिन के लिए अन्न और जल को त्याग देती हैं।

करवाचौथ 2023  – इस दिन विवाहिता फेरी की रस्म भी करती हैं। जिसके लिए वह सुहागिनों की भांति श्रृंगार करके पहले सजती है और एक घेरे में बैठकर पूजा की थाली को एक दूसरे के हाथ में देकर घुमाती हैं। इस दौरान बुजुर्ग महिलाएं करवा चौथ की कथा कह कर विशेष गीतों को गाती हैं। उनकी इस श्रद्धा भावना और आस्ता से यह स्पष्ट हो जाता है कि उनके लिए यह दिन कितना महत्वपूर्ण होता है।

 

Read More

Latet Updates

x
[contact-form-7 id="270" title="Call Now"]