श्रावण मास की एकादशी व्रत जो कि भगवान विष्णु को अतिशय प्रिय है। इस एकादशी व्रत को “कामिका एकादशी” कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत धारण करने वाले श्रद्धालुओं को भगवान विष्णु की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है। तथा जो श्रद्धालु मंदिर में जाकर घी का दीप दान करते हैं, उनके पितृ स्वर्ग लोक में अमृत पान कर रहे होते हैं। इन्हीं कामनाओं के साथ कामिका एकादशी व्रत धारण किया जाता है। वर्ष 2023 में कामिका एकादशी व्रत रविवार 13 जुलाई 2023 को धारण किया जाएगा। श्रद्धालुओं द्वारा जो भी एकादशी व्रत धारण किए जाते हैं वह सभी भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं। तथा जो एकादशी का व्रत धारण करते हैं वह श्रद्धालु भगवान विष्णु के अतिशय प्रिय भक्तगण होते हैं। भगवान विष्णु की कृपा का विशेष हक़ रखते हैं।
आइए जानते हैं कामिका एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है ?इसका महत्व क्या है ?तथा व्रत विधि तथा कामिनी एकादशी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा क्या है?
श्रावण मास शुरू होते ही व्रतों का त्यौहार शुरू हो जाता है। श्रावण मास की कृष्ण पक्ष में जो एकादशी पड़ती है, उसे कामिका एकादशी के रूप में मनाया जाता है। ये व्रत वो सभी श्रद्धालु धारण करते हैं जिन को मानसिक, शारीरिक, आर्थिक कष्ट होता है। इस व्रत के प्रताप से श्रद्धालु के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और भगवान विष्णु की अतिशय कृपा उन पर सदैव बनी रहती है। धार्मिक मान्यता है जो भी उपासक इस दिन व्रत धारण करते हैं और मंदिर में घी का दीप दान करते हैं उनके पितृ स्वर्ग लोक में अमृत का पान करते हैं। कामिका एकादशी व्रत भगवान विष्णु के उत्तम व श्रेष्ठ व्रतों में महत्व रखता है। उपासकों द्वारा अपना मनोरथ तथा कामनाओं की पूर्ति हेतु भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की जाती है। इन्हीं मान्यताओं के चलते कामिका एकादशी व्रत धारण किया जाता है। कामनाओं की पूर्ति हेतु ही इस व्रत को कामिका एकादशी व्रत कहते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामिका एकादशी व्रत धारण करने वाले जातक कभी भी कष्टों से नहीं घिरतें, क्योंकि भगवान विष्णु की कृपा उन सभी भक्तजनों पर बनी रहती है। तथा इस व्रत को कोई भी कन्या एवं महिला धारण करती है तो उससे पारिवारिक सुख का आनंद प्राप्त होता है। अविवाहित कन्या द्वारा धारण किया गया यह व्रत उसके सुयोग्य वर का कारक बनता है। व्रत को धारण करने के लिए विशेष पूजा अर्चना की आवश्यकता नहीं होती। बस कुछ आध्यात्मिक पूजा के तौर पर भगवान विष्णु का ध्यान करके ही कामिका एकादशी व्रत के संपूर्ण फलों को प्राप्त किया जा सकता है।
श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी शाम 12 जुलाई 2023 को 05:59 बजे से शुरू हो जाएगी। तथा कामिनी एकादशी व्रत की समाप्ति 13 जुलाई 2023 को 06:24 संपूर्ण होगी। जो उपासक व्रत धारण करना चाहते हैं वह शुभ मुहूर्त का अवश्य ध्यान रखें और व्रत शुरु तथा पारण शुभ मुहूर्त में अतिश्य श्रेष्ठ फलों का कारक होता है। इसलिए उपासक भगवान विष्णु की विशेष कृपा हेतु कामिनी एकादशी व्रत को शुभ मुहूर्त में ही धारण करें।
भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा हे युधिस्टर ! श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी व्रत की कथा जो परम पिता ब्रह्मा जी ने नारद को सुनाई थी वह मैं आपको सुनाता हूं। जब नारद जी ने ब्रह्मा जी से कहा, की मुझे एकादशी व्रत कथा सुननी है, तथा इस कथा को किस नाम से जाना जाएगा और इस कथा का विशेष महत्व क्या है?
तब ब्रह्मा जी ने नारद को यह कथा सुनाई थी तो मैं तुमसे कहता हूं नारदजी के ये वचन सुनकर ब्रह्माजी ने कहा- हे नारद! लोक हित के लिए तुमने बहुत सुंदर प्रश्न किया है। श्रावण मास की कृष्ण एकादशी का नाम कामिका है। उसके सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस एकादशी के दिन शंख, चक्र, गदाधारी विष्णु भगवान की पूजन अर्चना होती है। विष्णु भगवान की पूजा करने से जो फल मिलता है सुनो।
परम पिता ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा कि जो फल गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर स्नान से मिलता है, वह विष्णु भगवान के पूजन तथा कामिका एकादशी व्रत धारण करने से मिलता है । सूर्य और चंद्र ग्रहण समय कुरुक्षेत्र और कशी में स्नान करने पर जिन फलों की प्राप्ति होती है वह सभी फल भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने पर यथावत मिलते है।
जो उपासक श्रावण में भगवान का पूजन करते तथा एकादशी व्रत धारण करते हैं। उनसे देवता, गंधर्व और सूर्य आदि सब पूजित हो जाते हैं। तथा अति श्रेष्ठ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही जो भक्तगण भूत प्रेत आदि से भयभीत रहते हैं उन्हें कामिका एकादशी व्रत निश्चित तौर पर धारण करना चाहिए। इस व्रत के प्रताप से उपासक को किसी प्रकार का भूत प्रेत का भय नहीं सताएगा तथा प्राणी निर्भय हो जाता है। संसार सागर में कर्मों में डूबे व्यक्ति को अपने जीवन को उबारने के लिए एकादशी व्रत अतिशय श्रेष्ठ व्रत माना गया है।
हे नारद भगवान विष्णु ने कहा है जो उपासक इस व्रत को धारण करते हैं, वह कभी भी कुयोनियों में नहीं जाते। भगवान विष्णु के वचनों अनुसार जो व्यक्ति कामिका एकादशी व्रत धारण कर तुलसी दल भगवान विष्णु को अर्पित करते हैं वह सभी हमेशा भगवान विष्णु की कृपा के हकदार रहते हैं। भगवान विष्णु किसी अन्य बहुमूल्य पदार्थ जैसे माणिक मोती, पन्ना आदि से प्रसन्न नहीं होते जितना कमल दल तथा तुलसीदल से होते हैं। उपासकों को इस दिन भगवान विष्णु को निश्चित तौर पर कमल दल अथवा तुलसीदास जरूर अर्पित करना चाहिए। तुलसी दल पूजन का फल चार भार चाँदी और एक भार स्वर्ण के दान के बराबर होता है।
हे नारद ! भगवान विष्णु के अतिशय प्रिय तुलसी को मैं हमेशा प्रणाम करता हूं। क्योंकि भगवान विष्णु तुलसी को अति श्रेष्ठ तथा मानव कल्याण हेतु अनिवार्य पौधा मानते हैं। जो भी मनुष्य तुलसी पौधे की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें कभी कोई कष्ट या रोग नहीं सताते। ऐसे प्राणी निर्भय होने के साथ-साथ निरोगी होते हैं।
कामिका एकादशी की रात्रि को दीपदान तथा जागरण के फल का माहात्म्य चित्रगुप्त भी नहीं कह सकते। क्योकि इस एकादशी की रात्रि को भगवान के मंदिर में घी का दीपक जलाते हैं उनके पितृ स्वर्गलोक में अमृतपान करते हैं। तथा जो घी या तेल का दीपक जलाते हैं, वे सौ करोड़ दीपकों से प्रकाशित होकर सूर्य लोक को जाते हैं।
ब्रह्माजी कहते हैं, कि हे नारद! ब्रह्महत्या तथा भ्रूण हत्या आदि पापों को नष्ट करने वाली इस को व्रत मनुष्य को यत्न के साथ करना चाहिए। कामिका एकादशी के व्रत का माहात्म्य श्रद्धा से सुनने और पढ़ने वाला मनुष्य सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को जाता है।
प्रिय उपासकगण आपने इस लेख में ऊपर कामिका एकादशी व्रत कथा पढ़ी जो भगवान विष्णु ने युधिष्ठिर को सुनाई थी। यह कथा ब्रह्मा जी ने नारद से कही थी। वही कथा भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को सुनाई और एकादशी व्रत की विशेषताओं के साथ अति श्रेष्ठ फल की प्राप्ति का कारक बताया है। सभी श्रद्धालु गण भगवान विष्णु की आराधना करते हुए कामिका एकादशी व्रत को धारण करते हैं तो निश्चित तौर पर अपने सभी मनोरथ पूर्ण करते हैं।
यदि आप भी यह व्रत धारण करना चाहते हैं तो उक्त पंक्तियों में दिए गए कामिका एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त तथा व्रत विधि को ध्यान पूर्वक पढ़े और इसी अनुसार कामिका एकादशी व्रत धारण करें। परमपिता परमेश्वर भगवान श्री कृष्ण की कृपा से आप सभी के मनोरथ सफल निश्चित तौर पर होंगे, ऐसी हमारी कामना है।