Hariyali Teej Kab Hai | जाने हरियाली तीज कब है, पूजा विधि और इसका महत्व

जानिए हरियाली तीज कब मनाई जाती है, हरियाली तीज पूजा विधि, साथ ही यह भी जाने कि हिंदू धर्म में हरियाली तीज का क्या महत्व है?

हिंदू धर्म में हरियाली तीज को बहुत ही विशेष माना जाता है और पूरे भारतवर्ष में इस दिन को मनाया जाता है। इस दिवस को भारत के कई स्थानों पर काजरी तीज और अखा तीज के नाम से भी से भी इस त्योहार को जाना जाता है। यह पर्व माता पार्वती जी और भगवान शिव जी को समर्पित होता है। 

जिसमें इनकी पूजा की जाती है। इस व्रत को करवा चौथ के व्रत के समान कठिन माना जाता है, जिसमें भक्त भोजन और पानी का त्याग कर पूरा दिन भगवान भोलेनाथ और हिमालय पुत्री पार्वती जी की आराधना करते हैं। इस दिन हरे रंग के वस्त्रों को धारण किया जाता है। हरे रंग को सृष्टि से जुड़ा हुआ रंग माना जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती कथा को शाम के समय सुना और पढ़ा जाता है।

 

हरियाली तीज कब मनाई जाती है? (Hariyali Teej Kab Hai)

हरियाली तीज का त्योहार प्रत्येक वर्ष सावन के माह में आने वाले शुक्ल पक्ष में तृतीया तिथि को मनाया जाता है। सावन का महीना हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। सिंजारा नाम से प्रसिद्ध द्वितीया तिथि से ही इस त्योहार का शुभारंभ हो जाता है। इस दिन को श्रृंगार दिवस कहा जाता है, क्योंकि इस दिन विवाहित महिलाओं को उनके माता-पिता द्वारा मिठाई और श्रृंगार का सामान दिया जाता है। हरियाली तीज के पिछले दिन महिलाएं अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं।

 

हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?

प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान शिव को माता पार्वती अपनी पत्नी और देवी पार्वती जी को शिव जी अपने पति के रूप में प्राप्त हुए थे। तभी उस दिन की महत्ता अधिक हो गई और इस दिन को हरियाली तीज के पर्व रूप में मनाया जाने लगा।

विवाह में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए इस दिन व्रत किया जाता है। वहीं दूसरी ओर कन्याएं इस दिन अच्छे वर की प्राप्ति की कामना से इस व्रत को करके पूजा करती हैं। माना जाता है विवाहित स्त्री द्वारा इस दिन किए गए व्रत से उसके पति को दीर्घायु की प्राप्ति होती है। इसलिए इस दिन को निर्जला व्रत का पालन करके महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। संतान सुख से वंचित स्त्रियां भी इस व्रत को करती हैं और हरियाली तीज को मनाती हैं।

 

हरियाली तीज पूजा विधि (Hariyali Teej Puja Vidhi)

इस पर्व के अनुष्ठानों को पूजा विधि को संक्षेप में जानकर ही इस दिन को मनाया जाना चाहिए। वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ की गई पूजा को ही पूर्ण माना जाता है। यदि किसी भक्त को इसके बारे में जानकारी न हो। तो जातक पूजा को पूरे विधि विधान से करने के लिए किसी पुजारी, पंडित या ज्योतिष शास्त्र के विद्वान की सहायता ले सकते हैं। हरियाली तीज की पूजा की विधि कुछ इस प्रकार से होती है।

  • इस दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपने मन में व्रत का संकल्प लेते हैं।
  • इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन के साथ निर्जला व्रत सुबह से ही आरंभ हो जाता है। 
  • इस दिन सुबह, दोपहर और शाम में पूजा की जाती है और हरियाली तीज की कथा को पढ़ा जाता है। रात के समय भजन और कीर्तन करके भगवान को प्रसन्न करने का प्रयास किया जाता है। 
  • इस दिन माता पार्वती को हरे रंग की चूड़िया, वस्त्र और चुनरी अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। 
  • विशेष पूजा के अनुष्ठान काफी कठिन होते हैं, जिसके लिए भक्त किसी विशेषज्ञ की सहायता से इस पूजा का आयोजन करते हैं। उत्तर भारत में कई तीर्थ स्थानों पर ऐसे आयोजन देखने को मिलते हैं। इन क्षेत्रों में मेले लगाए जाते हैं, जिसमें झूले झूलना एक परंपरा का ही भाग माना जाता है। 
  • इस पर्व के अगले दिन पूजा के बाद ही इस व्रत को खोला जाता है। 
  • पूजा के समय तुलसी, बेल पत्र, केले के पत्ते और श्रृंगार के सामान को पूजा में प्रयोग करना बहुत ही आवश्यक है।

हरियाली तीज का महत्व (Hariyali Teej Ka Mahatva)

यह दिन भगवान शिव के उपासकों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, जिसमें पूजाओं और पाठ का बहुत ही बड़े स्तर पर आयोजन किया जाता है। भारत के उत्तरी क्षेत्रों में हरियाली तीज बहुत ही विशेष माना जाता है। जिसमें बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में महिलाएं इस पर्व का पूरे वर्ष इंतजार करती हैं। 

इस दिन कठिन व्रत और पूरे अनुष्ठानों का पालन करके इस दिन को मनाती हैं। इस दिन पर माता पार्वती जी को उनकी 108 जन्मों की कठिन तपस्या का फल मिला था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को अपने पतिपरमेश्वर के रूप में प्राप्त किया था। इसलिए सनातन धर्म यह दिन पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। गर्मी के मौसम के बाद आने वाले इस पर्व के दिन भारत में आयोजित पूजाओं और पाठों में भारी मात्रा में लोग एकत्रित होते हैं।

 

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