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गुरु पूर्णिमा 2023 | गुरु पूर्णिमा कब है | गुरु पूर्णिमा क्यों मनाया जाता है | गुरु पूर्णिमा का महत्तव | Guru Purnima 2023

गुरु पूर्णिमा 2023
December 16, 2022

गुरु पूर्णिमा 2023 | जानिए कब है 2023 गुरु पूर्णिमा, इस कब और किस वजह से मनाया जाता है और इसका क्या महत्तव है।

गुरु पूर्णिमा 2023 – हिंदू पंचाग में पूर्णिमा का बहुत महत्तव है और आषाढ़ माह की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। गुरु पूर्णिमा, जैसा की नाम से ही ज्ञात हो रहा है, गुरुओं की पूजा में समर्पित इस दिन को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस दिन महाभारत के प्रसिद्ध रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्म हुआ था। गुरु परमात्मा का वह रूप होता है जो हमें ज्ञान रस से भर देता और सही मार्ग दिखाता है।

गुरु पूर्णिमा 2023 – इस दिन कई लोग गंगा स्नान करते हैं, इस दिन यह स्नान बहुत शुभ माना गया है। पितरो की पूजा के लिए भी गुरु पूर्णिमा उत्तम दिन है। गुरु की समाधियों और आश्रमों में यह दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और प्रसाद में हलवा बाँटा जाता है। 

गुरु पूर्णिमा 2023 – वेदव्यास के पिता का नाम पराशर था। माना जाता है महर्षि व्यास के पास तीन कालों की जानकारी थी। संपूर्ण वेद को पढ़ने में होने वाली कठिनाई को खत्म करने के लिए उन्होंने वेदों को चार खंडो में बांट दिया था। जिनको आज हम ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के नाम से जानते हैं। हमारे आदि गुरु माने जाने वाले वेदव्यास ऋषि ने अपना पूरा जीवन ग्रंथो आदि की रचना में लगा दिया। वेदों का ज्ञान रहस्मयी और कठिन होने के कारण सामान्य आदमी को पढ़ने में परेशानी आती थी, जिसके चलते व्यास जी ने पांचवें वेद की रचना भी की थी। जिसमें ज्ञान को कहानियों के रूप में समझाया गया है।

 

कब मनाई जाती है गुरु पूर्णिमा – Kab Manai Jaati Hai Guru Purnima 

गुरु पूर्णिमा 2023 –शास्त्रोंमें गुरु पूर्णिमा की बहुत मान्यता है और हिंदू पंचाग में वर्ष का चौथा महीना आषाढ़ माह होता है। वर्षा ऋतु की शुरूआत भी इसी माह के पास होती है। अंग्रेजी पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह जून या जुलाई का महीना होता है। इस माह में गुरु पूर्णिमा आती है और इस दिन लोग अपने-अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। ऐसा भी माना जाता है कि शिष्य शांति, भक्ति, योग और ज्ञान की प्राप्ति के इस समय को चुनकर अपने गुरु की शरण में चले जाते थे। वहीं वर्षा ऋतु के समय न ही अधिक गर्मी होती और न ही ठंड। इसलिए ध्यान केंद्रित करने के लिए यह माह अनुकूल माना जाता है।

 

गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है – Guru Purnima Kyo Manai Jati Hai 

गुरु पूर्णिमा 2023 – ऋषि मुनियों ने कई वर्षाें के कठोर परिश्रम और काफी शोध करने के बाद इस संसार को ज्ञान का भंडार दिया है। ऐसे महापुरुषों को आभार प्रकट करने के लिए इस दिन गुरुओं को पूजा जाता है। हिंदू धर्म में इस गुरु अराधना के दिन वेदव्यास को ईश्वर के रूप में पूजते हैं। वेदव्याज जी ने चारों वेदों की रचना करी थी और गुरु पूर्णिमा के दिन ही इनका जन्म हुआ। तम का नाश करना ही गुरु शब्द का मतलब है।

गुरु पूर्णिमा 2023 – इस दिन को मनाने का यह भी माना जाता है कि वर्षा के बाद जब आकाश में काले बादल आ जाते हैं और अंधकार फैला देते हैं। उस समय चंद्रमा गुरु के रूप में आकर अपनी चांदनी से चारों दिशाओं को उज्ज्वल कर देता है। वास्तविकता में भी गुरु अपनी ज्ञान की रोशनी से अज्ञान का अंधकार नष्ट करता है। इसलिए गुरु को समर्पित यह गुरु पूर्णिमा का दिन मनाया जाता है।

 

वर्ष 2023 गुरु पूर्णिमा की तारीख एवं मुहूर्त – Varsh 2023 Guru Purnima Ki Tarikh Evam Muhurt

इस साल 2023 में गुरु पूर्णिमा का पर्व 3 जुलाई 2023 को सोमवार के दिन मनाया जायेगा। 

गुरु पूर्णिमा की तिथि की शुरुआत 2 जुलाई को रात 8 :8 बजे से शुरू होगी। और तिथि की समाप्ति 3 जुलाई को शाम 5 :5 बजे होगी। 

हिंदु धर्म में इसका महत्तव – Hindu Dharm Me Iska Mahatva 

गुरु पूर्णिमा 2023 – स्नातक धर्म में माता पिता को बच्चे का पहला गुरु माना जाता है जिससे इस गुरु पूर्णिमा का महत्तव और बढ़ जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान के शाप देने पर गुरु अपने शिष्य को बचा सकता है। लेकिन यदि गुरु द्वारा रूष्ठ होकर शाप दे दिया जाए तो ईश्वर भी आपकी रक्षा नही कर सकता। गुरु को भगवान समान माने जाने वाले इस धर्म में गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुओं का पूजन किया जाता है। संसार के आदि गुरु माने जाने वाले महर्षि व्यास की पूजा अलग से की जाती है। इन्होंने चार वेदों की रचना की थी। 

गुरु पूर्णिमा 2023 – इसके अलावा गुरुजनों की सेवा करने का इस दिन बहुत महत्तव है और श्रद्धा भावना से पर्व मनाया जाता है। इस दिन लोग ग़रीबों को भोजन खिला कर नए वस्त्र देते हैं और गुरु पूर्णिमा के दिन धर्मग्रंथो की पूजा को विशेष माना गया है। हमें अपने अहंकार, ज्ञान, अज्ञान, अभिमान और शक्ति को गुरु चरणों रख कर आर्शीवाद की कामना करनी चाहिए। गुरु इसे ही अपना सबसे बड़ा उपहार मानते हैं।

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