हिंदू धर्म में गौरी तृतीया एक बहुत ही विशेष पर्व है। इस दिन को तीज की तरह मानकर, महिलाएं अपने पति और संतान रक्षा की कामना करती है। हिंदू धर्म के अनुसार इस तृतीया की तिथि के समय भगवान शिव जी का विवाह देवी सती जी के साथ हुआ था। इसलिए इस दिन को बहुत ही पवित्र माना जाता है। यह दिन कालसर्प दोष के निवारण के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।
इस पवित्र समय पर यदि गौरी-शंकर रुद्राक्ष को धारण किया जाए तो सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है। इस दिन किए गए व्रत से मनुष्य को सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है। पूजा के पूर्ण हो जाने पर दान जरूर करना चाहिए। इस दिन किए गए दान से सामान्य दिनों की अपेक्षा कई गुना ज्यादा फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू पंचांग के अनुसार इस पर्व को माघ मास में आने वाले शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। वर्ष 2023 में इस पर्व को 24 मार्च को शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन माता पार्वती को भगवान शिव जी की वर के रूप में प्राप्ति हुई थी। इसका उल्लेख पुराणों में भी देखने को मिलता है। भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए माता पार्वती जी ने कई वर्षों की तपस्या की थी।