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शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे | शिवरात्रि की पूजा विधि
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शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे | शिवरात्रि की पूजा विधि 2023 | Shivratri Vrat Puja Kaise Karen |Shivratri Ki Puja Vidhi
December 30, 2022

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे | शिवरात्रि की पूजा विधि 2023 | Shivratri Vrat Puja Kaise Karen |Shivratri Ki Puja Vidhi

जानिए शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे | शिवरात्रि की पूजा विधि

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करेशिवपुराण की कोटिरुद्रसंहिता में बताया गया है कि शिवरात्रि व्रत का पालन करने से भोग और मोक्ष दोनों प्राप्त होते हैं। ब्रह्मा, विष्णु और पार्वती के पूछने पर भगवान सदाशिव ने बताया कि शिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को महान पुण्य की प्राप्ति होती है। मोक्ष प्रदान करने वाले चार संकल्पों का पालन करना चाहिए। ये चार संकल्प हैं – शिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा, रुद्रों का जाप, शिव मंदिर में उपवास और काशी में काशी में देहत्याग। शिवपुरी में मोक्ष के चार अनन्त मार्ग बताए गए हैं। इन चारों में भी शिवरात्रि व्रत का विशेष महत्व है। तो यह किया जाना चाहिए।

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – यह सभी के लिए धर्म का सबसे अच्छा साधन है। इस महान व्रत को सभी मनुष्यों, वर्णों, स्त्रियों, बच्चों और देवताओं के लिए बिना पाप के परम उपकारी माना गया है। हर महीने के शिवरात्रि व्रत में फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को होने वाले महाशिवरात्रि व्रत का शिव पुराण में विशेष महत्व है।

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – देवों के देव महादेव का महाशिवरात्रि व्रत भक्तों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। हिंदू धर्म में, महाशिवरात्रि का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।18 फरवरी 2023 को यानि शनिवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जायेगा। इस पर्व पर भोले नाथ का अनूठा शृंगार किया जाएगा।

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – रोशनी की रंग-बिरंगी रोशनी से शिवालय जगमगाएंगे। इस शुभ अवसर पर, मंदिरों में शिव भक्तों की एक बड़ी भीड़ शिवलिंग को देखने के लिए उमड़ती है।

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – कहा जाता है कि इस दिन शिवलिंग की पूजा करने से भगवान शिव की विशेष कृपा मिलती है। हजारों भक्त कावड़ में गंगा जल लाते हैं और भगवान शिव को स्नान कराते हैं। शिवरात्रि को विशेष रूप से चार बजे के आसपास मंदिरों में पूजा की जाती है।

महाशिवरात्रि की पूजन विधि – Mahashivratri Ki Pujan Vidhi

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – शिवरात्रि के दिन, भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए और “ऊँ नमो नम: शिवाय” मंत्र से पूजा करनी चाहिए। इसके बाद, रात्रि के चार घंटे में शिव की पूजा करके, अगले दिन सुबह ब्राह्मणों को व्रत करना चाहिए और ब्राह्मणों को भिक्षा देनी चाहिए।

-महा शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनकर व्रत शुरू करें ।
-इसके बाद शिव मंदिर जाएं या घर के मंदिर में ही शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
-पानी डालने के लिए सबसे पहले तांबे के लोटे में गंगा जल लें। अगर गंगा जल नहीं है, तो सादे पानी में गंगा जल की कुछ बूंदें मिलाएं।
शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे –  अब कमल में चावल और सफेद चंदन मिलाएं और “ऊं नम: शिवाय” कहते हुए शिवलिंग पर जल चढ़ाएं।
– जल चढ़ाने के बाद चावल, बेल-पत्र, सुगंधित फूल, धतूरा, भांग, बेर, अमर मंजरी, जौ के दाने, तुलसी की दाल, गाय का कच्चा दूध, गन्ने का रस, दही, शुद्ध देसी घी, शहद, पंच फल, पंच मेवा, पंच रस, इत्र, मौली, जनेऊ और पंच मिष्ठान एक-एक करके।

-अब शमी के पत्तों को चढ़ाते समय ये मंत्र जाप करें:
-अमंगलाननम शमिनी शमिनी दशकृतास्य च।
-दु: स्वप्रनाशिनीधन्यां प्रपद्येहं शमीं शुभाम्।।
– शमी के पत्ते अर्पित करने के बाद शिवजी को धूप और दीप दिखाएं।
– फिर कर्पूर से आरती कर प्रसाद वितरित करें।
– शिवरात्रि पर रात्रि जागरण फलदायी माना जाता है।
– ‘निशीथ काल’ में शिवरात्रि का पूजन करना श्रेष्ठ है। रात के आठवें मुहूर्त को निशीथ काल कहा जाता है। हालांकि, भक्त रात के चार में से किसी एक ध्रुव में सच्ची श्रद्धा के साथ शिव की पूजा कर सकते हैं।

शिवरात्रि पूजा की कुछ खास बातें – Shivratri Puja Ki Kuchh Khas Baten 

शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे – 

  • गरुण पुराण की मान्यता के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रियोदशी तिथि में भगवान् शिव की पूजा करनी चाहिए। और व्रत का संकल्प भी लेना चाहिए। 

इसके पश्च्यात चतुर्दशी की तिथि को निराहार रहकर व्रत करना चाहिए। भगवान् शिव को गंगा जल चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से भगवान् शिव का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

  • महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करवाना चाहिए। और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप भी करना चाहिए। इसके बाद रात्रि में चारो प्रहर शिव जी की पूजा -अर्चना करनी चाहिए। इस के बाद में अगले दिन ब्राह्मणो को प्रफुलित मन्न से इच्छा अनुसार दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें। 
  • गरुण पूर्ण की मान्यता के अनुसार इस दिन बिल्व पत्र के साथ सफ़ेद आकड़े के फूल भी चढ़ाना चाहिए। क्योकि भगवान् शिव को बिल्व पत्र और सफ़ेद आंकड़े के फूल बेहद पसंद है। 
  • इस पवित्र दिन में महामृतुन्जय के मंत्र का जाप भी करना चाहिए। ऐसा करने से रोग-शोक में रहत मिलती है। कोई भी व्रत जब पूर्ण श्रद्धा से किया जाता है तभी उसका फल प्राप्त होता है। 
  • भगवान् शिव की उपासना और व्रत करने से बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। शिवरात्रि के दिन शुभ मुहूर्त में शिवलिंग के प्राणप्रतिष्ठा कराना या स्थापित करवाने से व्यापर में और नौकरी में तरक्की भी मिलती है। 
  • शिवरात्रि के प्रदोष काल में स्फटिक के शिवलिंग को गंगाजल और पंचामृत स्नानं करवाकर धुप-दीप प्रज्ज्वलित कर के मंत्रो का जप करने से जीवन की सभी कठिनाइयां नष्ट है।  
  • जटिल बीमारी से परेशान हो या प्राणो की रक्षा करने केलिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। परन्तु ध्यान रहें की मंत्रो का जप केवल रुद्राक्ष की माला से ही करें। 
  • महामृत्युंजय का मंत्र छोटा दिखाई देता है परन्तु इसके प्रभाव बहुत चमत्कारी और प्रभावशाली होते है। 
  • महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए भगवान् शिव की दूध की धरा से उनका अभिषेक करती है। और साथ ही मंत्रो का उच्चारण भी करती है। 
  • महिलाएं मासिक धर्म के दौरान भगवान् शिव का अभिषेक नहीं करती है। इसीलिए महिलाएं इस बात का खास तौर पर ध्यान रखें। 
  • लक्ष्मी माँ अपने श्री स्वरुप से केवल भगवान् शिव की कृपया से ही जीवन में प्रकट हो सकती है। 
  • भगवान् शिव हम सभी के आराध्य देव भी है हमे अपने आरोग्य जीवन जीने के लिए इनकी आराधना जरूर करनी चाहिए।
  • शिवरात्रि व्रत पूजा कैसे करे –     शिव के भजन  

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