Diwali 2023 |दिवाली,कब है,पूजन मुहूर्त,क्यों मनायी जाती है,कुछ विशेष बातें,महत्त्व,

आइये जानते है की 2023 में दिवाली कब है,क्यों इस त्यौहार को मनाया जाता है,धनतेरस और लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त और दिवाली का हमारे हिन्दू धर्म के लिए क्या महत्व है  

 Diwali 2023 – दिवाली का शाब्दिक अर्थ है दीपो की पंक्ति या दीपो की श्रंखला (दीप +आवली) यहाँ पर आवली का अर्थ पंक्ति या श्रंखला होता है इस पर्व में दीपो को पंक्ति बद्द रूप में जलाया जाता है इसलिए इस पर्व को दिवाली के नाम से जाना जाता है दिवाली  पर्व हिंदू धर्म में सबसे बड़ा सनातनी त्यौहार है और दिवाली के इस त्यौहार को हिंदू ही नहीं बल्कि जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म के लोग भी इस  दिवाली के त्यौहार  को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। यह बात अलग है कि हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोगो का इस त्योहार को मनाने का कारण अलग-अलग है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दिवाली के दिन श्री राम के वनवास से वापिस आने के अलावा और भी कई घटनाएँ घटित हुई थी। जिसके बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे। यह दिन किसी भी अच्छे कार्य की शुरूआत करने के लिए शुभ माना जाता है लेकिन ज्यादा अच्छे परिणाम तथा फल की प्राप्ती के लिए हमे ज्योतिषी द्वारा दिए हुए समय पर ही कार्य को आरंभ करना चाहिए । इसी तरह प्रत्येक पूजा को करने का भी एक निश्चित समय होता है जिसमें ग्रहों की बनी हुई स्थिति एवं लग्न दोगुना या उससे भी ज्यादा लाभ देते हैं। 

दिवाली 2023 कब है – Diwali 2023 Kab Hai

 Diwali 2023 – दिवाली का पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावश्या को मनाया जाने वाले हिन्दू धर्म का सब से बड़ा सनातनी त्यौहार है यह पर्व 2023 में हिन्दू पंचांग के अनुसार दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावश्या को मनाया जाता है। 2023 में ये कार्तिक मास की अमावश्या की तिथि 12 नवंबर को यानि रविवार को है अमावस्या की तिथि दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगी और अगले दिन 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट तक रहेगी . इस प्रकार 12 नवंबर के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाना शुभ रहेगा। 

दिवाली 2023 का पूजन मुहूर्त – Diwali 2023 Ka Pujan Muhurat

 Diwali 2023 – दिवाली के दिन माँ महालक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में ही करने की  परम्परा है. ऐसे में साल 2023 में दिवाली 12 नवबंर के दिन मनाना ही उचित रहेगा. क्योंकि 13 नवम्बर को प्रदोष काल तक तिथि का समापन भी हो जाएगा. ऐसे में 13 नवंबर दे दिन दिवाली पर्व नहीं मनाया जा सकता है। 

माँ लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त्त : 5:40 मिनट से शुरू होकर  7:36 मिनट तक रहेगा। 

पूजन अवधि : 1 घंटे 55 मिनट

प्रदोष काल : 5:29 मिनट से लेकर 8:07 मिनट तक रहेगा 

वृषभ काल : 5:40 मिनट से लेकर 7:36 मिनट तक रहेगा। 

 

आखिर क्यों मनायी जाती है दिवाली – Akhir Kyo Manai Jati Hai Diwali

 Diwali 2023 – इस कथा के बारे में प्रत्येक भारतीय को पता ही होगा कि हिंदू धर्म में भगवान राम के वनवास काट कर अयोध्या वापिस लौटने की खुशी में अयोध्या वासियों नें घी के दीपक जलाए थे, तभी से इस दिन को दिवाली  के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।वह कार्तिक मास की अमावस्या का ही दिन था। इस दिन भगवान श्री राम ने 14 वर्ष का वनवास पूरा कर अथवा लंकापति रावण को मार कर अपनी अयोध्या नगरी में प्रवेश किया था। 

इसके अलावा एक और कथा का वर्णन हमें सुनने को मिलता है, हो सकता है कि आपने इसके बारे में न सुना हो। यह कथा नरकासुर नाम के राक्षस से संबंधित है जिसमें बताया गया है कि एक समय में सभी देवी-देवता, साधु और लोग इस राक्षस की दैवीय शक्तियों के दुरुपयोग से बहुत परेशान थे। Diwali 2023 –  यही नहीं बल्कि 16 हजार से अधिक स्त्रियों को इसने बंदी बना कर रखा हुआ था। तो भक्तों एवं देवताओं की पुकार सुनकर श्री कृष्ण ने इस नरकासुर नामक राक्षस का संपूर्ण नाश (वध) कर दिया था। उस दिन सभी ने उस राक्षस से मुक्ति पानेे की खुशी में अपने-अपने घरों में घी के दीपक जलाए थे। तब से यह दिन दिवाली  के रूप में मनाया जाने लगा। 

इसी दिन विष्णु भगवान ने पाताल लोक को राजा महाबली के हाथ सौंप दिया था जिससे स्वर्ग लोक सुरक्षित होकर इंद्र के पास चला गया था और इंद्र ने इस दिन को दिवाली के रूप में मनाया था। 

 Diwali 2023 – सिक्ख धर्म के लोग इस दिन को इस लिए मनाते हैं क्योंकि इसी दिन अमृतसर में सन 1577 को स्वर्ण मंदिर का कार्य शुरू किया गया था। स्वर्ण मंदिर सिक्खों के बड़े धार्मिक स्थलों में से एक है। और  ग्वालियर के किले में बंद सिखों के 6वें गुरू श्री गोविंद सिंह जी को इसी दिन बंधन से मुक्त (आज़ाद) किया गया था। मुगल बादशाह जहांगीर ने उनको बंदी बना के किले में रखा हुआ था। लेकिन जब उनको सपनों उन्हें छोड़ने के आदेश मिलने लगे और राज्य में परेशानियां बढ़ने लगी, तब जाकर जहांगीर को उसकी की हुई गलती का ऐहसास हुआ था। अंत में उन्होंने गुरू श्री गोविंद सिंह जी को आदरपूर्वक रिहा किया। तब से यह दिन सिक्ख समुदाय के लोगों के लिए पवित्र दिन बन गया।

 Diwali 2023 – सतयुग में समुद्र मंथन के समय माता लक्ष्मी और धन्वंतरि (आरोग्य का देवता) ने प्रकट हो अपने अमूल्य दर्शन भी इसी दिन ही दिए थे। तब से इस दिन को पवित्र और भाग्यशाली माना जाता है। पांडवों का भी दिवाली  से संबंध बताया जाता है कि इसी दिन पांडव 13 साल का वनवास पूरा करके वापिस लौटे थेे।

धनतेरस 2023  की कुछ विशेष बातें – Dhanteras 2023 Ki Kuchh Vishesh Baten

 Diwali 2023 – कुबेर देवता और धन्वंतरि देवता की पूजा से यह दिवाली  का त्योहार आरंभ हो जाता हैै और पूरे पांच दिनों तक चलता रहता है। भगवान विष्णु जी ने इस धरती पर कई रूपों में अवतार लिया हुआ है। वैसे देवता धन्वंतरि को भी उन्हीं के रूप में पूजा जाता है और इनको आरोग्य का देवता माना जाता है। इस देवता की पीतल पसंदीदा धातु है इसलिए ही धनतेरस के दिन धातु का सामान खरीदा व बेचा जाता है।

 Diwali 2023 – पीतल धातु की ख़रीददारी करना धनतेरस पर बहुत शुभ माना जाता है। समुद्र मंथन के समय पर यह पानी के अंदर से प्रकट हुए थे और इनके हाथ में एक कलश था। इसीलिए इनकी तस्वीर और प्रतिमा में यह हाथ में कलश लिए खड़े रहते हैं। कुबेर देवता को धन के देवता के रूप में पूजा जाता है। इन देवताओं की पूजा दिवाली  के दो दिन पूर्व की जाती है। 

 Diwali 2023 – इसके अलावा यम देव की पूजा भी इसी दिन की जाती है जिसके बारे में ज्यादा तर लोग नहीं जानते होंगे। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा की तरफ दीए का मुंह रखकर जलाने से व्यक्ति के अंदर से अकाल मृत्यु का डर खत्म हो 

जाता है। आधी रात हो जाने के बाद यम देवता की पूजा की जाती है और यह धनतेरस के दिन से संबंधित पूजा है। इस पूजा में जिस दीए का प्रयोग होता है उसके चार मुंह होते हैं और उसे चैमुखी दीया कहा जाता है। कुबेर पूजन धन धान्य की कमी नहीं होने देता है।

 

 Diwali 2023 – कार्तिक मास की अमावस्या के दिन, महालक्ष्मी पूजन का उचित समय प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद का होता है। प्रदोष काल का यह समय पूजा का कई गुना ज्यादा फल देने वाला होता है, इस मुहूर्त काल में विधि विधान से करी हुई पूजा से घर और कारोबार की जगह में लक्ष्मी का बास हो जाता है। जिससे घर में धन का आना बना रहता है और कारोबार में धन लाभ होता है। इस लगन में की गई पूजा से महालक्ष्मी का अंश पूजा किए हुए स्थान में रूक जाता है जिससे आप और आपके परिवार पर माता का आशीर्वाद बना रहता हेै। 

 Diwali 2023 – लक्ष्मी माता की पूजा शाम या रात के समय ही शुरू की जाती है। गणेश पूजन से इस पूजा की शुरूआत होती है और मध्य में सरस्वती माता को भी पूजा जाता है। इसके उपरांत काली माता जी की पूजा के लिए महानिशीध काल का मूहुर्त एकदम उचित है। यह मुहूर्त रात्रि के मध्य में आता है और इस समय में की गई पूजा से काली माता जी बहुत खुश होती है। तांत्रिक पूजा के लिए महानिशीध काल को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है।

हिंदू धर्म में दिवाली का महत्त्व – Hindu Dharm Me Diwali Ka Mahatva

 Diwali 2023 – भारत को धार्मिक त्योहारों का देश भी कहा जाता है। यहां त्योहारों को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि यह दिन किसी न किसी पुरानी धार्मिक कथाओं से जुड़े होते हैं। यह पर्व  अच्छाई की बुराई पर विजय का संदेश अपने साथ लेकर आते हैं और हमें मिलजुल कर रहना  सिखाते हैं। दिवाली  के दिन बनी हुई ग्रहों की अवस्था और असाधारण योग पूरे मानव समाज के लिए बहुत लाभदायक होते है। Diwali 2023 –  ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से आप यह साफ-साफ देख सकते हैं। तभी ज्यादातर लोग इस दिन चीजों को खरीदकर अपने-अपने घर लाते हैं। इस दिन सूर्य और चंद्रमा अपना प्रभाव नक्षत्रों पर इस तरह डालते हैं कि जिससे उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। 

 Diwali 2023 – इस त्योहार में गणेश पूजा और माता लक्ष्मी पूजा का बहुत प्रभुता है। कहा जाता है इस दिन माता लक्ष्मी अपने उल्लू पर सवार हो कर पूरी धरती की सैर करती है। इसी बीच अपने भक्तों पर दया दृष्टि डालते हुए जाती हैं। इस दिन लोग पुरानी बुरी बातों को भूल कर नए सिरे से शुरूआत करते है और एक दूसरे को मिठाईयां बांटते हैं। घरों से कूड़ा निकाल कर कमरों की सफाई की जाती है और नए वस्त्र डाले जाते हैं।  Diwali 2023 – दिवाली लोगों में नया उत्साह भर कर जाती है और परिवार के रिश्तों में मजबूती बना कर जाती है। हिंदू धर्म में दिवाली के त्योहार को प्रकाश की अंधकार, अच्छाई की बुराई, ज्ञान की अज्ञान और सत्य की असत्य पर जीत के रूप में जाना जाता है। हमें भी अपने अंदर सकारात्मक सोच रखकर इन त्योहारों से अच्छी बातें सीखनी चाहिए। दिवाली की पौराणिक कथाएं भी हमें सत्य के मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है।