देवशयनी एकादशी व्रत क्यों करना चाहिए ? आइये जानते है सम्पूर्ण जानकारी।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – इस व्रत रखने वाले जातक को अभीष्ट फलों की प्राप्ति होती हैं। वर्ष 2023 में देवशयनी एकादशी व्रत आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष अर्थात 29 जून 2023 को यानि मंगलवार के दिन रखा जायेगा। इस व्रत को हरिशयनी और पद्मनाभा एकादशी आदि नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि एकादशी व्रत भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। जो भी जातक एकादशी व्रत रखते हैं उन्हें भगवान विष्णु की विशेष कृपा निहित होती है। वर्ष में तकरीबन 24 एकादशी आती है। हर माह की कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी आती है। परंतु आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता हैं। इस दिन व्रत रखने वाले जातक अपने मनोवांछित फलों को प्राप्त करते हैं।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – आइए जानते हैं देवशयनी एकादशी व्रत 2023 में कब रखा जाएगा? तथा इस व्रत का महत्व क्या है? इस व्रत से जातक को क्या लाभ होता है? तथा इस व्रत को रखने की शास्त्रार्थ विधि क्या है? आइए जानते हैं इस आर्टिकल के माध्यम से।
जानिए देवशयनी एकादशी व्रत का महत्व क्या है ?
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – देवशयनी एकादशी व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। 29 जून 2023 को देवशयनी एकादशी व्रत रखा जायेगा। एकादशी व्रत का महत्व इसलिए मान्यता रखता है कि इस दिन से भगवान विष्णु चार मास के लिए शयन अर्थात भगवान विष्णु के सोने का समय होता है। इस दिन से लेकर अगले आने वाले 4 मास तक कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह आदि करना शुभ नहीं रहता। इसके दौरान जितने भी पर्व, व्रत, उपवास, साधना, आराधना, जप-तप किए जाते हैं, उनका विशाल स्वरूप एक शब्द में ‘चातुर्मास्य’ कहलाता है। इस समय पर किए गए सभी जप तप व्रत आदि मनोवांछित फलों की प्राप्ति के कारक होते हैं। इन्हीं धार्मिक मान्यताओं के चलते इस व्रत को धारण किया जाता है।
देवशयनी एकादशी व्रत पूजा विधि
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – इस व्रत धारण करने वाले जातक को दशमी के दिन से ही रात्रि को भोजन के साथ नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तथा देवशयनी एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शारीरिक स्वच्छ होकर पूजा स्थान की साफ सफाई करनी चाहिए।
- देवशयनी एकादशी व्रत पूजा करते समय भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र, पीले फूल, पीला चंदन चढ़ाएं। उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।
- विष्णु भगवान के श्री चरणों में धूप दीप तथा पुष्पा चावल अर्पित कर निम्न मंत्रों का जाप करें।
- देवशयनी एकादशी व्रत जातक के लिए बहुत अहम है इसलिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप शुभ फलों का कारक होता है।भगवान विष्णु की पूजा करते समय संकल्प मंत्र का जाप करें।
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
देवशयनी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करता है। इसलिए इस मंत्र का जाप करें।
सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जगत सुप्तं भवेदिदम।
विबुद्धे त्वयि बुध्येत जगत सर्वं चराचरम।
देवशयनी एकादशी व्रत करते समय जातक को भगवान विष्णु से आशीर्वाद स्वरुप क्षमा याचना मंत्र जरुर पढ़ना चाहिए।
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – संपूर्ण पूजा विधि को संपूर्ण करने के पश्चात देव देवशयनी एकादशी व्रत का पालन करें और दिन भर मन से तथा आस्था के साथ “ओम नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
जानिए देवशयनी एकादशी व्रत 2023 शुभ मुहूर्त कब है
यह व्रत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी से ही शुरू हो जाता है। तथा नीचे दी गई शुभ मुहूर्त सारणी को जातक ध्यान में रखें और इस व्रत को शुभ मुहूर्त के साथ तथा विधि-विधान से पूजा करते हुए धारण करना चाहिए। जिससे जातक को मनोवांछित फलों की प्राप्ति हो सके।
प्रारम्भ तिथि – 29 जून 2023 को 03:18 PM बजे
समाप्त तिथि- 30 जून 2023 को 02:42 PM बजे
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – शुभ मुहूर्त पर देवशयनी एकादशी व्रत पारण करना चाहिए। पारण करते समय भूखे ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र दान करने चाहिए। तथा सात्विक भोजन के रूप में तमोगुण युक्त भोजन को त्याग करते हुए अच्छा और शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण करना चाहिए।
जानिए देवशयनी एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – हिन्दू मान्यता के अनुसार देवशयनी एकादशी व्रत की कथा जातक को पूजा विधि संपन्न करने के पश्चात जरूर सुननी चाहिए। अगर जातक कथा पढ़ने में असमर्थ है तो उसे किसी बच्चे या और की सहायता से यह कथा सुननी चाहिए। इस पावन व्रत की कथा जातक के मन चित को शुद्ध करने के लिए सुनाई जाती है।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – इस व्रत की कथा को सुनने के इच्छुक युधिस्टर कहते हैं, हे केशव ! देवशयनी एकादशी व्रत क्यों रखा जाता है? तथा इससे जातक को क्या लाभ हो सकता है? तब भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे युधिस्टर ! जब परमपिता ब्रह्माजी ने नारदजी से यह कथा कही थी जो आज मैं तुम्हें सुनाने जा रहा हूं। ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था की इस व्रत कथा कलयुग में जीवो के उद्धार के लिए आवश्यक है। तथा जो जातक इस व्रत को धारण करते हैं। वो भगवान विष्णु की शरण प्राप्त करते हैं। तथा उन पर सदैव त्रिलोकीनाथ भगवान श्री कृष्ण की कृपा बनी रहती है।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – कथा सुनाते हुए ब्रह्मा जी कहते हैं, कि सूर्यवंश में मांधाता नाम का एक चक्रवर्ती राजा था। जो महान प्रतापी हुआ करते थे और अपने धर्म के अनुसार राज्य का पालन कर रहे थे। उस समय राजा के राज्य में सब कुछ समृद्ध और सकुशल चल रहा था।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – एक समय राज्य में 3 वर्ष तक वर्षा नहीं हुई और राज्य में अकाल की स्थिति उत्पन्न होने लगी। जनता त्रासदी से राजा के पास जाती है और रजा से कहती है कि हे राजन वर्षा नहीं होने की वजह से अन्न उत्पादन नहीं हो रहा है। तथा जनता दुख से त्रासदी कर रही है। कोई जल्दी उपाय कीजिए।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – राजा मांधाता इस समस्या के निवारण के लिए जंगल की तरफ अपने कुछ सैनिकों के साथ निकल पड़ते हैं। जंगल में अनेक ऋषियों को प्रणाम करते हुए अंगारा ऋषि जो कि ब्रह्मा के पुत्र हैं। उनके आश्रम पर पहुंचते हैं। ऋषि अंगारा को प्रणाम करते हुए इस समस्या का कारण जानते हैं। कि हे प्रभु में धर्म के साथ राज्य करता हूं फिर भी मेरे राज्य में अकाल क्यों पड़ रहा है ? इसका में कारण जानना चाहता हूं।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – ऋषि अंगारा ने कहा कि हे राजन सतयुग के चारों स्तंभ धर्म से निर्मित हैं। वेद पठन करने का अधिकार सिर्फ ब्राह्मणों को ही है। परंतु आपके राज्य में एक शूद्र वेद पठन करता है। अगर तुम उस शूद्र का वध नहीं करोगे तो तुम्हारे राज्य का अकाल दूर नहीं होगा। तभी राजा मांधाता ने कहा कि हे प्रभु ! मैं उस शूद्र का कैसे मार सकता हूं। तथा उसे शास्त्र पढ़ने से कैसे रोक सकता हूं। आप कोई दूसरा उपाय बताइए।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – राजा मांधाता को अंगारा ऋषि ने दूसरा उपाय बताते हुए कहा कि अगर आप आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष को पद्मा एकादशी का व्रत रखते हो, तो आपके राज्य में अकाल दूर हो सकता है। तथा आपको भगवान विष्णु की स्तुति करनी चाहिए।
राजा मांधाता ने ऋषि अंगारा द्वारा बताई गई व्रत विधि का पालन किया। राज्य में वर्षा होने लगी। राजा मांधाता ने अपने मंत्रियों तथा राज्य के सभी उच्च अधिकारियों के साथ देवशयनी एकादशी व्रत का पालन किया। अपने राज्य को अकाल की चपेट से बचा लिया।
इस कथा के अनुसार पद्मा एकादशी व्रत को ही देवशयनी एकादशी व्रत कहा जाता है। इस व्रत की महत्ता को सुनते हुए सभी जातक अपने दुखों की निवृत्ति को प्राप्त करते हैं।
देवशयनी एकादशी व्रत की कथा का महत्व
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – जब भगवान कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस व्रत की कथा सुनाते हुए राजा मांधाता का दृष्टांत सुनाया। राजा मांधाता जो कि अपने राज्य में धर्म के अनुसार राज्य करते थे। परंतु फिर भी कारणवश राज्य में अकाल पड़ा। वर्तमान समय में कलयुग में अकाल और समस्याओं का कारण यही है, कि उचित वर्ग के लोग अनुचित वर्ग के साथ जुड़कर अप्रिय कार्यों में संलग्न हो चुके हैं। इसी वजह से कलयुग में जीवन के उद्धार के लिए, ब्रह्मा जी ने नारद जी से कहा था कि जो भी जातक कलयुग में देवशयनी एकादशी व्रत विधि विधान के साथ धारण करते हैं। तथा भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हुए इस व्रत कथा का आस्था के साथ श्रवण करते है तो वह अपने मनोवांछित फलों की प्राप्ति की ओर अग्रसर होते हैं।
देवशयनी एकादशी व्रत 2023 – एकादशी व्रत को धारण करने वाले जातक को भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना करते हुए व्रत शास्त्रार्थ विधि के साथ ही पालन करना चाहिए। जो व्यक्ति शारीरिक, मानसिक, आर्थिक तथा पारिवारिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। उन्हें यह व्रत विधिपूर्वक धारण करना चाहिए। जिससे समस्त दुखों का अंत हो सके और भगवान विष्णु की कृपा के चलते सभी दुखों का शमन हो सके।