ब्रह्मा जी की आरती हिंदी में | Brahma Ji Ki Aarti Hindi Me

ब्रह्मा जी की आरती का आव्हान करते है 

आइये ब्रह्मा जी की आरती से पहले हम उनके बारे में जान लेते हैं। ब्रम्हा जी त्रिदेव में से एक है जिसमें ब्रह्मा जी ब्रह्माण्ड बनाने वाले, विष्णु जी पालनहार और शिव जी विनाशक है। पुराणों के अनुसार कहा जाता है की पहले ब्रम्हा जी के पाँच मस्तक थे परन्तु ब्रह्मा जी के झूठ बोलने के कारण शिव जी ने क्रोध में आकर उनका पांचवा मस्तक  धड़ से अलग कर दिया था | कहा जाता है की  ब्रह्मा जी की आरती करने से ब्रह्मा जी प्रसन होते है 

सम्पूर्ण भारत में ब्रम्हा जी के केवल दो ही मंदिर है परन्तु ब्रह्मा जी की आरती सम्पूर्ण जगत में की जाती है। पुराणों के अनुसार ऐसा एक श्राप के कारण हुआ है इस श्राप को कई रूप में देखा जाता है ,  पौराणिक कथाओ के अनुसार यह श्राप सरस्वती जी ने ब्रह्मा जी को दिया था।  क्योंकि एक यज्ञ में बैठने के लिए ब्रह्मा जी ने  गायत्री जी से दूसरा विवाह किया था। दूसरी मान्यता के अनुसार यह शराप शिवजी ने दिया था क्यूंकि ब्रम्हा जी ने अपनी पुत्री के साथ विवाह किया था।  मजा जाता है की ब्रह्मा जी की आरती करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।  

ब्रह्मा जी की आरती के साथ जी जानते है 4 वेद कोनसे है ?

  • ब्रह्मा जी को  चार सिर और चार हाथों के साथ कमल पर बैठे दिखाया जाता है। उनके हाथों में कमल, काल की गणना करने के लिए मोतियों की माला, जीवन की रचना के लिए पानी से भरा एक कमंडल और चारों वेद रहते हैं। उनके चारों सिर चारों वेदों–ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद के प्रतीक है। ब्रह्मा जी की आरती में इन सभी बातो का वर्णन किया गया है। उनका वाहन हंस है जो अच्छाई और बुराई में भेद करने की अपनी क्षमता एवं शांति के कारण जाना जाता है।

 

ब्रह्मा जी की आरती (Brahma Ji Ki Aarti)

 

पितु मातु सहायक स्वामी सखा,

तुम ही एक नाथ हमारे हो।

जिनके कछु और आधार नहीं,

तिनके तुम ही रखवारे हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो,

दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को,

अतिशय करुणा उर धारे हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको,

तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं,

छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

महाराज महा महिमा तुम्हरी,

मुझसे विरले बुधवारे हो।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि,

मन मंदिर के उजियारे हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो,

इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि,

केहि के अब और सहारे हो।

 

भगवान ब्रह्मा जी की आरती हिंदी अर्थ सहित | 

 

पितु मातु सहायक स्वामी सखा, तुम ही एक नाथ हमारे हो।

हे भगवान ब्रह्मा!! आप ही हमारे माता-पिता, साथी, स्वामी सभी हो। आप ही हम सभी का पालन-पोषण करते हो।

जिनके कछु और आधार नहीं, तिनके तुम ही रखवारे हो।

जिनका इस सृष्टि या ब्रह्मांड में कोई और नही हैं, उनकी देखरेख भी आप ही करते हो।

सब भांति सदा सुखदायक हो, दुःख निर्गुण नाशन हारे हो।

आप सभी को हमेशा सुख प्रदान करते हो व सभी के दुखों, कष्टों, पापों का नाश करते हो।

प्रतिपाल करो सारे जग को, अतिशय करुणा उर धारे हो।

आप इस संपूर्ण जगत का पालन-पोषण करते हो और सभी के ऊपर कृपा दृष्टि रखते हो।

भूल गये हैं हम तो तुमको, तुम तो हमरी सुधि नाहिं बिसारे हो।

हम आपको भूल गए हैं क्योंकि आप तो हमारी सुध तक नही लेते हो।

उपकारन को कछु अंत नहीं, छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो।

आपके उपकार का कोई अंत नही हैं क्योंकि यह सभी के ऊपर विभिन्न रूपों से रहता हैं।

महाराज महा महिमा तुम्हरी, मुझसे विरले बुधवारे हो।

हे ब्रह्मा भगवान, आपकी महिमा अपरंपार हैं और आप मुझसे मिले।

शुभ शांति निकेतन प्रेमनिधि, मन मंदिर के उजियारे हो।

आपके आगमन से घर में शुभ कार्य होते हैं, शांति स्थापित होती हैं और प्रेम का संचार होता हैं। आप मनुष्य के मन को भी एक नयी दिशा दिखाते हो।

इस जीवन के तुम जीवन हो, इन प्राणण के तुम प्यारे हो।

आप ही ने मुझे यह जीवन दिया हैं और अब आप मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय हो।

तुम सों प्रभु पाए प्रताप हरि, केहि के अब और सहारे हो।

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 निवास्थान  Bramhlok ब्रह्मलोक 
मंत्र ॐ  ब्रह्मणे नमः 
अस्त्र  देवैया  धनुष , ब्रह्मास्त्र 
सवारी  हंस 
अन्य नाम  चतुरानन  , श्वेताम्बर , ब्रम्होस , रचेयता 
संतान  सनकादिश ऋषि , नारद मुनि , दक्ष प्रजापति , सप्तऋषि 

ब्रह्मा जी की आरती  इंग्लिश में :-

Pitu Matu Sahayak Svami Sakha,
Tum Hi Ek Nath Hamare Ho.

Jinake Kuchh Aur Adhar Nahin,
Tinake Tum Hi Rakhware Ho .

Sab Bhati Sada Sukhadayak Ho,
Dukh Nirgun Nashan Hare Ho .

Pratipal Kare Sare Jag Ko,
Atishay Karuna Ur Dhare Ho .

Bhool Gaye Hain Ham To Tumako,
Tum To Hamari Sudhi Nahin Bisare Ho .

Upakaran Ko Kachhu Ant Nahin,
Chhinn Hi Chhinn Jo Vistare Ho .

Maharaj Maha Mahima Tumhari,
Mujhase Virale Budhavare Ho .

Shubh Shanti Niketan Prem Nidhi,
Man Mandir Ke Ujiyare Ho .

Is Jivan Ke Tum Hi Jivan Ho,
In Pranan Ke Tum Pyare Ho Mein .

Tum Son Prabhu Paye “Kamal” Hari,
Kehi Ke Ab Aur Sahare Ho .

 

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