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domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init
action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in C:\inetpub\vhosts\astroupdate.com\httpdocs\wp-includes\functions.php on line 6114हिंदुओं की वैदिक मंत्रो की सूची में अग्नि गायत्री मंत्र का विशेष स्थान है। इस मंत्र का स्वास्थ्य जीवन और धन प्राप्ति की कामना से उच्चारण किया जाता है। अग्नि गायत्री मंत्र जो है वह अग्नि देव को समर्पित होता है। अग्नि देव को तेज का देवता माना जाता है।
– जानिए नंदी गायत्री मंत्र क्या है
ऋग्वेद में अग्नि देवता को वरुण और इंद्र देवता के समान माना जाता है। प्राचीन काल से उनकी पूजा की जाती आ रही है। मान्यताओं के अनुसार इस मंत्र का जाप करके अग्नि को जो भी वस्तु पूरी श्रद्धा से अर्पित की जाती है। वह सीधे पितरों को प्राप्त होती है।
“ऊँ महाज्वालाय विद्महे अग्नि मध्याय धीमहि ।
तन्नो: अग्नि प्रचोदयात ।।”
ओम। मैं महान ज्योति की ओर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा हूं, ओह! अग्नि देवता मुझे बुद्धि प्रदान करें, हे अग्नि देव! अग्नि के तेजस्वी देव कृपा मेरे मन को अपने प्रकाश से रोशन करें।
इन मंत्रों पर भी डालें एक नज़र
ॐ सप्तजिह्वाय विद्महे अग्नि देवाय धीमहि तन्न अग्निः प्रचोदयात् ॥
ॐ वैश्वानराय विद्महे लालीलाय धीमहि तन्न अग्निः प्रचोदयात् ॥
इस अदभुत मंत्र का पाठ करते समय बुरे विचारों को मन से दूर रखना चाहिए। इस पाठ में हवन करते समय जातकों को स्वाहा या ओम स्वाहा कहकर ही अग्नि को आहूति अर्पित करनी चाहिए। अग्नि देवता की पत्नी स्वाहा जी थी, इसी कारण से अग्नि में हवन सामग्री या अन्य वस्तु चढ़ाते समय स्वाहा कहा जाता है।
इस दिन सुबह शीघ्र उठकर स्नान करना चाहिए। उसके बाद अग्नि देव की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन ग्रहण करना चाहिए। इस चमत्कारी मंत्र के प्रयोग से पूजा करने से पहले इसके अर्थ को जान लेना चाहिए। इससे मंत्र का प्रभाव अधिक हो जाता है।
यह मंत्र बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है। इसके जाप से अग्नि देव शीघ्र ही प्रसन्न होकर भक्तों को अपना आर्शीवाद देते हैं। किसी भी यज्ञ को आरंभ करने के लिए अग्नि की पूजा करना अत्यंत आवश्यक होता है। इस प्रभावशाली मंत्र के जाप से निरोगी जीवन की प्राप्ति होती है।
कई जातक तन और मन में तेजस्विता लाने के लिए मंत्र का उच्चारण करते हैं। शीघ्रता ही फल को प्राप्त करने के लिए कई जातकों द्वारा इसका पाठ भी किया जाता है। इसके मंत्र के रोजाना जाप से मनुष्य जीवन में आने वाले कष्टों का निवारण हो जाता है। मन की शांति के लिए इस मंत्र को सबसे उत्तम माना गया है। इस मंत्र से मनुष्य की सभी इंद्रियां तेज हो जाती है।
सनातन धर्म में अग्नि को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। प्रतिदिन अग्नि गायत्री मंत्र का जाप करने से अग्नि देव अपने भक्तों पर अत्यंत शीघ्र ही कृपा करतेे हैं। इस प्रभावशाली मंत्र का निरंतर जाप करने से मन शांत रहता है। पुराणों में इस देव को दो मुखों वाला बताया गया है। भेड़ अग्नि देव की सवारी होती है। इनकी पत्नी का नाम स्वाहा था। अग्नि गायत्री मंत्र से मनुष्य के तन और मन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए यह मंत्र बहुत की महत्वपूर्ण होता है।