Mon - Sun - 24 Hourse Available
info@astroupdate.com
Achala Saptami | अचला सप्तमी 2023 में कब है, क्यों मनाया जाता है, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व
January 3, 2023

Achala Saptami | अचला सप्तमी 2023 में कब है, क्यों मनाया जाता है, शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

आज हम आपको Achala Saptami अचला सप्तमी के बारे में बताने जा रहे है, इस पर्व को क्यों मनाया जाता है, अचला सप्तमी कब होती है, इसकी व्रत कथा, वर्ष 2023 की तिथि और मुहूर्त एवं हिन्दू धर्म में इसका क्या महत्व है?

Achala Saptami – हिन्दू धर्म में अचला सप्तमी को बहुत पवित्र पर्व के रूप में पुरे भारतवर्ष में मनाया जाता है। सप्तमी का यह दिवस सूर्य देव को समर्पित होता है। जिसमे उनकी पूजा की जाती है और उनको प्रसन्न करने के लिए व्रत रखे जाते है। अचला सप्तमी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। रथ सप्तमी आरोग्य सप्तमी और सूर्य सप्तमी भी अचला सप्तमी के ही नाम है। शास्त्रों में भगवान सूर्य जी को आरोग्यदायक कहा गया है। माना जाता है की सूर्य की ओर मुख करके यदि साफ़ मन से उनकी स्तुति की जाए तो किसी भी प्रकार के रोग से मनुष्य मुक्त हो जाता है।

 

अचला सप्तमी कब है – Achala Saptami Kab Hai

Achala Saptami – इसे माघ माह के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी के दिन मनाया जाता है। सूर्य सप्तमी प्रत्येक वर्ष मनाए जाने वाला पर्व है। सूर्य देव के उपासकों के लिए यह दिन बहुत विशेष होता है। पितृ पूजा के लिए इस दिन को उत्तम माना गया है।

 

अचला सप्तमी क्यों मनाई जाती है – Achala Saptami Kyo Manai Jati Hai 

Achala Saptami – सूर्य देव का आशीर्वाद पाना रोग मुक्ति के वरदान से कम नहीं है। जिन भक्तों पर सूर्य देवता की कृपा हो जाती है, उनके चर्म रोग जैसे गंभीर रोग भी दूर भाग जाते है। आरोग्य जीवन की चाह से भक्त इस सप्तमी के दिन को पूरी आस्था और श्रद्धा से मनाते है। पौराणिक मान्यताओं के आधार पर माना जाता है की सूर्य ने इसी दिन अपनी किरणों से पृथ्वी को प्रकाशित किया था। इसलिए इसे प्रत्येक वर्ष इसी दिन मनाया जाता है। कई जातक पुत्र रत्न की कामना से भी इस दिन को मनाते है। ऐसे पुत्र सुख से वंचित जातकों द्वारा इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। भारत के कई क्षेत्रों में इस माघी सप्तमी को सूर्य जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन को सूर्यदेव का जन्मदिन माना गया है।

 

वर्ष 2023 की अचला सप्तमी – Varsh 2023 Ki Achla Saptmi 

Achala Saptami – साल 2023 में 14 जनवरी को शनिवार के दिन अचला सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन मुहूर्तों को ध्यान में रखते हुए इस दिन को मनाना चाहिए। पूजा व उपवास को सप्तमी तिथि के अनुसार रखना चाहिए। इस दिन स्नान से पहले सूर्य देव से जुड़ी परम्परा का पालन किया जाता और शुभ मुहूर्त में ही स्न्नान किया जाता है। 

इस साल 2023 में अचला सप्तमी 14 जनवरी 2023 को यानि शनिवार को है। 

इस शुभ तिथि की शुरुआत 13 जनवरी 2023 को शाम को 6 : 17 बजे होगी। 

और तिथि की समाप्ति 14 जनवरी 2023 को 7 :23 बजे होगी।

 

अचला सप्तमी की व्रत कथा Achala Saptami Ki Vrat Katha

Achala Saptami – अचला सप्तमी की व्रत कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण जी के पुत्र शाम्ब के मन में अपने शारीरिक बल और क्षमता को लेकर अभिमान आ चुका था। एक समय की बात है जब दुर्वासा ऋषि  मिलने के उद्देश्य से भगवान श्री कृष्ण के पास आए थे। ऋषि काफी लम्बे समय से तप कर रहे थे जिससे उनका शरीर काफी कमजोर हो गया था। तब शाम्ब उस महान ऋषि के शरीर को देखकर जोर जोर से हंसने लगे। शारीरिक बल के अहंकार में आकर शाम्ब ने उस ऋषि का अपमान कर दिया। दुर्वासा ऋषि स्वयं को अपमानित होते देख बहुत क्रोध में आ गए। उन्होंने शाम्ब को उसके इस दुस्साहस पर कोढ़ हो जाने का श्राप दे दिया। खुद को कुष्ठ रोग में पाकर वह बहुत दुखी हुआ और उसका अहंकार भी टूट के चूर चूर हो गया।

Achala Saptami – उस समय भगवान श्री कृष्ण जी ने अपने पत्र को इस स्थिति में देखकर सूर्य भगवान की पूजा करने के लिए कहा। अपने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए शाम्ब ने प्रतिदिन भगवान सूर्य की पूजा करना आरम्भ कर दी। इसी के साथ माघ मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन व्रत को भी विधिवत तरीके से किया। जिससे की उसको इस श्राप से मुक्ति मिल गयी और उसे पहले जैसा रूप और शरीर प्राप्त हुआ।

 

अचला सप्तमी का महत्व – Achala Saptami Ka Mahatva

Achala Saptami – सनातन धर्म में सूर्य सप्तमी का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त सुबह जल्दी उठ कर पवित्र नदियों में स्नान करके पुरे दिन भगवान सूर्य देव की आराधना करते है। इस दिन चावल, चंदन, फल और दूर्वा का दान करना बहुत श्रेष्ठ माना गया है। इस दिन सूर्य देव को अर्घ अवश्य ही  देना चाहिए। जो जातक के लिए इस दिन पवित्र नदियों  में स्नान करना संभव नहीं हो पता उनको स्नान करते समय गंगा जल को पानी में डाल देना चाहिए। इस दिन ब्राह्मणों और गरीबों को भोजन कराना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *