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February 1, 2025

Karni Mata Mandir | करणी माता मंदिर | करणी माता की कहानी, प्रसिद्ध क्यों है, मेला कब लगता है|

करणी माता मंदिर एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है, जो राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में स्थित है। यह मंदिर देवी माता की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है। बीकानेर शहर से लगभग 30 किलोमीटर दक्षिण दिशा में स्थित इस मंदिर को “चूहों का मंदिर” भी कहा जाता है। करणी माता का जन्म चारण जाति में हुआ था। मंदिर के परिसर में दीवारों पर आकर्षक कलाकृतियां और धार्मिक चित्र बने हुए हैं, जो श्रद्धालुओं का ध्यान खींचते हैं। यहां के सफेद चूहे बेहद पवित्र व माता के रूप माने जाते हैं, और इनका विशेष रूप से सम्मान किया जाता है।

करणी माता मंदिर की कहानी | Karni Mata Mandir Ki Kahani 

करणी माता मंदिर के बारे में कहा जाता है कि करणी माता का जन्म 1387 ईस्वी में एक चारण परिवार में हुआ था, और उनका बचपन का नाम रिघुबाई था। रिघुबाई की शादी साठिका गांव के  रोहड़िया वंश के केलूजी के पुत्र देपा जी और साटीका के जागीरदार हुई थी, लेकिन कुछ दिनों बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन से ऊब गया। इसके बाद, उन्होंने देपा जी की शादी अपनी छोटी बहन गुलाब से करवा दी और खुद को माता की भक्ति और लोगों की सेवा में लगा लिया। ऐसा कहा जाता है कि करणी माता 151 साल तक जीवित रही थीं और 23मार्च 1538 को ज्योर्तिलीन हो गईं। उनके ज्योर्तिलीन होने के बाद, उनके भक्तों ने उनकी मूर्ति स्थापित कर पूजा शुरू की, जो आज भी लगातार चल रही है|

करणी माता मंदिर बीकानेर राजघराने की कुलदेवी हैं और करणी माता मंदिर राजस्थान के लोगों के बीच विशेष रूप से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की मुख्य प्रतिमा माता को समर्पित है, जिन्होंने राजपूत राजा महरावली के साथ एक महत्वपूर्ण घटना का सामना किया था। इनका का इतिहास उस समय से जुड़ा हुआ है जब राजपूतों के राज्यों में धार्मिक और सामाजिक बदलाव हो रहे थे। यह मंदिर करणी माता के जीवन के उदाहरणों और उनके महान कार्यों का स्मरण करता है। कहा जाता है कि उनके आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर रियासतों की स्थापना हुई थी। वर्तमान मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के राजा गंगा सिंह ने 20वीं शताबदी की शुरुआत में करवाया था।  

करणी माता मंदिर की कहानी | Karni Mata Mandir Ki Kahani 

 

करणी माता मेला क्यों पर्सिद्ध है ? | Karni Mata Mela kyu Prasidh Hai 

करणी माता को माँ दुर्गा का ही रूप माना जाता है, जिन्होंने जनकल्याण के लिए अवतार लिया था। वह चारण जाति की योद्धा ऋषि थीं, जो एक तपस्वी का जीवन जीती थीं। राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक शहर में स्थित करणी माता मंदिर बहुत प्रसिद्ध है, और यह माना जाता है कि उनकी प्रसिद्धि उनकी अनूठी कथा और  धार्मिक महत्व के कारण है। उनको भारतीय लोककला में एक महत्वपूर्ण देवी मानी जाती हैं, और उन्हें करणी माता, करणी देवी, और भगवती, मेहाई, जगदम्बा, किनियानी, डाढ़ाली डोकरी के नाम से भी पुकारा जाता है।

करणी माता की पूजा पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिसा, और उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में होती है। उनके पूजन से जुड़ी कई रहस्यमय गाथाएँ और परंपराएँ हैं, जो उन्हें भारतीय सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं। माना जाता है कि माता विक्रमादित्य के राजसी शासनकाल में प्राचीन रक्षा देवी थीं। उन्हें शक्ति और साहस की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को सुरक्षा और सहायता प्रदान करती हैं।माता की पूजा का अद्वितीय पहलू उनकी प्रतिष्ठा और सम्मान करना है।

करणी माता ने मानव और पशु-पक्षियों के संरक्षण के लिए देशनोक में दस हज़ार बीघा ‘ओरण’ की स्थापना की थी। उन्होंने पूंगल के राव शेखा को मुल्तान के कारागृह से मुक्त करवा कर उसकी पुत्री रंगकवर का विवाह राव बिका से करवाया था।उनकी गायों का चरवाहा दसरथ मेघवाल था, और डाकू पेथड़ तथा पूजा महला के साथ गायों की रक्षा करते हुए दसरथ मेघवाल ने अपने प्राणों की आहुति दी। माता ने डाकू पेथड़ और पूजा महला का अंत किया और दसरथ मेघवाल को पूज्य बना दिया, जो सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

करणी माता का मेला कब लगता है ? |Karni Mata Ka Mela Kab Lagata Hai 

राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक में हर साल दो बार करणी माता का मेला लगता है। पहला मेला में सितम्बर-अक्टूबर नवरात्रि के दौरान होता है, जो दोनों में से सबसे बड़ा होता है। दूसरा मेला नवंबर के महीने के दौरान आयोजित होता है। इस यहां लिए लाखों श्रद्धालु और पर्यटक आते हैं। लोग अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए माता के दर्शन करने आते हैं। मेले में स्थानीय गतिविधियाँ भी होती हैं, जैसे वस्त्र, आभूषण और पूजा सामग्री की बिक्री।

करणी माता का मंदिर बीकानेर के अलावा के कहाँ -कहाँ स्तिथ है ?| Karni Mata Ka Mela Bikaner Ke Alawa ke Kha Kha Sthith HAi

करणी माता मंदिर-सुवाप, उदयपुर, अलवर, खुर्द में स्तिथ है

 सुवाप :- प्रतिदिन करणी माता की आरती इस मंदिर में की जाती है, जो जोधपुर से 113 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां करणी माता का जन्म स्थल भी बनवाया गया है। सुवाप में माँ करणी द्वारा आवड़ माता का मंदिर बनवाया गया था, और इस मंदिर में करणी माता स्वयं आवड़ माता की पूजा करती हैं।

उदयपुर :- करणी माता मंदिर 1620 और 1628 के बीच ,महाराजा कर्ण सिंह ने उदयपुर की रक्षा के लिए मचला मगरा में एक आवासीय जगह विकसित किया ! इस दौरान वहा करणी माता मंदिर का निर्माण हुआ था ! हालाँकि लंबे समय तक मंदिर वीरान रहा ही रहा ,लेकिन 1997 में श्री मांनशपूर्ण करणी माता विकास समिति ने इसका पुननिर्माण कराया और लोग वहा करणी माता की पूजा करते है !

अलवर :- करणी माता को समर्पित एक और ऐतिहासिक करणी माता मंदिर शहर अलवर,राजस्थान में स्तिथ है ! यह शहर के मध्य में ,बाला किला और सागर पैलेस के पास स्तिथ है !यहा पर भी करणी माता की पूजा की जाती है !

खुर्द :- करणी माता को समर्पित एक अन्य मंदिर राजस्थान के नागौर जिले के गच्छीपुरा गांव के 12 किलोमीटर उत्तर -पूर्व खुद में स्तिथ है ! इसे बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह के निर्देश किले के रूप में बनवाया गया था ! यहा पर लोग किले को करणी माता के अवतार के रूप में पूजते है !

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