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उत्तरायणी मेला न केवल उत्तराखंड के बागेश्वर में लगता है। बल्कि उत्तर प्रदेश के बरेली में भी प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के पर्व पर इस मेले का आयोजन किया जाता है। बरेली में कोरोना नाम की महामारी के कारण पिछले 2 साल इस तक मेले का आयोजन नहीं किया गया था। परंति इस साल मेले का आगाज हुआ है। ये मेला लगातार तीन दिन तक चलेगा। उत्तरायणी मेला का इतिहास लगभग एक शताब्दी यानि 100 वर्ष पुराना है।
उत्तरायणी मेला – उत्तरायणी जनकल्याण समिति के सानिध्य में उत्तर प्रदेश के बरेली क्लब मैदान पर आयोजित किया जाता है। इस मेले का शुभारंभ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं महाराष्ट्र के राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी जी ने किया था। उत्तरायणी मेले के दौरान श्री भगत सिंह कोश्यारी ने कहा कि प्रत्येक भारत वासी को अपनी मातृभाषा एवं अपनी संस्कृति से प्रेम करना चाहिए। इसी क्रम में उन्होंने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दस मोदी की कही हुई बातों का भी समर्थन किया और कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी भी ये चाहते हैं। कि सभी विद्यालयों में कक्षा तीन तक हमारी मातृभाषा को ही पढ़ाई जाए। जिसके लिए वे खुद कोशिश भी कर रहे है।
उत्तरायणी मेला – महाराष्ट्र के राजपाल ने कहा कि इस बात की हम इस बात पर अधिक जोर दे रहे हैं। कि जितने भी लोग कुमाऊं गढ़वाल के हैं। वह लोग पुनः अपने गांव में जाएं एवं वहां जाकर अपना काम करें। मैं आप से यह नहीं कहता कि लोग दूसरी जगह पर जाकर या दूसरे देश में जाकर के काम या अपनी नौकरी करें। उन्होंने खासतौर से उत्तरकाशी में किए जा रहे अनेको प्रकार के प्रयासो का विवरण देते हुए फलों की खेती करने के उन्हें लिए प्रोत्साहित किया था। इस दौरान उन्होंने जोशीमठ में आई हुई आपदा का जिक्र भी किया और कहा कि वहां पर जो आपदा आई है। ऐसी स्थिति में हम सब उनके साथ खड़े हैं। हम सभी को उनका साथ देना चाहिए। और उन्हें इस आपदा से उभरने का साहस भी बढ़ाना चाहिए।
उत्तरायणी मेला – इससे पहले एक रंगयात्रा भी निकाली गई थी। यह रंगयात्रा डॉ.आंबेडकर पार्क से प्रारम्भ की गई थी। इस रंगयात्रा में लोक कलाकारों ने अपनी शानदार प्रस्तुतिया दी जिस से उत्तराखंड की संस्कृति के चार चाँद लग गये थे। मेले के स्थान पर भी बहुत से कार्यक्रम हुए थे। आपको बता दें कि कोरोना महामारी के चलते पिछले 2 वर्षो से मेले का आयोजन नहीं किया गया था। इस साल मेले का भव्य आयोजन किया जा रहा है। मेले में पूरे देशभर से लाखो की संख्या में लोग आते है और मेले का आनंद लेते है। और इस मेले में 200 से भी ज्यादा स्टाल लगाई जाती हैं। यह मेला साल 1993 से बरेली में लगातार लागत आ रहा है।
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