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जानिए कब है माघ मेला 2023 और कल्पवास का अर्थ | Magh Mela 2023 Aur Kalpwas Ka Arth
February 15, 2023

जानिए कब है माघ मेला 2023 और कल्पवास का अर्थ | Magh Mela 2023 Aur Kalpwas Ka Arth

माघ मेला – Magh Mela

 

माघ मेला 2023 की शुरुआत 6 जनवरी 2023 से हो चुकी है। यदि आप जाने का विचार कर रहे है। तो एक बार जरूर जान लें की यहाँ कब-कब और किस तारीख को स्नानं का आयोजन किया जाएगा।  

प्रयागराज में 6 जनवरी 2023 से माघ पूर्णिमा के स्नान एवं इस मेले की शुरुआत हो  चुकी है। आपको बता दें। की मेले का आखिरी दिन 18 फरवरी 2023 यानी महाशिवरात्रि वाले दिन होगा। माघ के मेले में गंगा-यमुना और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम पर डेढ़ माह तक साधुओं से लेकर लाखो भक्तों यहाँ डुबकी लगाने के लिए पधारते हैं। प्रयागराज में होने वाले इस माघ मेले को ‘अर्ध कुम्भ’ मेला भी कह सकते है। इस मेले में  कल्पवासी 45 दिन तक तीनो नदियों के संगम के किनारे ही रहते हैं। ऐसा भी माना जाता है। जो भी भक्त मेले की खास तिथि पर स्नान करने के लिए यहाँ आता है उसके  सारे पाप धूल जाते हैं। और वह सभी प्रकार के कष्टों से भी मुक्त हो जाता है। तो आइये आज आपको इस मेले के बारे में और अधिक जानकारी देते हैं।

 

माघ मेला का अगला स्नान – Magh Mela Ka Snan

 

माघ मेला वर्ष 2023 का प्रथम स्नान 6 जनवरी 2023 को पौष मास की पूर्णिमा से आरम्भ हो जाएग । माघ मेले का प्रथम स्नान पौष पूर्णिमा के दिन 6 जनवरी 2023 को किया गया था। इसके पश्च्यात दूसरा स्नान मकर संक्रांति के त्यौहार पर 14 से 15 जनवरी को किया गया था। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि पर भी माघ मेले में स्नानं किया जाएगा। आखिरी दिन यानि 19 फरवरी 2023 के बाद मौनी अमावस्या का स्नान 21 फरवरी 2023 को किया जायेगा। यदि आप माघ मेला में स्नान के लिए जाना चाहते है। तो इन दिनों में आप अपनी प्लानिंग भी कर सकते हैं।

 

माघ मेला में कल्पवास का अर्थ क्या है – Kalpwas ka Arth

 

माघ मेला में हिंदू धार्मिक त्योहारों में से एक विशेष त्यौहार है। ये मेला भगवान ब्रह्मा जी के द्वारा ब्रह्मांड का निर्माण करने पर उसका जश्न मनाने हेतु इस मेले का आयोजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है की जो लोग इस दौरान कल्पवास का पालन करते हैं। उनके पिछले जन्म के बचे हुए पाप भी धुल जाते हैं। उन्हें जन्म-मृत्यु के इस चक्र से भी मुक्ति प्राप्त हो जाती है। आपको बता दें। कल्पवास करने वाले भक्तो को कल्पवासी भी कहते है। 

 

नागा साधुओं की भीड़ देखने को मिलती है

 

डेढ़ माह तक चलने वाले इस माघ मेले में आपको नागा साधु भी देखने को मिलेंगे। जो साधु सालों-सालों तक कहीं पर भी नजर नहीं आते है। वो साधु भी इन दिनों में संगम पर स्नान करने एवं संगम नदी का लाभ लेने के लिए यहाँ आते हैं। आपको बता दें। की नागा साधु काफी रहस्यों से भरे हुए होते हैं।  वो ज्यादा किसी से भी घुलते-मिलते नहीं हैं। पूरे साल नग्न अवस्था में हिमालय पर ही वास करते हैं।

 

यात्रियों के लिए किए गए इंतजाम 

 

यहाँ पर यात्रियों के लिए माघ मेला में स्नान करने के लिए हर तरह की व्यवस्था की गई है । हर होटल में या आश्रम में 2500 लोगों के रुकने की सुव्यवस्था की गई है। प्रयागराज के रेलवे जंक्शन पर करीब 10 हजार यात्री ठहर सकते हैं। सीएक साथ ही आश्रयों में पूछताछ के लिए पृथक काउंटर, टिकट काउंटर, ट्रेन टाइमिंग डिस्प्ले बोर्ड, पीने का पानी, लाइट एवं टॉयलेट की व्यवस्था भी करवाई गई है ।

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