खोले के हनुमान जी मंदिर
छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध गुलाबी नगरी जयपुर मे बहुत मंदिर है। लेकिन इस सब मंदिरों में अपनी अलग पहचान रखने वाला एक विशेष हनुमान मंदिर भी है। जिसे खोले के हनुमान जी के नाम से भी जाना जाता है। खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर में रामगढ़ मोड़ के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से लगभग 2 किलोमीटर अंदर है। खोले के हनुमान जी मंदिर का भव्य द्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 8 पर स्थित है।
यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। जो प्राचीन दुर्ग शैली से बना हुआ है। यह मंदिर 3 मंजिला इमारत जितना है। इस मंदिर की एक विशेषता यह भी है कि यहां हनुमान जी की लेटी हुई मूर्ति है।खोले के हनुमान जी के मंदिर में हनुमान जी के अलावा गणेश जी, ठाकुर जी, श्री राम दरबार मंदिर भी देखने को मिलते हैं। इसी के साथ मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्रकारी देखने को मिलती है।
इतिहासकारों का मानना है कि 60 के दशक मे शहर की पूर्वी पहाड़ियों और जंगल के बीचो-बीच यह मंदिर स्थित होने के कारण कोई भी इस मंदिर तक नहीं पहुंच पाता था और तभी एक ब्राह्मण ने मंदिर तक जाने का विचार किया और मंदिर तक पहुंचा गया। खोले के हनुमान जी मंदिर के अंदर जब ब्राह्मण गया तो उसने देखा कि वहां भगवान श्री हनुमान जी की लेटी हुई अवस्था में एक बहुत विशाल मूर्ति है।
हनुमान जी की मूर्ति को देखकर ब्राह्मण ने के मन में हनुमान जी के प्रति आस्था का उद्गम हुआ और उसने यही रहकर हनुमान जी की पूजा भक्ति और सेवा करने का निर्णय कर लिया और अपने अंतिम सांस तक वह वही हनुमान जी साथ रहकर उसने हनुमान जी की सेवा करी और यही विलीन हो गए। उस ब्राह्मण देवता का नाम था, पंडित राधेलाल चौबे जी जो कि हनुमान जी के परम भक्त थे। पंडित राधेलाल चौबे जी के जीवन भर की मेहनत का फल यह निकला जो निर्जन स्थान जहा लोग जाने से भी डरते थे। आज वहां भक्तों का सैलाब उमड़ा रहता है और यह एक दर्शनीय स्थल बन गया।
पंडित राधेलाल चौबे ने मंदिर के विकास के लिए 1961 में नरवर आश्रम सेवा समिति की स्थापना की। जब स्थान पूरी तरह से निर्जन था तब यहां पहाड़ों की खोल से पानी बहा करता था। इसलिए इस मंदिर का नाम खोले के हनुमान जी पड़ गया।
खोले के हनुमान जी मंदिर में हनुमान जयंती और रामनवमी को एक विशेष त्यौहार का आयोजन किया जाता है। जहां लाखों की संख्या में भक्त धूमधाम से त्योहार को मनाते हैं।
खोले के हनुमान जी मंदिर का इतिहास
खोले के हनुमान जी मंदिर 60 के दशक के दौरान पहाड़ों पर बरसाती नाले और पहाड़ों की बीचो-बीच निर्जल स्थान में जंगली जानवरों के डर के कारण यहां कोई भी आने का साहस नहीं करता था। तभी एक साहसी ब्राह्मण ने इस जंगल में जाने का प्रण लिया और वहां जाकर उसने देखा कि यहां एक हनुमान जी की विशालकाय मूर्ति लेटी हुई अवस्था में विराजमान है। यहां पर बालाजी की मूर्ति को देख कर ब्राह्मण ने वहीं रहकर अपने आराध्य की सेवा पूजा करने का फैसला किया और जब तक उनके प्राण रहे तब तक वह उसी जगह रहे और वहीं उन्होंने अपने आराध्य देव की सेवा करें।
खोले के हनुमान जी मंदिर की वास्तु कला
खोले के हनुमान जी मंदिर जयपुर के रामगढ़ के पास राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से 2 किलोमीटर अंदर है। मंदिर का मुख्य द्वार राष्ट्रीय राजमार्ग पर है। खोले के हनुमान जी मंदिर का निर्माण प्राचीन दुर्ग शैली से हुआ है। खोले के हनुमान जी मंदिर लगभग 3 मंजिल इमारत जितना है। जो देखने में बहुत ही भव्य और आकर्षक लगता है। मंदिर के सामने एक बहुत बड़ा खुला चौक भी है। जहां मेलों और त्यौहारों का आयोजन होता है।
खोले के हनुमान जी मंदिर के दरवाजे के ठीक दाये और पंडित राधेलाल जी चौबे की एक बहुत बड़ी सुंदर प्रतिमा बनी हुई है। जो कि सफेद संगमरमर से बनी हुई है।
साल के 365 दिन यह दर्शन करने के लिए भक आते रहते है। लेकिन मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। लोगों का मानना है कि इस मंदिर में जो भी भक्तों सच्चे मन से कोई मनोकामना मांगता है तो वह पूर्ण होती है और मनोकामना पूर्ण होने के बाद यहां पर गोठ का आयोजन कर लोगों को प्रसादी वितरण की जाती है।
खोले के हनुमान जी मंदिर में आरती और दर्शन का समय
खोले के हनुमान जी मंदिर में प्रातः 5:00 बजे से लेकर रात्रि 9:00 बजे तक श्रद्धालु दर्शन कर सकते हैं इसी के साथ भगवान हनुमान जी की पहली आरती प्रातः 5:30 से और और शयन आरती रात्रि 8:00 बजे होती है।
इसी के साथ श्रद्धालु यहां हनुमान जी के साथ साथ ठाकुर जी, गणेश जी, गायत्री माता , श्री राम दरबार, ऋषि वाल्मीकि जैसे अन्य भव्य मंदिरों के भी दर्शन कर सकते हैं। यहां श्री राम दरबार में भगवान राम के साथ लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न ,की मूर्तियां भी विराजमान है जो कि देखने में भी आकर्षक लगती है।