Sardar vallabh bhai patel jayanti – कैसे एक साधारण परिवर में जन्म लेने वाले मनुष्य लोह पुरुष बना इसका जवाब इस लेख में मिलेगा. सरदार वल्लभभाई पटेल एक ऐसा नाम है। जो स्वतंत्रता आन्दोलन को प्रत्यक्ष रूप से देखा था, के ज़हन में आता हैं उनका शरीर नव उर्जा से भर जाता हैं, लेकिन मन में एक आत्म ग्लानि सी उमड़ पड़ती हैं, क्यूंकि उस वक्त का हर एक युवा और अन्य भारतवासी वल्लभभाई को ही प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता था, लेकिन अंग्रेजो की निति गाँधी जी के निर्णय जवाहर लाला नेहरू की जिद्द के कारण वे भारत के प्रथम प्रधान मंत्री नहीं बन सके।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – सरदार वल्लभ भाई पटेल लोह पुरुष के नाम से भी पहचाने जाते है। उनकी ख्याति किसी सुर वीर से काम नहीं थी। उन्होंने 200 वर्षो से अंग्रेजो की गुलामी में फसें देश के अलग अलग राज्यों को एक जगह संघटित कर भारत में मिलाया। ऐसा करने केलिए उन्हें किसी भी प्रकार की सैन्य बल की जरुरत भी नहीं पड़ी। बस यही उनकी महान ख्याति थी। जो इन्हे सबसे अलग पहचान दिलाती थी।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – सरदार वल्लभ भाई पटेल एक किसान से सम्बन्ध रखते थे। एक साधारण मनुष्य की तरह इनके भी कुछ लक्ष्य थे। वह पढ़ना चाहते थे कुछ कामाना चाहत थे। फिर कुछ हिस्सा बचा कर वे इंग्लैंड जाकर अपनी पढाई पूरी करना कहते थे। इन सभी में बहुत ही कठिन परिस्तिथियों का सामना भी करना पड़ा। जीवन के शुरुआती दौर में इनके घरवाले इन्हे नाकारा समझते थे। सरदार वल्लभ भाई पटल ने 22 वर्ष की उम्र में अपनी मीट्रिक की पढाई पूरी की। फिर सरदार वल्लभ भाई पटेल ने घर दे दूर जाकर अपनी वकालात की पढ़ी पूरी की। जीके लिए उन्हें बिना पैसो के उधार में किताबें लेनी पड़ी,उसी समय इन्होने नौकरी भी की और अपने परिवार का पालन पोषण भी किया। इसी तरह अपनी जिंदगी से लड़ते – लड़ते आगे बढे ,परन्तु ये इस बात से अनजान थे की वे भविष्य में ओह पुरुष कहलाने वाले है। इंग्लैंड जाकर 36 महीने की पढाई को इन्होने 30 महीने में ही पूरी की उन दिनों में इन्होने अपने कॉलेज में अपना नाम रोशन किया। इसके बाद वे भारत लौट आये और एक बैरिस्टर के रूप में कार्य करने लगे। वे सूट बूट यूरोपियन तरीके से कपडे पहनने लगे उनमे काफी बदलाव आया। फिर ये गाँधी जी के विचारो को ध्यान में रख कर उन्होंने सामाजिक बुराइओं के खिलाफ उठाई और अपने भाषण क्र जरिये वो लोगो को अपनी तरफ खिंचने लगे। धीरे – धीरे वे राजनीती में सक्रिय रहने लगे।
इस बुलंद आवाज नेता वल्लभभाई ने बारडोली में सत्याग्रह का नेतृत्व किया था। यह सत्याग्रह उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के खिलाफ किया गया था. इसमें सरकार द्वारा बढ़ाये गए कर का खिलाफ किया गया था और किसान भाइयों की एकता को देख कर ब्रिटिश वायसराय को मजबूर होकर झुकना पड़ा. इस बारडोली सत्याग्रह की वजह पुरे भारत देश में वल्लभभाई पटेल का नाम विख्यात हुआ और लोगो में उत्साह की लहर दौड़ पड़ी. इस आन्दोलन की सफलता के मिलने के बाद वल्लभ भाई पटेल को बारडोली के लोग प्रसन्न होकर सरदार कहने लगे जिसके बाद इन्हें सरदार पटेल के नाम से जाना जाने लगा।
सरदार वल्लभ भाई पटेल की लोगो में पहचान धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थी, इन्होने लगातार नगर के चुनाव जीते और 1922, 1924 और 1927 में अहमदाबाद के नगर निगम के अध्यक्ष के पद पर चुने गए. 1920 के आसपास के दशक में पटेल ने गुजरात कांग्रेस को ज्वाइन किया, जिसके बाद वे 1945 तक गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष बने रहे। 1932 में इन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया. इन्हें कांग्रेस में लोग इन्हे ज्यादा मान्यता देने लगे बहुत इनकी इज्जत भी करने लगे उस वक्त गाँधी जी,नेहरु जी एवं सरदार पटेल ही नेशनल कांग्रेस के मुख्य बिंदु थे. आजादी के बाद वे देश के गृहमंत्री एवं उपप्रधानमंत्री के रूप में चुने गए। वैसे सरदार पटेल प्रधानमंत्री के प्रथम दावेदार थे उन्हें कांग्रेस पार्टी के सर्वाधिक चाहने वाले व्यक्ति थे। लेकिन गाँधी जी की अकारण हट के कारण उन्होंने अपने आप को इससे दूर रखा।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – सरदार पटेल एवं नेहरु दोनों गाँधी विचार धारा से प्रभावित थे। इसलिए एकसाथ थे। वरना तो इन दोनों की सोच विचार में बहुत अंतर था. जहाँ पटेल धरातल से जुड़े हुए थे।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – वे साधारण व्यक्तित्व के धनि थे। वही नेहरु जी अमीर घरानों के नवाब थे, जमीनी हकीकत से अनजान थे। ये एक ऐसे व्यक्ति जो बस सोचते थे और वही कार्य सरदार पटेल करके दिखा देते थे. शैक्षणिक योग्यता हो या व्यवहारिक सोच हो इन सभी में पटेल नेहरु जी से बहुत आगे थे. कांग्रेस में नेहरू जी के लिए पटेल एक बहुत बड़ा रोड़ा थे.
1948 में हुई गाँधी जी की नाथू राम गोडसे के द्वारा मृत्यु हो जाने के बाद पटेल को इस बात का गहरा सदमा पहुँचा और उन्हें कुछ महीनो बाद हार्ट अटैक हुआ जिसके कारन वे भी इस दुनिया से 15 दिसम्बर 1950 को इस दुनिया से विदा लेकर चलेगये। लेकिन उनका नाम उनके जाने के बाद भी लोगो के दिलो में लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से आज भी जिन्दा है।
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – सरदार वल्लभ भाई पटेल को 1991 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया। इनके नाम से कई शेक्षणिक संस्थायें भी है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से हवाईअड्डा भी बनाया गया।
सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम 2013में उनके जन्मदिन के उपलक्ष में स्टेचू ऑफ यूनिटी गुजरात में उनका स्मृति स्मारक बनाने की शुरुवात की गई, यह स्मारक भरूच (गुजरात) के पास नर्मदा जिले में बनाया गया है।
स्टेचू ऑफ यूनिटी – Statue of unity /Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti
Sardar Vallabh Bhai Patel Jayanti – सरदार वल्लभ भाई पटेल की यद् में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने गुजरात में सबसे ऊँची मूर्ति स्टेचू ऑफ यूनिटी का भव्य निर्माण करवाया। यह स्टेचू केवल 4 साल में बन कर तैयार हो गई थी।