महातारा जयंती भारतवर्ष द्वारा मनाए जाने वाला प्रसिद्ध त्योहार है। मां तारा जी के उपासकों के लिए यह दिन बहुत ही विशेष होता है। यह जयंती का दिन तंत्र मंत्र के प्रयोग से पूजा साधना से देवी को प्रसन्न करने वाली विधि को सर्व सिद्धि कारक माना गया है। शास्त्रों के अनुसार मां तारा जी को दस महाविद्याओं में से ही एक रूप है।
मां तारा देवी मनुष्य जीवन में आने वाली सभी परेशानियों का नाश करती हैं। हिंदुओं द्वारा इस दिन को प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। इस देवी की साधना को अघोरी साधना कहा गया है। पूरे विधि विधान से तारा देवी जी पूजा करने पर धन लाभ होता और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। तारिणी देवी के नाम से भी तारा देवी को जाना जाता है। माता के भिन्न रूपों का नाम नील सरस्वती, एकजटा और उग्र तारा है। शत्रुओं के नाश की कामना से इन रूपों का पूजन किया जाता है।
सृष्टि की रचना से पहले कोई भी तत्व संसार में उपस्थित नहीं था। सर्वत्र अंधकार और मां काली जी ही उपस्थित थी। जिस समय कोई भी शक्ति नहीं थी, उस समय सृष्टि में एक प्रकाश की किरण उत्पन्न हुई थी जिसे महातारा के नाम से जाना जाने लगा। रोशनी से हुई उत्पत्ति के कारण ही देवी का नाम तारा देवी पड़ा था।
वहीं ऋषि अक्षोभ्य की शक्ति देवी तारा जी ही हैं। देवी महातारा जी को ब्रह्मांड के पूर्ण पिंड का स्वामित्व प्राप्त है। वहीं समुद्र मंथन की कथा के आधार पर ही इनको नील तारा और महातारा नाम से जाना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार महातारा जयंती के पर्व को चैत्र माह में आने वाले शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को मनाया जाता है।
वर्ष 2023 में 30 मार्च गुरुवार के दिन महातारा जयंती को मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार इस दिन चैत्र की नवमी आने वाली है।
सनातन धर्म में तारा देवी का पूजन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। भारत के गोटेगांव मे झौतेश्र्वर आश्रम में स्थित श्रीधाम मां त्रिपुरसंुदरी मंदिर में इस दिन पर बहुत बड़े स्तर पर इस जयंती के दिन आयोजन किया जाता है। माता तारा देवी के भक्त इस दिन दूर दूर से देवी की साधक साधना के लिए यहां एकत्रित होते हैं।
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