[wpdreams_ajaxsearchlite]
  • Home ›  
  • दुर्गा पूजा 2023 में कब है | Durga Puja 2023 Me Kab Hia, जानियें महत्व, कथा और क्यों इसे मनाया जाता है

दुर्गा पूजा 2023 में कब है | Durga Puja 2023 Me Kab Hia, जानियें महत्व, कथा और क्यों इसे मनाया जाता है

दुर्गा पूजा 2023
November 28, 2022

जानिए दुर्गा पूजा के पर्व के बारे में संक्षेप में, कब और क्यों इसे मनाया जाता है, वर्ष 2023 की तिथियां, दुर्गा पूजा से सम्बंधित पौराणिक कथा और हिन्दू धर्म में इसका क्या महत्व है?

दुर्गा पूजा 2023 – हिंदू धर्म में दुर्गा मां के विभिन्न रूपों का ही बहुत महत्व है, जिससे आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि मां दुर्गा पूजा के पर्व को भक्त कितनी आस्था के साथ मनाते होंगे। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्रि के स्वागत के रूप में मनाया जाता है। अश्विन शुक्ल षष्ठी को ही दुर्गा पूजा उत्सव का आरंभ हो जाता है और दशमी तक यह पर्व चलता है। इस पर्व में माता दुर्गा की प्रतिमा की स्थापना की जाती है और उत्सव के अंत को मां की विदाई का समय मानकर बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस उत्सव के चलते दुर्गा बलिदान और सिंदूर खेला की रस्म की जाती है। 

दुर्गा पूजा 2023 – चैत्र व अश्र्विन माह के शुक्ल पक्ष में आई नवमी के दिन दुर्गा बलिदान की रस्म को किया जाता है। जिसमें सब्जियों के साथ सांकेतिक बलि दी जाती है, जिसे पूरे विधि विधान और अनुष्ठानों के पालन के साथ किया जाता है। प्राचीनकाल में इस रस्म के दौरान कई स्थानों में पशुओं की बलि दी जाती थी। इसी दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर सिंदूर खेला की रस्म की जाती है जिसमें महिलाएं एक दूसरे के चहरे पर सिंदूर लगाकर पति की लंबी आयु की कामना करके इस खेल को खेलती हैं। सुहागिनों के लिए यह उत्सव विशेष होता है और माता की विदाई के रूप में मनाया जाता है। मूर्ति विसर्जन से ठीक एक दिन पहले मनाए जाने वाले इस दिन का आरंभ दुर्गा जी पान के पत्ते को चढ़ा के किया जाता है। 

दुर्गा पूजा 2023 – बंगाल में यह उत्सव बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है। पान के पत्ते को अर्पित करने बाद माता को सिंदूर लगाया जाता है। इससे अगले दिन माता दुर्गा जी को विदाई दे दी जाती है। माता के आर्शीवाद से सुहागिनों को अपने पति की दीर्घ आयु का वरदान मिलता है। माना जात है माता दुर्गा इन दिनों अपने ससुराल के लिए प्रस्थान करती और विश्राम करती हैं। दशवी तिथि के समय माता वापिस लौट आती हैं। माता द्वारा माइके को छोड़ने पर विदाई को इसी रस्म माध्यम से किया जाता है।

 

जानिए कब मनाई जाती है दुर्गा पूजा – Janiye Kab Manai Jati Hai Durga Puja 

दुर्गा पूजा 2023 – अधिक मास के कारण हिंदू पंचांग में इसकी तिथि में अन्य वर्ष की अपेक्षा अंतर आ जाता है। इसे शरदोत्सव और दुर्गोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। वर्तमान समय में प्रयोग किए जाने कैलेंडर के अनुसार दुर्गा पूजा का पर्व सितंबर या अक्टूबर के महीने में आता है। यह पर्व चैत्र व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली षष्ठी को आरंभ हो जाता है और दशमी को दशहरे के प्रसिद्ध त्यौहार से समाप्त हो जाता है। हिंदू धर्म में अष्टमी तिथि को दुर्गा महा अष्टमी कहा जाता है और दुर्गा पूजा कहा जाता है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाला यह त्योहार कई राज्यों में दस दिनों तक भी मनाया जाता है।

 

दुर्गा पूजा क्यों मनाई जाती है – Durga Puja Kyo Manai Jati Hai 

दुर्गा पूजा 2023 – मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितृपक्ष का समापन हो जाता है और माता दुर्गा जी पृथ्वी पर आगमन करती हैं। भिन्न स्थानों व राज्यों में मान्ताएं अलग हो सकती हैं परंतु पूरे भारत में यह दिन माता दुर्गा को समर्पित हैं। इस पांच दिनों तक चलने वाले उत्सव को स्थानों में पांच से ज्यादा दिनों तक मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा 2023 –  बंगाल के लोगों के लिए माता काली की अराधना से बड़ा कुछ नहीं होता है, वहां के लोग काली माता के आर्शीवाद को प्राप्त करने के लिए यह दिन मनाते हैं। काली माता भी दुर्गा जी का ही एक अन्य रूप है।

दुर्गा पूजा 2023 – दशमी का दिन विजयदशमी व दशहरा का दिन होता है इसलिए षष्टी के दिन से ही दुर्गा मां को प्रसन्न करने के लिए यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन दुर्गा मां की पूजा करने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है और सुहागिनों द्वारा रखे गए व्रत से उनके पति को दीर्घायु और निरोग जीवन की प्राप्ति होती है।

 

वर्ष 2023 में दुर्गा पूजा की तिथियां – Varsh 2023 Me Durga Puja Ki Tithiyan  

 

दिनांक  तिथि  माँ दुर्गा के रूप 
15 अक्टूबर 2023 प्रतिपदा तिथि मां शैलपुत्री
16 अक्टूबर 2023 द्वितीय तिथि मां ब्रह्मचारिणी
17 अक्टूबर 2023 तृतीया तिथि   मां चंद्रघंटा
18 अक्टूबर 2023 चतुर्थी तिथि मां कुष्मांडा
19 अक्टूबर 2023 पंचमी तिथि मां स्कंदमाता
20 अक्टूबर 2023 षष्ठी तिथि मां कात्यायनी
21 अक्टूबर 2023 सप्तमी तिथि मां कालरात्रि
22 अक्टूबर 2023 दुर्गा अष्टमी     मां महागौरी
23 अक्टूबर 2023 शरद नवरात्र व्रत पारण महानवमी
24 अक्टूबर 2023 दशमी तिथि (दशहरा) मां दुर्गा विसर्जन

दुर्गा पूजा से संबंधित पौराणिक कथा – Durga Puja Se Sambandhit Pouranik Katha  

दुर्गा पूजा 2023 – हिंदू पुराण में लिखित कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक बहुत शक्तिशाली महिषासुर नाम का राक्षस था। इस राक्षस ने स्वर्ग लोक को अपने अधीन करने के लिए भगवान ब्रह्मा जी की कई वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। इस तपस्या से ब्रह्मा जी बहुत प्रसन्न हुए थे और महिषासुर को अपने दर्शन दिए थे।

दुर्गा पूजा 2023 – ब्रह्मदेव ने उस राक्षसराज के सामने प्रकट होकर वरदान मांगने को कहा। उस समय महिषासुर ने अमरता का वर मांग लिया था, लेकिन ब्रह्मा जी ने यह वरदान देने से उस राक्षसराज को मना कर दिया था। इस वरदान के बदले में महिषासुर ने कहा कि मेरा वध केवल स्त्री के हाथों होना ही संभव हो, स्त्री के बजाए कोई भी व्यक्ति उसका वध करने में सक्षम न हो। इस वरदान के लिए ब्रह्मा जी मान गए थे और तथास्तु कह कर वहां से अदृश्य हो गए।

दुर्गा पूजा 2023 – महिषासुरने सोचा की मुझ जैसे बलशाली राक्षस को कोई स्त्री भला कैसे ही वध कर पाएगी अर्थात खुद को अमर सोच कर महिषासुर बहुत प्रसन्न हुआ। वरदान प्राप्ति के कुछ समय बाद ही राक्षस राज ने स्वर्ग लोक पर अपना सेना की सहायता से आक्रमण कर दिया। उसके इस आक्रमण से सारे स्वर्ग लोक में हाहाकार मच गया और सभी देवता ब्रह्मा के वरदान के कारण उसका कुछ नहीं कर पाए। ऐसे में युद्ध हार कर सभी देवताओं को स्वर्ग लोक से जाना पड़ा।

दुर्गा पूजा 2023 – उसके बाद सभी देव सहायता के लिए त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव के पास सहायता मांगने के लिए गए। ब्रह्मा के वरदान का पालन करने के कारण त्रिदेवों में भी कोई इस राक्षस का वध करने में सक्षम नहीं था। तभी ब्रह्मा जी, भगवान श्री विष्णु और महादेव जी ने आंतरिक शक्ति का प्रयोग किया।

दुर्गा पूजा 2023 –  तीनों द्वारा निर्माण की शक्ति से स्त्री रूप में मां दुर्गा प्रकट हुई। उसके बाद माता दुर्गा जी और महिषासुर में एक भयंकर युद्ध हुआ। इस युद्ध में ब्रह्मा जी के वरदान के फलस्वरूप दुर्गा जी ने राक्षस महिषासुर का वध कर देवताओं को उनका स्वर्ग लोक दिलाया। महिषासुर का संहार दुर्गा माता ने अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को ही किया जाता है। इस प्रकार अच्छाई की बुराई पर जीत के रूप में इसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा 2023 – इसके अलावा रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने इस दिन लंकापति रावण का वध किया था। विजयदशमी से संबंधित कई मान्यताएं हो सकती हैं। लेकिन दशहरे के इस दिन को धर्म की अधर्म पर विजय मानकर मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा का हिंदू धर्म में महत्व – Durga Puja Ka Hindu Dharm Me Mahatva 

दुर्गा पूजा 2023 – इस दिन मां दुर्गा के मंत्र उच्चारण से पूरा भारतवर्ष गूंज पड़ता है और पवित्र हो जाता है। शक्ति की देवी माने जानी वाली मां दुर्गा की पूजा भक्तों द्वारा की जाती है। इस दिन बहुत बड़े स्तर पर पाठ व हवनों का आयोजन किया जाता है। षष्ठी से दशमी तक आने वाले सभी दिन माता दुर्गा जी को समर्पित होते हैं, जिसमें उनकी अराधना की जाती है। भारत के कई राज्यों में इसे दस दिनों तक मनाया जाता है। बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा पूजा के त्यौहार का बहुत महत्व होता है। 

दुर्गा पूजा 2023 – इस पांच दिवसीय त्योहार से शारदीय नवरात्रों के आने का ज्ञान भक्तों को हो जाता है। इससे कुछ दिनों के बाद ही शारदीय नवरात्रि के दिन आरंभ हो जाते हैं। दुर्गा पूजा की दशमी को हिंदू धर्म का प्रसिद्ध त्योहार दशहरा आता है। जिसे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है ।

दुर्गा पूजा 2023 – रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाथ और रावण के भाई कुंभकर्ण के बड़े बड़े पुतलों को जलाया जाता है। इस दिन की शुरूआत भी दुर्गा पूजा से की जाती है। वहीं शारदीय नवरात्रों के नौ दिवसीय अवसर पर माता दुर्गा के नौ अलग अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों में मिठाई को प्रसाद के रूप में ग्रहण कर व्रत को खोला जाता है।

दुर्गा पूजा 2023 – हिंदू धर्म में अष्ठमी के दिन को दुर्गा पूजा का पर्व मानकर मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में दशहरा यानि विजयदशमी का दिन दुर्गा पूजा के रूप में मनाया जाता है। पांच दिनों तक चलने वाले इस उत्सव में बड़े पंडालों में दुर्गा माता की विशालकाय मूर्तियों को स्थापित किया जाता है। इन मूर्तियों को देश के चुनिंदा कलाकार ही तैयार करते हैं। वहीं इस दिन बड़े-बड़े भंडारों का आयोजन कर कई लोगों को भोजन करवाया जाता है।

दुर्गा पूजा 2023 – अष्ठमी के दिन महापूजा के शुभ अवसर पर बली भी दी जाती है जिसमें आज के समय में सब्जियों का प्रयोग किया जाता है। पुरूष एक दूसरे के साथ पुरानी गलतियों को भुला कर आलिंगन करते हैं जिसे कोलाकुली कहा जाता है। स्त्रियां दुर्गा माता की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाती हैं। उसके बाद परंपराओं का पालन कर एक दूसरे के गालों पर सिंदूर लगाती हैं। शोभायात्रा में माता की बड़ी बड़ी प्रतिमाओं को वाहन पर रख कर पूरे क्षेत्र में घूमा जाता है और इनका विसर्जन किया जाता है। इस दिन का सनातन धर्म में विशेष महत्व है।

 

अधिक पढ़ें

Latet Updates

x